आपकी विलादत नाम व नसब :- हज़रत सय्यदना इमाम मुस्लिम रदियल्लाहु अन्हु की कुन्नियत “अबुल हसन” नाम व नसब “मुस्लिम बिन हज्जाज बिन मुस्लिम वरद बिन कोशेरी निशापुरी” और लक़ब “असाकिरुद्दीन” है आपकी पैदाइश खुरासान के शहर निशापुर में बनू कुशैर में पैदा हुए | हज़रत सय्यदना इमाम मुस्लिम रदियल्लाहु अन्हु की पैदाइश में इख्तिलाफ पाया जाता है | शाह अब्दुल अज़ीज़ ने आप रहमतुल्लाह अलैह का साले विलादत 202 हिजरी में, इमाम ज़हबी ने 204 हिजरी और इबने असीर ने 206 हिजरी लिखा है |
Read this also ग्यारवी सदी के मुजद्दिद हज़रत औरंगज़ेब आलमगीर की हालाते ज़िन्दगी
तहसीले इल्म :- आपने बचपन ही में तहसीले इल्म का आगाज़ कर दिया और शुरू की तालीम हासिल करने की बाद तक़रीबन 18 साल की उमर में इल्मे हदीस का आगाज़ किया तलब इल्मे में आलमे इस्लाम के बेशुमार शहरों में सफर किया इल्मे हदीस को निहायत मेहनत व जानफशानि से हासिल किया यहाँ तक के बहुत जल्द निशापुर के अज़ीम मुहद्दिस कहलाए जाने लगे |
आपके असातिज़ाए किराम :- इल्मे हदीस सीखने की लगन में हज़रत सय्यदना इमाम मुस्लिम रदियल्लाहु अन्हु ने बेशुमार शहरों का सफर किया पहले निशापुर ही में मौजूदा उस्तादों से मुस्तफ़ीद हुए उस के बाद हज्जाज, इराक, शाम, मिस्र, और बाग्दाद् वगैरह का सफर किया और इन तमाम शहरों के असातिज़ा और मशाइख से कसबे फैज़ हासिल किया | हाफ़िज़ इबने हजर अस्क़लानी रहमतुल्लाह अलैह और दूसरे मुअर्रिख़ीन ने हज़रत सय्यदना इमाम मुस्लिम रदियल्लाहु अन्हु के जिनके असातिज़ा के नाम क़लम बन गए उनमे से चंद के नाम ये हैं | अहमद बिन यूनुस, याहया इस्माईल बिन अबी ओवैस, सईद बिन मंसूर मुहम्मद बिन याहया ज़हली, ओन बिन सलाम, अहमद बिन हम्बल, वग़ैराहुम रहमतुल्लाह अलैहम अजमईन |
Read this also हज करने की क्या क्या फ़ज़ीलतें हैं? तफ्सील से पढ़ें(Part-1)
आपके शागिर्द :- हज़रत सय्यदना इमाम मुस्लिम रदियल्लाहु अन्हु से जिन बेशुमार तालिबे इल्मे ने इल्मे हदीस हासिल किया और अहादीस रिवायत कीं इन में चन्द नाम ये हैं | इमाम तिर्मिज़ी अबू मुहम्मद बिन हातिम राज़ी, इब्राहीम बिन मुहम्मद बिन सुफ़यान, अबुल फ़ज़ल अहमद बिन सलमा, इब्राहीम बिन अबू तालिब, अबू उमर हिनाफ, इब्राहीम बिन मुहम्मद बिन हम्ज़ा, मुहम्मद बिन इस्हाक़ फाकिहि, हाफ़िज़ सालेह बिन मुहम्मद अली बिन हुसैन, मुहम्मद बिन अब्दुल वहाब, अली बिन हम्ज़ा जुनैद इबने खुज़ैमा वगैरह हुम् रहमतुल्लाह अलैहम अजमईन |
Read this also ज़िल क़ादा के महीने में किस बुज़ुर्ग का उर्स किस तारीख को होता है?
आपका इल्मी मक़ाम :- हज़रत सय्यदना इमाम मुस्लिम रदियल्लाहु अन्हु इल्मे हदीस में ज़बरदस्त सलाहियतों के मालिक थे | आप रदियल्लाहु अन्हु ने सिर्फ अहादीस की तमाम अक़साम की पहचान में माहिर थे | बल्कि आप रदियल्लाहु अन्हु अहादीस के तग़य्युर व तबद्दुल के ख़ुफ़िया अलल से भी बखूबी वाक़िफ़ थे यहाँ तक के इल्मे हदीस कि बाज़ चीज़ों में आप रदियल्लाहु अन्हु सय्यदना इमाम बुखारी रदियल्लाहु अन्हु से भी ज़्यादा महारत रखते हैं | आप रदियल्लाहु अन्हु अहादीस की इल्मी क़ाबिलियत व महारत को आप रदियल्लाहु अन्हु के उस्ताद और मुआसिरीन ने भी तस्लीम किया है इस्हाक़ बिन मंसूर रहमतुल्लाह अलैह ने हज़रत सय्यदना इमाम मुस्लिम रदियल्लाहु अन्हु के लिए फ़रमाया “हम उस वक़्त तक कभी खैर से महरूम नहीं होंगें जब तक हमारे दरमियान मुस्लिम मौजूद हैं” मुस्लिम बिन क़ासिम रहमतुल्लाह अलैह ने कहा “वो जलीलुल क़द्र इमाम थे” अबू बक्र रूमी रहमतुल्लाह अलैह ने हज़रत सय्यदना इमाम मुस्लिम रदियल्लाहु अन्हु को “इल्म का मुहाफ़िज़” क़रार दिया है इबने हज़म ने हज़रत सय्यदना इमाम मुस्लिम रदियल्लाहु अन्हु को “निशापुर का मुहद्दिस क़रार दिया | अब्दुल वहाब ने हज़रत सय्यदना इमाम मुस्लिम रदियल्लाहु अन्हु के मुतअल्लिक़ फ़रमाया “इमाम मुस्लिम इल्म का खज़ाना हैं” मेने उनमे खैर के सिवा और कुछ नहीं पाया | अल्लाह अज़्ज़ावजल ने आप रदियल्लाहु अन्हु की इल्मी खिदमत और कोशिशों का क्या खूब सिला अता फ़रमाया के अबू हातिम राज़ी रहमतुल्लाह अलैह बयान करते हैं मेने हज़रत सय्यदना इमाम मुस्लिम रदियल्लाहु अन्हु को उनके विसाल के ख्वाब में देखा और उनका हाल दरयाफ्त किया तो उन्होंने जवाब दिया “अल्लाह अज़्ज़ा वजल ने अपनी जन्नत को मेरे लिए मुबाह फ़रमा दिया है और में इस में जहाँ चाहता हों रहता हों | अल्लाह अज़्ज़ा वजल ने न सिर्फ हज़रत सय्यदना इमाम मुस्लिम रदियल्लाहु अन्हु को इल्मी मक़ाम अता फ़रमाया बल्कि आप रदियल्लाहु अन्हु की शोहरा आफ़ाक़ किताब “सही मुस्लिम” को भी बुलन्द मर्तबा अता फ़रमाया अबू अली ज़ाग वानी को वफ़ात के बाद किसी बुजरुग ने ख्वाब में देखा और उन से “किसी अमले खैर से तुम्हारी निजात हुई”? तो उन्होंने “सही मुस्लिम” के चंद औराक़ की की तरफ इशारा करके फ़रमाया “इन ही औराक़ की बदौलत मेरी निजात हुई”
Read this also सहाबिये रसूल हज़रत अमीर मुआविया के बारे में कैसा अक़ीदा रखना चाहिए? और आपकी
आपकी तसानीफ़ :- हज़रत सय्यदना इमाम मुस्लिम रदियल्लाहु अन्हु की तसानीफ़ आप रदियल्लाहु अन्हु की इल्मी जामिईयत व महारत का मुँह बोलता सबूत हैं | तहसीले इल्म और फिर दरस व तदरीस की मसरूफियत के बावजूद आप रदियल्लाहु अन्हु ने बहुत सी किताबें तस्नीफ़ कीं जिनके अस्मा ये हैं: “अल जमीउस सही” अल मुसनदुल कबीर” मुसनदुल कबीर” “किताब तबक़ात” “किताब मशाइख” “किताब मशाइख सौरी”
Read this also हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम और ज़ुलैख़ा का वाक़्या और आपकी हालात ऐ ज़िन्दगी
आपकी शख्सीयत व किरदार :- हज़रत सय्यदना इमाम मुस्लिम रदियल्लाहु अन्हु सुर्ख व सफ़ेद रंगत बुलंद क़ामत और वजीह यानि खूबसूरत बावक़ार शख्सीयत रखते थे | आप रदियल्लाहु अन्हु अमामा बांधते थे और शिमला दोनों कांधों के दरमियान लटका देते | निहायत सादा दिल सूफी आदमी थे | आप रदियल्लाहु अन्हु सिर्फ अपनी इल्मी कमालात व महारत में बल्कि अपनी इबादत व तक़वा में भी बुलंद व मुमताज़ मक़ाम रखते हैं आप रदियल्लाहु अन्हु ने कभी किसी की ग़ीबत न की और न किसी को गाली दी न किसी को मारा यहाँ तक के किसी से सख्त कलामी भी नहीं की इतनी बड़ी और अज़ीम शख्सीयत होने के बावजूद आप रदियल्लाहु अन्हु ने अपनी इल्मी महारत को ज़रिया मआश नहीं बनाया | बल्कि अपनी गुज़र बसर कपड़ों की तिजारत से किया करते थे | अपनी इल्मी खिदमात और किरदारि की बुलंदी ने उन्हें ये शरफ़ बख्शा के अल्लाह पाक उनसे राज़ी हो गया और क्या ही खूब सिला अता फ़रमाया के अबू हातिम राज़ी रहमतुल्लाह अलैह जो उस दौर के अकाबिर यानि बड़े मुहद्दिसीन में शुमार होते थे बयान करते हैं | “मेने हज़रत सय्यदना इमाम मुस्लिम रदियल्लाहु अन्हु को उनके विसाल के बाद ख्वाब में देखा और उनका हाल मालूम किया तो आपने जवाब दिया अल्लाह पाक ने अपनी जन्नत को मेरे लिए मुबाह फरमा दिया और में इस में जहाँ चाहता हूँ रहता हूँ
Read this also मलाइका (फ़रिश्तो) का बयान |
आपका विसाले मुबारक :- हज़रत सय्यदना इमाम मुस्लिम रदियल्लाहु अन्हु के विसाल का सबब अहले दुनिया के लिए बहुत ही अजीब व गरीब है | इमाम हाफिज इबने हजर अस्क़लानी रहमतुल्लाह अलैहि फरमाते हैं | एक दिन मजलिस में हज़रत सय्यदना इमाम मुस्लिम रदियल्लाहु अन्हु से एक हदीस के बारे में मालूम किया गया | हज़रत सय्यदना इमाम मुस्लिम रदियल्लाहु अन्हु घर आ कर हदीस की तलाश में किताबें खगालनी शुरू कीं | हज़रत सय्यदना इमाम मुस्लिम रदियल्लाहु अन्हु के पास खजूरों का एक टोकरा भी रखा हुआ था | हज़रत सय्यदना इमाम मुस्लिम रदियल्लाहु अन्हु हदीस की तलाश में इस क़द्र मुंहमिक यानि डूब गए हदीस तलाश करने में के हदीस मुबारक की तलाश के दौरान खजूरें भी साथ साथ तनावुल फरमाने लगे यहाँ तक के पूरा टोकरा खली हो गया और आप रदियल्लाहु अन्हु को खजूरों की मिक़्दार का अंदाज़ा न हो सका इस के बाद आप रदियल्लाहु अन्हु को दर्दे शिकम हुआ और यही आप रदियल्लाहु अन्हु के विसाल का सबब बना यूं 24 रजब 261 हिजरी को बरोज़ इतवार शाम के वक़्त खुरासान में इल्मे हदीस का ये चमकता दमकता चाँद छुप गया | आपका मज़ार शरीफ मुल्के ईरान के सूबा निशापुर क़स्बा नसराबाद में है | अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की इन पर रहमत हो और इन के सदक़े हमारी मगफिरत हो |
(गुलिस्ताने मुहद्दिसीन)
Share Zarur Karein – JazakAllah
Read this also – सुल्तानुल हिन्द ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की हालाते ज़िंदगी और आपकी करामात