आप की विलादत बा सआदत :- आप की पैदाइश माहे रजब में 539 हिजरी मुताबिक़ 1144 ईस्वी क़स्बा “सोहरवर्द” में हुई |
आपका नाम :- आपका इसमें गिरामी “शहाबुद्दीन उमर” कुन्नियत “अबू हफ्स” लक़ब शैखुल इस्लाम शैखुश शीयूख, आप सिलसिलए सोहरवर्दी के बानी हैं |
आपका शजरए नस्ब :- अबू हफ्स शहाबुद्दीन उमर बिन अहमद बिन अब्दुल्लाह बिन मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह अल मारूफ शैख़ उमुविया बिन सअद बिन हुसैन बिन क़ासिम बिन सअद बिन नसर बिन अब्दुर रहमान बिन क़ासिम बिन मुहम्मद बिन अमीरुल मोमिनीन हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु तआला अन्हुम अजमईन |
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आपका मकामो मर्तबा :- “आरिफ़े बिल्लाह हज़रत अल्लामा नूरुद्दीन उर्फ़ अब्दुर रहमान जामी रहमतुल्लाह अलैहि” आप अपनी मशहूरे ज़माना किताब “नफ़्हातुल उन्स” में लिखते हैं के इमाम “याफ़ई” रहमतुल्लाह अलैहि आपके अलक़ाब में इस तरह लिखते है | उस्तादे ज़माना, फ़रीदे यगाना, मतलए अनवार, मम्बए असरार, दलीलुत तरीक़ा, तर्जुमाने हक़ीक़त, शेखो के उस्ताद, अल अकाबिर, कुदवतुल आरिफीन, उम्दतुस सालिकीन, आलमे रब्बानी,आरिफो के पेशवा, सालिको में उम्दा बेहतरीन शैख़ शहाबुद्दीन, अबू हफ्स सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैहि | अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त उनके सर को पाक करे | आप उन औलियाए किराम में से है, के आपने “महबूबे सुब्हानी क़ुत्बे रब्बानी पीरे लासानी किन्डिले नूरानी हज़रत शैख़ मुहीयुद्दीन अब्दुल क़ादिर जीलानी रदियल्लाहु अन्हु” की सोहबत में रहे और आप से फैज़ व बरकात हासिल करते रहे | आपके अलावा बहुत से मशाइख से मिले कहते है एक मुद्दत तक बाज़ अब्दाल के साथ इबादान जज़ीरे में रहे खिज़र अलैहिस्सलाम मिले है आप के तअल्लुक़ से हज़रत शैख़ मुहीयुद्दीन अब्दुल क़ादिर जीलानी रदियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया है “तुम उन बुज़ुर्गो के आखिर में हो जो ईराक में मशहूर होंगे” | आप अपने वक़्त में बगदाद के शेखो के भी शैख़ थे | अहले तरीक़त दूर नज़दीक शहरों से आपसे मसाइल पुछा करते थे | शैख़ रुकरूद्दीन अलाउद्दौला ने कहा है के लोगो ने शैख़ सआदुद्दीन हमवी से पुछा के शैख़ मुहीयुद्दीन इबने अरबी को तुमने कैसा पाया? कहा एक मोजिज़न समंदर थे | जिसकी इंतेहा नहीं फिर पूछा के शैख़ शहाबुद्दीन सोहरवर्दी को कैसा पाया तो उन्होंने फरमाया “शहाबुद्दीन सोहरवर्दी की पेशानी में रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की फरमा बरदारी का नूर एक और ही किस्म का है |
बैअत व खिलाफत :- उलूमे ज़ाहिरी की तकमील के बाद आपने आपने चचा हज़रत शैख़ “ज़ियाउद्दीन अबू नजीब अब्दुल क़ादिर सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैह के दस्ते मुबारक पर बैअत फ़रमाई” | और आप ही की तवज्जुह से राहे सुलूक पर गामज़न हुए |
हज़रत अल्लामा शैख़ अब्दुर रहमान चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह साहिबे “मिरातुल असरार” फरमाते हैं के जिस क़द्र मुजाहिदात व रियाज़त आप ने किए हैं किसी ने कम ही किए होंगें तकमीले सुलूक के बाद हज़रत शैख़ “ज़ियाउद्दीन अबू नजीब सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैह ने आपको खिरकए खिलाफत भी आता फ़रमाया” | महबूबे सुब्हानी क़ुत्बे रब्बानी पीरे लासानी किन्डिले नूरानी हज़रत शैख़ मुहीयुद्दीन अब्दुल क़ादिर जीलानी रदियल्लाहु अन्हु ने बीस साल की उमर में आप को खिलाफत से नवाज़ा था |
फ़ैज़ाने गौसिया :- साहिबे “खज़ीनतुल असफिया” और “सैरुल अखियार” अल्लामा शाह मुराद सोहरवर्दी का मुत्तफ़िक़ा बयान है | के जब “हज़रत शैख़ शहाबुद्दीन रहमतुल्लाह अलैह” के वालिदैन आपको पहली बार हज़रत गौसे आज़म शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रहमतुल्लाह अलैह की खिदमत में ले गए तो अपने जो पेशन गोई फ़रमाई थी वो हर्फ़ बा हर्फ़ पूरी हुई यानि जब आप बालिग़ हो गए तो आपके अबरू के बाल और पिस्तान दराज़ थे आप अबरू के बालों को सर पर डाले रहते और पिस्तानो को बाँध रखते हज़रत गौसे आज़म शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रहमतुल्लाह अलैह की दुआ की बरकत से आपने 93 साल की उम्र पाई और बहुत बड़े अल्लाह के वालिए कामिल हुए |
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मक़ामे मेहबूबियत और आपकी करामात :- हज़रत ख़्वाजा शाह सुलेमान तूंसवी चिश्ती निज़ामी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं के एक बार हज़रत शैख़ शहाबुद्दीन सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैह एक तंग गली से गुज़र रहे थे | के एक फ़ासिक़ व फ़ाजिर पर आप का दामन पढ़ गया | जब उसका इन्तिक़ाल हुआ तो किसी ने ख्वाब में देखा के वो जन्नत में है उसने पूछा ये नेमत कैसे मिली कहने लगा एक बार हज़रत शैख़ शहाबुद्दीन सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैह का दामन मेरे दामन के साथ मस हो गया यानि आपके दामन से छू गया था अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने इस दामन की निस्बत से मुझे बख्श दिया |
इस वाक़िए से “हज़रत शैख़ शहाबुद्दीन सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैह” के मक़ामे मेहबूबियत की खबर मिलती है अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की बारगाह में आपका किया मक़ाम व मर्तबा हासिल था हज़रत ख़्वाजा शाह सुलेमान तूंसवी चिश्ती निज़ामी रहमतुल्लाह अलैह ये वाक़िअ बयान करने के बाद फरमाते हैं के सुब्हान अल्लाह न तो वो “हज़रत शैख़ शहाबुद्दीन सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैह” का मुरीद है न दोस्त इतना सा क़ुर्ब हासिल हुआ के उसके बदन से आप का बदन छू गया सिर्फ इतना सा क़ुर्ब हासिल हुआ के उसके बदन से आप का बदन छू गया सिर्फ इतने से क़ुर्ब से इतना इनाम मिला के जन्नतुल फिरदोस में उसे मक़ाम मिल गया लेकिन जिसने उन के हाथ में हाथ दिया उसे किया किया नेमतें हासिल होंगी और जो आप की ज़्यारत से मुशर्रफ हुआ और फैज़ व बरकात हासिल की |
आपकी तस्नीफ़ात :- आपकी तक़रीबन इक्कीस 21, तसानीफ़ बहुत मशहूर हैं जिनमे से चंद एक के नाम ये हैं | “अवारीफुल मआरिफ़” तसव्वुफ़ की मुस्तनद तिरीन क़ुतुब में शुमार होती है | “अवारीफुल मआरिफ़” इस किताब को आपने मक्का शरीफ में लिखा है जब आप पर कोई मसअला मुश्किल हो जाता तो अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की तरफ तवज्जो करते और बैतुल्लाह शरीफ का तवाफ़ करते तो इश्काल ख़त्म हो जाते और हक़ ज़ाहिर होता |
हज़रत बाबा फरीदुद्दीन मसऊद गंजे शकर रहमतुल्लह अलैह और हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया सरकार महबूबे इलाही रह्मतुल्लाह अलैह हर वक़्त इस किताब को अपने साथ रखते थे | किताबुल औसिया, तफसीरुल क़ुरआन, रिसाला फिल एतिक़ाद और किताबुल औराद वगैरह वगैरह आपकी क़ुतुब हैं |
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एक अजीबो गरीब ख्वाब :- “साहिबे मनाक़िबुल आरफीन का बयान है” के जब दूसरी बार हज़रत शैख़ शहबुद्द्दीन रहमतुल्लाह अलैह खलीफा अज़्ज़ाहिर अबू नस्र मुहम्मद बिन नासिर की तख़्त नशीनी के मौके पर आप रूम तशरीफ़ लेगए | उस वक़्त सुल्तान मसरूफ़े शिकार था | मौलाना रूम के वालिद मौलाना बहाउद्दीन बल्खी भी सुल्तान के साथ थे | आप ने खलीफा का फरमान सुल्तान को पेश किया इसी रात सुल्तान ने एक अजीबो गरीब ख्वाब देखा के उस का सर सोने का मुँह चांदी का पेट पीतल का है और दोनों राने सीसे की और दोनों पाऊँ रांग के हैं | सुबह जब शैख़ुश शीयूख मौलाना बहाउद्दीन बल्खी के साथ शाही महल गए तो सुल्तान की फरमाइश पर आप ने इस ख्वाब की ताबीर इस तरह बयान की सुल्तान की ज़िन्दगी में रियाया सोने की तरह खुशहाल और शानो शौकत के साथ रहेगी | मगर उनके बेटे के अहद में चांदी की क़द्रो क़ीमत की तरह उन का हाल होगा और जब उनका पोता हुकूमत करेगा तो रियाया की अख़लाक़ी व माली हालत की क़द्रो क़ीमत पीतल की तरह घट जाएगी और अमनो अमां खतरे में पढ़ जाएगा चौथी और पांचवी पुश्त में मुल्क तबाह हो जाएगा सलजूक़ी खानदान की हुकूमत ख़त्म हो जाएगी और फसादी लोग इस पर क़ाबिज़ हो जाएंगें सुल्तान ये ताबीर सुनकर आपकी सदाक़त व बेबाकी से मुतअस्सिर हुआ और दुआए खैर का तालिब हुआ और बहुत इज़्ज़त व एहतिराम के साथ आपको रुखसत किया
आप की रूहानी अज़मत :- हज़रत ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह, ख्वाजाए अजल शिराज़ी रहमतुल्लाह अलैह और शैख़ सैफुद्दीन बाख्जरी के दरमियान मुहब्बत के बारे में गुफ्तुगू हुई के मुहब्बत मौला में सादिक़ कौन होता है हर बुज़रुग ने अपना क़ौल पेश किया आखिर में शैख़ सैफुद्दीन बाख्जरी ने फ़रमाया के मुहब्बते मौला में वो सादिक़ है के जब उसे चोट लगे वो मुशाहिदाह दोस्त में भूल जाए और उस पर कोई असर न हो | ये सुनकर हज़रत ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह ने फ़रमाया के ये बात “शैख़ शहबुद्द्दीन उमर सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैह” में पाई जाती थी |
“हज़रत शैख़ मोहीयुद्दीन इबनुल अरबी का इरशाद” हज़रत शैख़ मोहीयुद्दीन इबनुल अरबी रहमतुल्लाह अलैह से “शैख़ शहबुद्द्दीन उमर सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैह” के बारे में पूछा गया तो अपने फ़रमाया वो एक मर्द है सर तापा यानि सर से पैर तक सुन्नते नबवी और आदाते अहमदी से भरे हुए हैं |
“हज़रत शैख़ सादुद्दीन हमवी रहमतुल्लाह अलैह का फरमान” हज़रत शैख़ सादुद्दीन हमवी रहमतुल्लाह अलैह से पूछा गया के आपने शैख़ शहबुद्द्दीन उमर सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैह को कैसा पाया तो आपने फ़रमाया हज़रत सोहरवर्दी की पेशानी में हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पैरवी का नूर और किस्म का है |
हज़रत अल्लामा इमाम ताजुद्दीन सुबकी रहमतुल्लाह अलैह “तब्कातुश शाफईया” में तहरीर फरमाते है शैख़ शहबुद्द्दीन उमर सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैह अपने वक़्त के फकीह, आलिम, फ़ाज़िल, आरिफ, कामिल, ज़ाहिर, और इल्मे हक़ीक़त में अपने ज़माने के शैख़ और जलीलुल क़द्र इमाम थे |
हज़रत इमाम याफई सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैह आपका तज़किरा इन अलक़ाबात से करते है | उस्तादे ज़माना, फ़रीदे अवाना, मतलए अनवार, मम्बए असरार, दलीलुत तरीक़त, तरजुमानुल हक़ीक़त, आलिमे रब्बानी, शहाबुद्दीन अबू हफ्स उमर बिन मुहम्मद सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैह |
हज़रत बाबा फरीदुद्दीन मसऊद गंजे शकर रहमतुल्लाह अलैह का इरशादे गिरामी है के दुरवेशी इसी कैफियत का नाम है जो शैख़ शहाबुद्दीन उमर सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैह को हासिल थी |
आपकी औलाद व अमजाद :- हज़रत शैख़ शहबुद्द्दीन उमर सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैह की औलाद में आपके शाहबज़ादे शैख़ इमादुद्दीन का नाम क़ुतुब सैर में मिलता है साहिबे तारीखे अरबल ने आपकी कुन्नियत अबू नस्र अबू अब्दुल्लाह और अबू हफ्स तहरीर की है इससे मालूम होता है के ये भी आपके बेटे है | आपकी औलाद के बारे में मुसन्निफीन ने कोई फैसला नहीं किया |
निज़ामुल मलिक आसिफ जाह आप शैख़ शहबुद्द्दीन उमर सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैह की औलाद से थे उनके मूरिसे आला शैख़ आबिद हिंदुस्तान तशरीफ़ लाये और हैदराबाद दक्कन के इलाक़े में क़याम पज़ीर हुए हैदराबाद दक्कन पर इस खानदान की हुकूमत रही |
सिलसिलए शत्तारिया सोहरवर्दिया के मशहूर बुज़ुर्ग हज़रत शैख़ अब्दुल्लाह शत्तारी भी आप ही की औलाद से थे |
इनका शजरा नसब इस तरह है: हज़रत अब्दुल्लाह बिन शैख़ हस्सामुद्दीन बिन शैख़ रशीदुद्दीन बिन शैख़ ज़ियाउद्दीन बिन शैख़ नज़्मुद्दीन बिन शैख़ जमालुद्दीन बिन शैख़ इमाद बिन शैख़ शहाबुद्दीन उमर सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैह आप 9 वि सदी हिजरी में ईरान से हिंदुस्तान तशरीफ़ लाये और बर्रे सगीर के तूल अर्ज़ में सिलसिले को फैलाया आप की तस्नीफ़ “रिसाला गैबिया” है इसमें तौहीद के असरार वज्द के अतवार हक़ाएक़े इलाही और तरीक़त व हक़ीक़त के दकाइक शामिल है आपका विसाल 890 हिज़री में हुआ आपका मज़ार मांडू में है |
सिलसिलए चिश्तिया के मशहूर बुज़ुर्ग हज़रत ख़्वाजा निजामुद्दीन औरंगाबादी हज़रत ख़्वाजा फखरुद्दीन दहेलवी भी आप ही की नस्ले पाक से तअल्लुक़ रखते थे |
हज़रत मखदूम इल्यास शैख़ शहाबुद्दीन उमर सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैह की औलाद से बड़े कामिल बुज़रुग गुज़रे हैं | और तमाम औसाफ़ के मालिक थे आप इराक से सिंध तशरीफ़ लाए और अपनी तमाम उम्र यहाँ रुश्दो हिदायत में गुज़ारी आप का मज़ार मुबारक सिंध में है आप के बाद साहबज़ादे मखदूम अजाइब मसनद नशीन हुए जो अपने वक़्त के जय्यद आलिम और कामिल वलीयुल्लाह थे अपने 1171 हिजरी में 80 साल की उमर में विसाल फ़रमाया |
इनके विसाल के बाद मखदूम हारुन ने सिलसिला इरशाद जारी किया ठठ्ठा में मुन्तक़िल हो गए |
हज़रत सय्यदुल अज़किया सय्यद मुहम्मद मक्की सोहरवर्दी जो के हज़रत शैख़ शहाबुद्दीन रहमतुल्लाह अलैह के नवासे हैं | हिजरत कर के सिंध में क़याम पज़ीर हुए उनकी औलाद बर्रे सगीर में खूब फैली | हज़रत मुहम्मद सय्यद मक्की के बाद उनके साहबज़ादे सय्यद सदरुद्दीन मसनद पर बैठे | उनके बाद सय्यद बदरुद्दीन बखरी रहमतुल्लाह अलैह ने सिलसिला इरशाद बारी किया जिनकी साहबज़ादी हज़रत सय्यद जलालुद्दीन सुर्ख बुखारी सोहरवर्दी ऊची के निकाह में आयीं हज़रत सय्यद बदरुद्दीन बखरी रहमतुल्लाह अलैह के साहबज़ादे सय्यद अली ने हज़रत शैख़ रुकनुद्दीन मुल्तानी सोहरवर्दी से फैज़ हासिल किया और हज़रत मिन्हाजुद्दीन सोहरवर्दी खलीफा हज़रत शाह रुकनुद्दीन मुल्तानी से भी खिरकए खिलाफत हासिल किया और रुश्दो हिदायत के ज़रिए इस्लाम की ठोस खिदमत अंजाम दीं |
आप ने तीन ज़िल हिज्जा 760 हिजरी में विसाल फ़रमाया आप का मज़ार मुबारक झाँसी में है हज़रत सय्यद मुहम्मद मक्की सोहरवर्दी की औलाद बर्रे सगीर में फ़ैल गई और उनमे साहिबे दिल और अहले तरीक़त पैदा हुए नीज़ सिंध के मशहूर बुज़रुग हज़रत शैख़ शहाबुद्दीन सिंधी सिद्दीक़ी भी हज़रत शैख़ शहाबुद्दीन सोहरवर्दी की औलाद से हैं आप सिंध में सिद्दीक़िया सोहरवर्दिया खानदान के मूरिसे आला हैं आप की औलाद सेहवन भाट और बुरहानपुर इंडिया में फैली भाट का शहर अपने ही आबाद किया था आप ने 894 हिजरी में विसाल फ़रमाया |
आप का शजरए नसब इस तरह है |
हज़रत शैख़ शहाबुद्दीन सिद्दीक़ी सोहरवर्दी, बिन नूरुद्दीन बिन सिराजुद्दीन बिन शैख़ वजीहुद्दीन मुहम्मद बिन शैख़ मसऊद बिन शैख़ रज़ीउद्दीन बिन शैख़ क़ासिम बिन शैख़ मुहम्मद मारूफ अहमद इमादुद्दीन बिन शैख़ शहाबुद्दीन उमर सोहरवर्दी हज़रत शैख़ शहाबुद्दीन सिंधी सोहरवर्दी की तमाम औलाद इल्मो फ़ज़ल से आरास्ता थी | इस खानदान के मशहूर बुज़रुग हबीबुल्लाह सिद्दीक़ी सोहरवर्दी गुज़रे हैं जिन्होंने अपने खानदान के हालात पर “रिसाला हबीबिया” लिखा है |
साहिबे गुलज़ारूल अबरार की रिवायत के मुताबिक़ हज़रत शैख़ नसीरुद्दीन जमाल रहमतुल्लाह अलैह भी “शैख़ शहाबुद्दीन उमर सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैह” की औलाद से हैं जो अपने वक़्त में ज़माने के क़ुतब थे | आप का मज़ार इंडिया सूबा गुजरात काठिया वाड़ में है हज़रत शैख़ जमाली सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैह (साहिबे सैरुल आरिफीन) ने बाग्दाद् शरीफ में क़याम के दौरान हज़रत शैख़ सहाबुद्दीन अहमद सज्जादा नशीन हज़रत शैख़ शहाबुद्दीन उमर सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैह से मुलाक़ात की और आप की किताब “अवारिफुल मआरिफ़” का वो नुस्खा जो “शैख़ शहाबुद्दीन उमर सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैह” के ज़ेरे मुतालआ रहता था उन से हासिल किया |
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आपके सात सौ कामिल खुलफ़ा हुए उन्हीं में चंद मशहूर खुलफ़ा के नाम ये हैं :-
- मशहूर बुज़रुग व शायर हज़रत शैख़ सआदी शरफुद्दीन शीराज़ी सोहरवर्दी रहमतुल्लह अलैह,
- शैख़ बहाउद्दीन ज़करिया मुल्तानी सोहरवर्दी रहमतुल्लह अलैह,
- शैख़ नजीबुद्दीन अली बिन बरगश शीराज़ी सोहरवर्दी रहमतुल्लह अलैह,
- शैख़ ज़हीरुद्दीन मेहमूद बिन अब्दुल्लाह सोहरवर्दी रहमतुल्लह अलैह,
- हज़रत ख्वाजा हमीदुद्दीन सोहरवर्दी नागोरी रहमतुल्लह अलैह,
- सय्यद जलालुद्दीन सोहरवर्दी तबरेज़ी रहमतुल्लह अलैह,
- शैख़ मुहम्मद यमीनी सोहरवर्दी रहमतुल्लह अलैह,
- शैख़ ज़ियाउद्दीन सोहरवर्दी रूमी रहमतुल्लह अलैह,
- सय्यद मुहम्मद शुजाअ मशहदी रहमतुल्लह अलैह,
- हज़रत मखदूम नूह बिखरवी सोहरवर्दी रहमतुल्लह अलैह,
आप का विसाल :- आप का विसाल मुहर्रमुल हराम की एक तारीख बरोज़ बुध को हुआ हिजरी 632, ईस्वी 1234, में उस वक़्त आप की उमर 93 साल थी | आप का मज़ार मुबारक बाग्दाद् शरीफ में है | अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उनके सदक़े हमारी मगफिरत हो
माआख़िज़ व मराजे: अवारिफुल मआरिफ़, शैख़ शहाबुद्दीन, तज़किराए मशाइखे सोहरवर्दिया क़लन्दरिया, ख़ज़ीनातुल असफिया, नफ़्हाते सोहरवर्दिया, बुज़ुर्गो के अक़ीदे, बहजतुल असरार, मिरातुल असरार, अख़बारूल अखियार, नफ़्हातुल उन्स, |
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