सवाल :- नूह अलैहिस्सलाम की विलादत, हज़रते आदम अलैहिस्सलाम के इन्तिक़ाल के कितने दिनों बाद हुई?
जवाब :- इब्ने जरीर ने बयान किया है :
हज़रते आदम अलैहिस्सलाम के विसाले हक़ के एक सौ छब्बीस साल बाद हज़रते नूह अलैहिस्सलाम पैदा हुए
सवाल :- नूह अलैहिस्सलाम के वालिद और दादा का क्या नाम है?
जवाब :- आपके वालिद माजिद का नाम लमक है और जद्दे अमजद का नाम मतूशलख बिन अख़नूक अलैहिस्सलाम है | यह अख्नूख हज़रत इदरीस अलैहिस्सलाम का नाम है |
सवाल :- नूह अलैहिस्सलाम की वालिदा और नाना का नाम क्या है ?
जवाब :- आपकी वालिदा मोहतरमा का नाम सम्हाऔर नाना जान का नाम अनवश है |
सवाल :- नूह अलैहिस्सलाम और हज़रत इदरीस अलैहिस्सलाम के बीच ज़माने का कितना फासला है?
जवाब :- हज़रत इदरीस अलैहिस्सलाम और हज़रत नूह अलैहिस्सलाम के बीच एक हज़ार साल का फ़ासला है
सवाल :- हज़रत नूह अलैहिस्सलाम का असली नाम किया है ?
जवाब :- नूह आपका लक़ब है आपके असली नाम के तहत मुख्तलिफ है अक़वाल नक़ल किये गए हैं
- अब्दुल गफ़्फ़ार
- अब्दुल्लाह
- यशकर
- अब्दुल जब्बार
सवाल :- नूह अलैहिस्सलाम का लक़ब नूह क्यों हुआ ?
जवाब :- आपका लक़ब नूह होने की कई वुजूहात बयान की गई हैं :
- इस वजह से कि “नूह ” के माने रोना है क्योंकि आप अपनी उम्मत के गुनाहों पर कसरत से रोते थे | कसरत से गिरया व बुका की वजह से आपका लक़ब नूह हुआ |
- या इस वजह से कि आप अपने नफ़्स पर बकसरत बुका करते थे |
- या इस वजह से कि एक बार आप अपने बेटे किनआन की निजात से मुतालिक बार गाह रब्बुल आलमीन में अर्ज़ गुज़ार हुए ए अल्लाह तूने मुझसे मेरे घर वालों की निजात का वादा फ़रमाया अल्लाह तआला ने फ़रमाया ए नूह वो तेरे घर वालों में नहीं हैं | उसकी हरकतें बड़ी नालायक हैं तू उसकी निजात की दुआ मत कर मुझे नहीं मालूम वो निजात के लाइक है या नहीं आप इसी बात पर रोते रहे |
- शैख़ अबू मंसूर रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं हज़रत नूह अलैहिस्सलाम का बेटा किनआन मुनाफ़िक़ था | वो आपके सामने खुद को मोमिन ज़ाहिर करता था अगर वो अपना कुफ्र ज़ाहिए कर देता तो आप अल्लाह तआला से उसकी निजात की दुआ न करते |
- या इस वजह से आपका लक़ब नूह हुआ की एक बार आपका गुज़र एक खरिशी कुत्ते पर हुआ आपने दिल में सोचा कितना बदशकल है | इतना ख्याल पैदा होना था की अल्लाह तआला ने “वही “फ़रमाई तूने मुझे ऐब लगाया या मेरे कुत्ते को क्या तू इससे अच्छा पैदा कर सकता है इसके बाद आप अपने इस ख्याल पर रोते थे |
- इस वजह से की तूफ़ान के बाद इब्लीस ख़सीस आप के पास आया और कहने लगा आपने मेरा एक बहुत ही बड़ा काम कर दिया आप ने फ़रमाया वो क्या है इस लईन ने कहा में और मेरे हव्वारी हर आदमी के पीछे आखिरी दम तक उसको दोज़खी बनाने में लगे रहते है आप ने दुआ की और यकबारगी पूरी कौम को पानी में ग़र्क़ करके जहन्नम में पहुंचा दिया मुझे और मेरे साथियो को मेहनत व मशक्कत से बचा लिया आप इसी बात पर रोते और कहते काश में क़ौम की तक़लीफो पर सब्र करता और हलाकत की दुआ न करता
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सवाल :- नूह अलैहिस्सलाम की काफ़िरा बीवी और काफिरा बेटे का नाम क्या है ?
जवाब :- आपकी काफ़िरा बीवी का नाम “वाइला ” था या “वालिया ” था और काफिर बेटे का नाम किनआन या याम था बाज़ ने बलीतून कहा है |
सवाल :- नूह अलैहिस्सलाम की किस्ती किस लकड़ी से बनायीं गई थी ?
जवाब :- ये किस्ती “साल” की लकड़ी की थी दुसरे क़ौल के मुताबिक ये किश्ती सनोवर की थी
सवाल :- नूह अलैहिस्सलम की किश्ती जिन पेड़ो की लकड़ी से बनायीं गयी थी वो कितने सालो में तैयार हुए थे
जवाब :- अल्लाह तआला के हुक्म से नूह अलैहिस्सलाम ने पेड़ बोये और बीस साल में पेड़ तैयार हुए एक रिवायत में है की चालीस साल के बाद वो पेड़ काटे गए एक रिवायत में सौ साल है
सवाल :- नूह अलैहिस्सलाम को किश्ती बनाना किसने सिखाई ?
जवाब :- अल्लाह तआला ने जिब्राईल अलैहिस्सलाम को भेजा जिन्होंने आपको किश्ती बनाना सिखाई |
सवाल :- नूह अलैहिस्सलाम की किश्ती कितने दिनों में बनकर तैयार हुई थी ?
जवाब :- यह किश्ती दो साल में तैयार हुई | एक रिवायत में चालीस साल और एक रिवायत में सौ साल है |
सवाल :- नूह अलैहिस्सलाम ने किश्ती किस जगह बनाई थी ?
जवाब :- यह किश्ती नूह अलैहिस्सलाम ने मस्जिदे कूफ़ा के पास बनाई |
सवाल :- नूह अलैहिस्सलाम की किश्ती में कितने तख़्त लगाए गए थे ?
जवाब :- नूह अलैहिस्सलाम की किश्ती में एक लाख चौबीस हज़ार तख्ते लगाए गए थे |
सवाल :- नूह अलैहिस्सलाम की किश्ती पर क्या लिखा गया था ?
जवाब :- किश्ती नूह के एक लाख चौबीस हज़ार और चार तख्तो पर एक लाख चौबीस हज़ार अम्बिया किराम के नाम दर्ज किये | बाक़ी चार तख्तो पर चार खलीफाये राशिदीन रदियल्लाहु अन्हुमा के नाम तहरीर किये गए | यह तमाम नाम हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम तरबीत वार बताते गए और नूह अलैहिस्सलाम लिखते गए |
सवाल :- नूह अलैहिस्सलाम की किश्ती की लम्बाई चौड़ाई कितनी थी ?
जवाब :- इसमें मुख्तलिफ अक़वाल वारिद हुए है
- इस किश्ती की लम्बाई तीन सौ गज . चौड़ाई पचास गज़ थी और ऊँचाई तीस गज़ थी |
- इसकी लम्बाई अस्सी हाथ थी और चौड़ाई पचास हाथ |
- हज़रत इब्ने अब्बास रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं, लम्बाई सौ हाथ थी चौड़ाई छह सौ हाथ थी|
- हज़रत क़तादा रदियल्लाहु अन्हु का कहना है की उसकी लम्बाई तीन सौ हाथ थी |
- एक रिवायत में ये है कि उसकी लम्बाई दो हज़ार हाथ थी और चौड़ाई एक सौ हाथ थी |
- और हज़रत इब्ने अब्बास रदियल्लाहु अन्हुमा की एक दूसरी रिवायत है कि उसकी किश्ती की लम्बाई छह सौ साठ गज़, चौड़ाई तीन सौ तीस गज़ और ऊँचाई तेतीस गज़ थी |
सवाल :- नूह अलैहिस्सला की किश्ती की शकल कैसी थी ?
जवाब :- इस कश्ती का नक़्शा शक्ल मुर्गी की तरह था | उस का सर मोर की तरह, सीना, बत्तख के सीने की तरह | दूसरी रिवायत में सीना कबूतर की तरह और दुम मुर्ग की दुम की तरह
सवाल :- नूह अलैहिस्सलाम की किश्ती में कितनी मंज़िलें थीं ?
जवाब :- इस किश्ती में तीन मंज़िलें थीं और हर मंज़िल दस हाथ ऊंचीं थी |
सवाल :- नूह अलैहिस्सलाम की कोनसी मंज़िल किस के लिए ख़ास की गई थी ?
जवाब :- इस किश्ती की मंज़िलें इस तरह तक़सीम की गईं कि नीचे के तबके में वहशी दरिंदे और हवाम बीच के हिस्से में चौपाये वगैरह और ऊपर के तबके में खुद हज़रत नूह अलैहिस्सलाम और आपके ताबेदार परिंदे और खाने पीने का सामान भी ऊपर ही के तबके में थे एक क़ौल ये है की पहली मंज़िल में वहशी जानवर और दुसरे में खाने की चीज़ें और तीसरी में मोमिनीन थे | एक और क़ौल ये भी है कि पहली मंज़िल में चौपाये और जंगली जानवर दूसरी में मर्द व औरतें और तीसरी में परिंदे थे |
सवाल :- हज़रत नूह अलैहिस्सलम की किश्ती में कितने नबी सवार थे ?
जवाब :- दो हज़रत आदम अलैहिस्सलाम और नूह अलैहिस्सलाम हज़रत नूह अलैहिस्सम ने उस किश्ती में हज़रत आदम अलैहिस्सलाम का ताबूत रख लिया था और ताबूत के एक जानिब मर्द और दूसर जानिब औरतों को बिठा लिया |
सवाल :- नूह अलैहिस्सलाम की किश्ती में कुल कितने अफ़राद सवार थे ?
जवाब :- इस तअल्लुक़ से कई क़ौल मन्क़ूल हैं :
1. हज़रत मक़ातिल ने कहा कुल बहत्तर मर्द व औरत थे |
2. हज़रत इब्ने अब्बास रदियल्लाहु अन्हुमा से मरवी है कि अस्सी अफ़राद थे आधे मर्द और आधी औरतें |
3. कुल बराह आदमी थे हज़रत नूह अलैहिस्सलाम के तीन साहबज़ादे अपनी अपनी बीवियों और छह दुसरे मोमिन मर्द व औरतों के साथ |
4. बाज़ ने कहा की कुल नौ अफ़राद थे तीन आपके साहबज़ादे हाम, साम, याफस, छह दीगर |
5. बाज़ ने नौ की तादाद नूह अलैहिस्सलाम की औलाद के अलावा बतलाई है |
6. एक क़ौल दस अफ़राद का है |
7 . और एक क़ौल ये है कि कुल साथ लोग थे | तीन आपके साहबज़ादे और उनकी बीवियां और एक याम (आपके काफिर बेटे की बीवी)
8. एक क़ौल अठहत्तर का भी है |
9. बीस और अठासी के भी क़ौल मन्क़ूल हैं |
सवाल :- नूह अलैहिस्सलाम की किश्ती में सवार होने वाला सबसे पहला परिंदा कोनसा था ?
जवाब :- उस किश्ती में परिंदों की जिंस में सबसे पहले तोता सवार हुआ था और इमाम कुरतबी कहते हैं की सबसे पहले किश्ती में जो जानवर सवार हुआ था वो मुर्गाबी |
सवाल :- नूह अलैहिस्सलाम की किश्ती में सबके आखिर में सवार होने वाला जानवर कोनसा था जवाब :- इस किश्ती में चौपायों में से गधा है जो सबसे बाद में सवार हुआ था है |
सवाल :- नूह अलैहिस्सलाम की किश्ती में इब्लीस किस तरह सवार हुआ ?
जवाब :- इस किश्ती में इब्लीस पुरतिबलीस गधे की दुम में लटककर सवार हुआ था जब गधा किश्ती में सवार होने लगा उसके दोनों अगले पैर किश्ती में तो आगये लेकिन जब उसने अपना पिछले धड़ उठाना चाहा तो लाख कोशिस के बावजूद उठा न सका क्योंकि दुम पर उस मलऊन का बोझ था इधर हज़रत नूह अलैहिस्सलाम जल्दी कर रहे थे | जब आपने गधे की परेशानी को देखा तो कहा आजा तेरे साथ इब्लीस लईन भी हो | तब वो चढ़ गया और इब्लीस भी उसके साथ चढ़ आया
सवाल :- किस वादे के तहत सांप और बिच्छू को सवार क्या गया था ?
जवाब :- जब सांप और बिच्छू किश्ती में सवार होने लगे तो हैरत नूह अलैहिस्सलाम ने दोनों को सवार करने से मना फ़रमा दिया तब उन दोनों ने कहा हमें सवार कर लीजिये हम ये वादा करते हैं कि वो जो शख्स : सलामुन अला नूहिन फलआलमीन पढ़ेगा हम उसे नुकसान नहीं पहुँचाएगें |
सवाल :- तूफाने नूह की आमद की निशानी क्या बतलाई गई थी ?
जवाब :- तंदूर का जोश मरना तूफ़ान आने की अलामत बतलाई गई थी अब इसमें चंद क़ौल हैं कि तन्दूर का जोश मारने से क्या मुराद है ?
हज़रात इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा फरमाते हैं तंदूर के उबलने से मुराद रूए ज़मीन से चश्मे फूट निकलना हैं हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु से मरवी है “तंदूर” मुराद सुबह का निकलना और और फज़र का रोशन होना है |
या “तंदूर से मुराद यही तंदूर है जिसमे रोटी पकाई जाती है इस सूरत में इख्तिलाफ वारिद है कि यह तंदूर कहाँ था | एक क़ौल ये है कि ये तंदूर पत्थर का था हज़रत हव्वा रदियल्लाहु अन्हा का जो आप नूह अलैहिस्सलाम को तरके में पहुंचा था और ये मुलके शाम या हिन्द में था
हज़रत मुजाहिद और शअबी कहते हैं कि ये तंदूर कूफ़े में था
हज़रत इब्ने अब्बास रदियल्लाहु अन्हु से मरवी है कि हिन्द में एक नहर का नाम है क़तादा रदियल्लाहु अन्हु का क़ौल है कि जज़ीरे में एक नहर है जिसे एनुल वारिदा कहते हैं
सवाल :- तूफाने नूह का आगाज़ किस माह की किस तारिख को हुआ था ?
जवाब :- रजब की पहली तारिख से तूफ़ान नाज़िल होना शरू हुआ और दसवीं रजब को किश्ती में सवार हुए
सवाल :- तूफाने नूह कितने दिनों तक जारी रहा ?
जवाब :- चालीस दिन लगातार आसमान से बारिश होती रही और ज़मीन पानी उगलती रही |
सवाल :- तूफाने नूह में बरसने वाले हर क़तरे में कितना पानी होता था ?
जवाब :- इस तूफ़ान की बारिश का हर क़तरा एक मश्क के बराबर था |
सवाल :- नूह अलैहिस्सलाम की किश्ती बैतुल्लाह का तवाफ़ कितने दिनों तक करती रही ?
जवाब :- चालीस दिनों तक किश्ती नूह बैतुल्लाह शरीफ का तवाफ़ करती रही | फिर अल्लाह तआला ने उसे जूदी की तरफ रवाना कर दिया बाज़ कहते हैं की सात रोज़
सवाल :- नूह अलैहिस्सलाम की किश्ती दौरान गश्त कहाँ रुकी थी और क्यों ?
जवाब :- साहिबे कंज़ुल गराइब लिखते हैं :
किश्ती नूह तमाम रूए जमीन पर गश्त करते करते जब ज़मीने कर्बला पर पहुंची तो रुक गई हज़रत नूह अलैहिस्सलाम ने जानबे बारी तआला में अर्ज़ की इलाही ये क्या मक़ाम है और किश्ती ठहरने में क्या मस्लिहत है जवाब मिला ये वो मक़ाम है जहां अहले बैत अतहार की किश्ती खून में डूबेगी और मेरे महबूब के जिगर गोशे इस मुक़ाम से जमे शहादत पी पी कर मुझसे मिलेंगें |
सवाल :- तूफाने नूह का पानी पहाड़ों से कितना ऊंचा था ?
जवाब :- तूफ़ान का पानी सबसे बुलंद पहाड़ से भी तीस गज़ ऊंचा था बा क़ौल दीगर बड़े बड़े पहाड़ों की चोटियों से पन्दरह गज़ ऊंचा था एक क़ौल ये भी है की पानी पहाड़ों से अस्सी मील ऊपर था |
सवाल :- हज़रत नूह अलैहिस्सलाम किश्ती में किस माह की किस तारीख को सवार हुए थे और किश्ती पहाड़ पर किस तारीख को ठहरी थी |
जवाब :- हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की किश्ती में दसबीं रजब को बैठे और दसबीं मुहर्रम को किश्ती जूदी पहाड़ पर ठहरी |
हज़रत क़तादा रदियल्लाहु अन्हुमा फरमाते हैं कि रजब की दसबीं तारीख को मुस्लमान इसमें बैठे थे और पांच माह तक इसी में रहे उन्हें लेकर किश्ती जूदी पर महीने भर तक ठहरी रही आखिर आशूरा के दिन वे सब उसमे से उतरे |
हज़रत इब्ने अब्बास रदियल्लाहु अन्हुमा का क़ौल है कि हज़रत नूह अलैहिस्सलाम अपने ताबेदारों के साथ एक सौ पचास दिनों तक किश्ती में रहे अल्लाह तआला ने किश्ती का मुँह मक्का शरीफ की तरफ कर दिया यहाँ वो किश्ती चालीस दिन तक काबा शरीफ का तवाफ़ करती रही |
फिर अल्लाह तआला ने उसका रुख जूदी की तरफ कर के रवाना कर दिया जहां वो ठहर गई और बा क़ौल अहले तौरात के सातवे महीने की सत्तरवीं तारीख को किश्ती जूदी पर लगी दसवें महीने की पहली तारीख को पहांड़ों की चोटियां खुल गईं उसके चालीस दिन बाद किश्ती के रोज़न पानी के ऊपर दिखाई देने लगे | फिर आपने कव्वे को पानी की तहक़ीक़ के लिए भेजा वो पलट कर न आया आपने कबूतर को भेजा जो वापस आया | फिर सात दिन बाद उसे दोबारा भेजा शाम को जैतून का पता लिए हुए वापस लौटा फिर सात दिन के बाद उसे भेजा अब की बार वो न लौटा आप समझ गए की ज़मीन बिलकुल खुश्क हो चुकी है | अल्गर्ज़ पूरे एक साल बाद नूह अलैहिस्सलाम ने किश्ती का सरपोश उठाया और बहार तशरीफ़ लाये
एक रिवायत में है की बारवीं रजब बरोज़ बुद्ध किश्ती में सवार हुए थे
सवाल :- हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की किश्ती किस पहाड़ पर लंगर अंदाज़ हुई और ये पहाड़ कहाँ है ?
जवाब :- ये किश्ती जूदी पहाड़ पर ठहरी जो मुसल या शाम की हुदूद में वाक़े है
हज़रत मुजाहिद फरमाते हैं ये जज़ीरे में एक पहाड़ है सब पहाड़ डुबो दिए गए थे लेकिन ये पहाड़ आजिज़ी तवाज़ेह की वजह से ग़र्क़ होने से बच रहा था यहीं कश्ती लंगर अंदाज़ हुई बाज़ का कहना है कि तूर पहाड़ को ही जूदी कहते हैं
सवाल :- जूदी पहाड़ की बुलंदी कितनी है ?
जवाब :- जूदी पहाड़ की बुलंदी चालीस हाथ थी
सवाल :- हज़रत नूह अलैहिस्सलाम को तूफ़ान का पानी खुश्क होने की खबर कैसे मिली ?
जवाब :- तूफ़ान रुक जाने और फिर किश्ती जूदी पर लंगर अंदाज़ होने के बाद हज़रत नूह अलैहिस्सलाम ने रूए जमीन की खबर लाने का इरादा किया | आपने कव्वे को भेजा कव्वा एक मुर्दार को देख कर उस पर गिर पड़ा और वापस न आया | आपने उसके लिए हमेशा डरते रहने की बद्दुआ दी | इसलिए वो घरों से मानुस नहीं होता फिर आपने कबूतर को भेजा वो जमीन पर नहीं उतरा बल्कि मुल्के सबा से एक जैतून की एक पट्टी चोंच में लेकर आया | आपने उसे दोबारा भेजा तो कबूतर मक्का मुकर्रमा में हरम काबा की ज़मीन पर उतरा और सुर्ख रंग की मिटटी लेकर वापस आया हज़रत नूह अलैहिस्सलाम इससे समझ गए की तूफ़ान का पानी खुश्क हो चुका है आपने किश्ती का सरपोश उठाया और आवाज़ आयी की ए नूह हमारी नाज़िल की हुई सलामती के साथ अब उतर आओ
सवाल :- तूफाने नूह के बाद आबाद होने वाली सबसे पहली बस्ती का नाम क्या है ?
जवाब :- आप जूदी पहाड़ से नीचे तशरीफ़ लाये और वहीँ एक बस्ती की बुनियाद डाली उस का नाम “सौक समानीन” रखा
यहाँ एक दिन में अस्सी ज़बाने जारी हों गईं किसी की अरबी किसी की फ़ारसी वगैरह | तब से इस जगह का नाम बाबुल हुआ यानि इख्तिलाफ की जगह |
सवाल :- तूफाने नूह के बाद उगने वाला सबसे पहला पेड़ कोन सा था ?
जवाब :- तूफाने नूह के बाद ज़मीन पर जो पहला पेड़ ऊगा वो जैतून का था |
एक क़ौल पचास साल का भी है |
सवाल :- तूफाने नूह के बाद नूह अलैहिस्सलाम इस दुनिया में कितने साल रहे |
जवाब :- आप तूफ़ान के बाद साठ साल इस दुनिया में रहे | दूसरी
रिवायत के मुताबिक़ तूफ़ान के बाद आप इस दुनिया में दो सो पचास साल रहे
सवाल :- हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की उम्र शरीफ कितनी हुई ?
जवाब :- इस बारे में अइम्मा तफ़्सीर व मुर्र्खीन इख्तिलाफ रखते हैं :
1. हज़रत इब्ने अब्बास रदियल्लाहु अन्हुमा फरमाते हैं :
हज़रत नूह अलैहिस्सलाम चालीस साल बाद मबऊस हुए नौ सौ पचास साल तक अपनी क़ौम को दावत फरमाते रहे तूफ़ान के बाद साठ बरस इस दुनिया में रहे इस तरह आपकी उम्र एक हज़ार पचास साल हुई |
2. फ़क़ीह बेमिसाल फ़ाज़िले बरेलवी इमाम अहमद रजा रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं :
हज़रत नूह अलैहिस्सलाम तक़रीबन सौलह सौ बरस दुनिया में तशरीफ़ फरमा रहे |
3. हज़रत वहब से मरवी है आप चौदाह सौ साल इस दुनिया में तशरीफ़ फरमा रहे |
4. बाज़ का कहना है कि आपकी उम्र शरीफ बराह सौ चालीस हुई |
5. एक क़ौल सत्तरह सौ साल का है और एक पन्दरह सौ साल का भी है |
सवाल :- हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की क़ब्रे अनवर कहाँ है ?
जवाब :- इब्ने जरीर और अज़राक़ी अब्दुर्रहमान बिन साबित या उसके अलावा ताबईन नकल करते हुए कहे हैं हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की क़ब्र पुरअनवार सही क़ौल के मुताबिक़ मस्जिदे हरम में है |
दूसरा क़ौल ये है की आपकी क़ब्र शरीफ “बक़ा” में है जिसको कर्क नूह से याद करते हैं
हवाला – तफ़्सीर नईमी जिल्द अव्वल इस्लामी हैरत अंगेज़ मालूमात
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Mujhe jaanna hai ki abhi tak kitni firka hua hai