बेहरे मारूफ़ू सरी माअरूफ़ दे बेखुद सिरि
जिन्दे हक़ में गिन जुनैदे बा सफा के वास्ते
हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु का इल्मे ग़ैब के बारे में क्या अक़ीदा है?
ख़्वाब में रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़्यारत :- एक रात ख़्वाब में रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम को देखा, हुज़ूर ने फ़रमाया जुनैद लोगों को अपना कलाम सुनाओ, अल्लाह तआला तुम्हारे कलाम को मख्लूक़ के लिए ज़रियाए निजात बनाया है, बेदार हुए तो दिल में ख़याल आया शायद अब मेरा मक़ाम शैख़े तरीक़त से ऊंचा हो गया है इस लिए के रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मुझे हुक्म दिया है, सुबह हुई तो हज़रत शैख़ सिर्री सकती रदियल्लाहु अन्हु ने एक मुरीद को भेजा और हुक्म दिया के जब नमाज़ से जुनैद फारिग हों तो उन से कहना के मुरीदों की ख्वाईश पर वाइज़ शुरू न किया,
मशाइखे बग़दाद की सिफारिश भी रद्द कर दी, मेने पैगाम दिया मगर राज़ी नहीं हुए, अब हुज़ूर सय्यदे आलम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम का हुक्म हो गया है उन का फरमान बजा लाओ,
हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु की आँखें खुल गईं और उन्हें मालूम हो गया के हज़रत शैख़ सिर्री सकती रदियल्लाहु अन्हु उनके ज़ाहिर व बातिन अहवाल से पूरे तौर पर जानते हैं,उन का दर्जा हम से ऊंचा है इस लिए के वो जुनैद के असरार से वाक़िफ़ हैं और जुनैद उन के हालत से बेखबर हैं,
आप के मुरीद का आप का इम्तिहान लेना:
हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु का एक मुरीद आप से नाराज़ हो गया और समझा के उसे भी मक़ाम हासिल हो गया है, अब उसे शैख़ की ज़रूरत नहीं रही एक दिन वो आप का इम्तिहान लेने आया, हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु उस के दिल के हालात से आगाह हो गए, उस ने कोई बात पूछी आप ने फ़रमाया लफ़्ज़ी जवाब चाहते हो या मअनवी? मुरीद ने कहा दोनों जवाब चाहता हूँ,
फ़रमाया लफ़्ज़ी जवाब तो ये है के अगर तू अपना इम्तिहान कर लेता तो मेरा इम्तिहान लेने न आता, और मअनवी जवाब ये है के मेने तुझे विलायत से खारिज किया, इस जुमले के फरमाते ही मुरीद का चेहरा काला हो गया फिर आप ने फ़रमाया के तुझे खबर नहीं औलियाए किराम वाक़िफ़े असरार होते हैं,
और हज़रत अल्लामा नबहानी रहमतुल्लाह अलैह तहरीर फरमाते हैं के हज़रत अबू अब्दुल्लाह मुहम्मद शीराज़ी रहमतुल्लाह अलैह ने जंगल में कुँए पर से एक हिरन को पानी पीते देखा, आप को भी प्यास लग रही थी, आप जब कुँए के क़रीब गए तो हिरन भाग गया और पानी जो ऊपर आ चुका था नीचे चला गया, आप ने अर्ज़ किया क्या ए अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त क्या तेरे नज़दीक वो मेरा मक़ाम भी नहीं जो इस हिरन का है? आप ने एक बोलने वाले की आवाज़ सुनी जो कह रहा था “तुम्हारी आज़माइश की गई मगर तुम सब्र न कर सके,
हिरन तो मशकीज़े और रस्सी के बगैर कुँए पर आया था और तुम ये दोनों चीज़े लेकर आये हो फिर आप ने कुँए की तरफ देखा तो वो भरा हुआ था, आप ने पानी पिया तहारत की और अपना मश्किज़ा भरा, फिर हज को गए और वापस हुए मगर मशकीज़े का पानी ख़त्म नहीं हुआ,
जब आप हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु की खिदमत में हाज़िर हुए तो हज़रत ने आप को देखते ही फ़रमाया के अगर आप थोड़ी देर सब्र करते तो पानी आप के क़दमों के नीचे से बहने लगता और आप के पीछे पीछे चलता रहता, (जामे करामाते औलिया पेज नंबर 494,)
पहले वाक़िए से साबित हुआ के हज़रत शैख़ सिर्री सकती रदियल्लाहु अन्हु के बारे में हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु का ये अक़ीदा था के वो गैब जानते हैं मेरे बातनि अहवाल से पूरे तौर से जानते हैं,
दूसरे वाक़िए में मुरीद के दिल की कैफियत से आगाही को ज़ाहिर फरमा कर आप का ये कहना के औलिया वाक़िफ़े असरार होते हैं,
और हज़रत मुहम्मद शिराज़ी रहमतुल्लाह अलैह को देखते ही उन के कुँए वाले वाक़िए के मुतअल्लिक़ फरमाना इस बात का खुला हुआ सुबूत है के हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु का अपने बारे में भी ये अक़ीदा है के मुझे इल्मे गैब हासिल है,
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ईसाई तबीब (हकीम, डॉक्टर) मुसलमान हो गया :- एक बार हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु को अशोबे चश्म यानि आँखों का मर्ज़ हो गया, आप ने शुरू में इस मर्ज़ की तरफ कुछ तवज्जुह नहीं दी मगर जब तकलीफ ज़्यादा बड़ी और खादिमो ने अर्ज़ क्या के बगदाद में एक माहिर तबीब (हकीम, डॉक्टर) है जो मज़हबन ईसाई है अगर आप की इजाज़त हो तो उसे इलाज के लिए बुलाया जाए, आप ने फ़रमाया जैसी तुम्हारी मर्ज़ी हो,
खादिमो ने दूसरे दिन उस ईसाई तबीब (हकीम, डॉक्टर) को ले आए और इस ईसाई तबीब (हकीम, डॉक्टर) ने आप की आँखों का मुआइना करने के बाद इलाज तजवीज़ करते हुए कहा आप की आँखों का इलाज यही है के इन्हें पानी से बचाया जाए, आप ने इस ईसाई तबीब (हकीम, डॉक्टर) से फ़रमाया में पांच वक़्त वुज़ू करने का आदि हूँ ऐसे में अपनी आँखों को पानी से कैसे बचा सकता हूँ? ईसाई तबीब ने कहा हुज़ूर अगर आप आँखों की सलामती मंज़ूर है तो आप को इन्हें पानी से बचाना होगा आप ने कहा अगर में ऐसा न कर सकूँ? ईसाई तबीब बोला फिर आप की रौशनी जाने का खतरा है और वो मायूसी का इज़हार करते हुए वापस लोट गया और जाते हुए आप के मुरीदों से कहने लगा के अगर तुम अपने मुर्शिद की आँखों को सही सलामत देखना चाहते हो तो फिर उन्हें वुज़ू न करने का मशवरा दो, ईसाई तबीब के जाने के बाद मुरीद और खादिमो ने हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु की खिदमत में हाज़िर हुए और अर्ज़ किया हुज़ूर शरीअत में हमें रियत दी गई है और आप वुज़ू के बजाए तयम्मुम कर लिया करें, आप ने फ़रमाया:
मुझे इस शरई रियायत का बखूबी इल्म है आप ने उस के बाद वुज़ू फ़रमाया और नमाज़े ईशा पढ़ कर सो गए, फिर तहज्जुद के वक़्त उठे और नमाज़े तहज्जुद पढ़ी, जब आप नमाज़े फजर पढ़ने के बाद दिन की रौशनी में मुरीदों और खादिमो की तरफ मुतावज्जेह हुए तो उन्होंने निहायत हैरान कुन मंज़र देखा के आप की आँखों की सुर्खी जाती रही और अशोबे चश्म का मर्ज़ ख़त्म हो चुका था और आप मुकम्मल सेहत याब हो चुके थे, अगले रोज़ ईसाई तबीब एक बार फिर हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु की खिदमत में हाज़िर हुआ ताके आप की आँखों का मुआइना कर सके और जान सके के आप ने उस के मशवरे पर अमल भी क्या है या नहीं मर्ज़ ठीक हुआ के नहीं?
जब वो आप के पास आया तो आप का हाल पूछा? आप ने फ़रमाया अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने मुझे इस बीमारी से निजात देदी ईसाई तबीब बोला के आप ने ज़रूर मेरे मशवरे पर अमल किया होगा? आप ने कहा ऐसा हरगिज़ नहीं आप ने मुस्कुराते हुए मज़ीद कहा के मेने तुम्हारे बताए हुए इलाज के उलट किया और तुम उस मसीहाए हक़ीक़ी की शान देखो के जो पानी तुम्हारे नज़दीक मेरी आँखों के लिए नुकसान था वही पानी मेरे लिए दवा बन गया,
ईसाई तबीब ने हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु की बात सुनी तो हैरत में रह गया और फिर जब उस ने आप की आँखों को देखा तो मर्ज़ का नमो निशान भी बाक़ी न था वो ईसाई तबीब फ़ौरन कहलने लगा ये मख्लूक़ का इलाज नहीं बल्कि खालिक का है और फिर उस इसाई तबीब ने आप के हाथ पर मज़हबे इस्लाम क़बूल कर लिया,
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साहिबे वज्द अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की हिफाज़त में होता है :- हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु के ज़माने में एक बुज़रुग “हज़रत अबुल हसन नूरी रहमतुल्लाह अलैह” भी हुए हैं, आप एक अज़ीम सूफी बुज़रुग औलियाए किराम में शुमार होते हैं, आप इंतिहाई रात भर जाग कर इबादत किया करते थे, एक मर्तबा आप ज़िक्रे इलाही में मशगूल थे के चंद लोगों ने हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु की खिदमत में हाज़िर हो कर अर्ज़ किया के हज़रत अबुल हसन नूरी रहमतुल्लाह अलैह तीन दिन से एक पथ्थर पर बैठे बुलंद आवाज़ से ज़िक्रे इलाही में मशगूल हैं और वो न ही कुछ खाते हैं और न कुछ पीते हैं जब नमाज़ का वक़्त होता है और नमाज़ पढ़ने में मशगूल हो जाते हैं और नमाज़ वक़्त पर अदा करते हैं, आप के चंद मुरीद जो उस वक़्त वहां मौजूद थे उन्होंने जब इन लोगों की बातें सुनी तो कहने लगे के ये फना की अलामत नहीं बल्कि होशियारी की अलामत है,
के फानी शख्स तो नमाज़ पढ़ने का होश भी खो बैठता था, आप ने जब अपने मुरीदों की बात सुनी तो फ़रमाया के ऐसा हरगिज़ नहीं जैसा तुम गुमान करते हो बक्ले हक़ीक़त तो ये है के उन पर वज्दानी कैफियत तारी है और साहिबे “वज्द अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की हिफाज़त में होता है” और यही वजह है के वो नमाज़ अपने मुक़र्ररा वक़्त पर पढ़ते हैं,
फिर हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु हज़रत अबुल हसन नूरी रहमतुल्लाह अलैह के पास तशरीफ़ लाए और कहा के क्या आप रज़ाए इलाही को मुक़द्दम रखते हैं और अगर आप रज़ाए इलाही को मुक़द्दम रखते हैं तो फिर ये शोर क्यों कर रखा है? हज़रत अबुल हसन नूरी रहमतुल्लाह अलैह ने जब आप की बात सुनी तो खामोश हो गए और कहा के ए जुनैद बिलाशुबा तुम मुझ से बेहतर हो,
दोस्त की इयादत करनी चाहिए :- हज़रत अबुल हसन नूरी रहमतुल्लाह अलैह एक बार बीमार हो गए और हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु
उन की इयादत के लिए तशरीफ़ लाए और फल व फूल पेश किए, फिर जब हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु बीमार हुए तो हज़रत अबुल हसन नूरी रहमतुल्लाह अलैह उन की इयादत के लिए अपने मुरीदों के साथ तशरीफ़ लाए और आप का हाल मालूम किया और फिर अपने मुरीदों से कहा तुम सब जुनैद का मर्ज़ खुद पर तक़सीम कर लो, हज़रत अबुल हसन नूरी रहमतुल्लाह अलैह का ये कहना था के हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु का मर्ज़ जाता रहा और आप सेहत याब हो गए, हज़रत अबुल हसन नूरी रहमतुल्लाह अलैह ने रुखसत होते वक़्त आप से कहा के ए जुनैद दोस्तों की इयादत करनी चाहिए,
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“हज़रत शैख़ अबू बक्र शिब्ली बगदादी रहमतुल्लाह अलैह पर आप की रूहानी इनायत व फ़ैज़ो बरकात”
हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु का हलक़ाए इरादत :- बहुत बड़ा था बेशुमार सूफी व औलियाए किराम ने आप की सुहबत से फ़ैज़ो बरकात हासिल किए, और आप के मुरीदों की तादाद हज़ारों में है, जिन होने शुहरते दवाम पाई, आप के एक ऐसे ही बा कमाल और साहिबे इल्मे फ़ज़्ल मुरीद “हज़रत शैख़ अबू बक्र शिब्ली बगदादी रहमतुल्लाह अलैह” भी हैं, हज़रत शैख़ अबू बक्र शिब्ली रहमतुल्लाह अलैह रुजू इललल्ह मुरीद होने से पहले नेहावंद के “हाकिम गवर्नर” थे,
एक बार अब्बासी खलीफा अल मोअतकद बिल्लाह ने अपने महिल में एक दावत का इंतिज़ाम किया और क़ुरबो जवार के तमाम गवर्नर व हाकिम और सरदारों को बगदाद में अपने महिल में दावत दी, तमाम गवर्नर व हाकिम और सरदार खलीफा के महिल में मौजूद थे, और उस वक़्त एक अजीब जशन का समा था, खलीफा अपनी मसनद पर बैठा था और तमाम इलाकों के गवर्नर और सरदार उस के सामने अदब के साथ हाथ बांधकर खड़े थे,
खलीफा इन सब को खिलअत (जोड़ा, लिबास, पोशाक) अता कर रहा था के अचानक एक गवर्नर को छींक आ गई और उसकी नाक बह गई, गवर्नर के पास उस वक़्त कोई रुमाल न था उसने जल्दी में नाक अपनी शाही पोशाक से साफ करली, खलीफा ने इस गवर्नर की ये हरकत देखि तो इंतिहाई ग़ज़बनाक हुआ और उसे उसी वक़्त गवर्नरी से माज़ूल कर दिया और इस की खिलअत छीन कर उसे भरे दरबार से बेइज़्ज़ती के साथ बाहर निकाल दिया,
हज़रत शैख़ अबू बक्र शिब्ली रहमतुल्लाह अलैह भी उस वक़्त गवर्नरों की सफ में खड़े थे इस पूरे मुआमले को देख रहे थे, आप के दिल में ख्याल आया के एक शख्स ने दुनियावी बादशाह के सामने शाही अदाब को न किया और शाही खिलअत की ताज़ीम न की और इस की इस हरकत ने इसे शाही दरबार से रुस्वा कर के निकाल दिया और इस की शाही खिलअत वापस लेली गई जब एक दुनियावी दरबार में एक शख्स को इस तरह ज़लील कर के निकाला गया तो उस शख्स का क्या अंजाम होगा जो हाकिमुल हकीमीन जो हाकिमो का भी हाकिम है उस की दी हुई खिलअत की क़द्र न करेगा और वो अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त का अदब व एहतिराम न रखता होगा,
इस वाक़िए ने हज़रत शैख़ अबू बक्र शिब्ली रहमतुल्लाह अलैह के दिल पर इस क़द्र गहरा असर डाला के आप ने गवर्नरी हुकूमत को छोड़ दिया, और “हज़रत शैख़ खेर नस्साज रहमतुल्लाह अलैह” की बारगाह में हाज़िर हो कर उनके दस्त हक़ परस्त पर बैअत करली,
“हज़रत शैख़ खेर नस्साज रहमतुल्लाह अलैह” ने हज़रत शैख़ अबू बक्र शिब्ली रहमतुल्लाह अलैह को हुक्म दिया के तुम हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु की खिदमत में चले जाओ और उन से रूहानी फ़ैज़ो बरकात हासिल करो, हज़रत शैख़ अबू बक्र शिब्ली रहमतुल्लाह अलैह हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु की खिदमत में हाज़िर हुए और अर्ज़ किया के मुझे इल्म हुआ के आप के पास एक गोहरे नायाब है क्या आप उसे क़ीमतन बेचोगे या फिर बगैर किसी क़ीमत के मुझे अता करेंगें? आप ने फ़रमाया अगर में उसे बेचना चाहूँ तो तुम उसकी क़ीमत हरगिज़ नहीं दे सकोगे,
के इस की कीमत तुम्हारी क़ुव्वते खरीद से बाहर है और अगर में वो गोहरे नायाब तुम्हे मुफ्त में दे दूंगा तो तुम इस की क़द्रो क़ीमत नहीं होती, अगर तुम इस गोहरे नायाब को हासिल करना चाहते हो तो बेहरे तौहीद में ग़र्क़ हो जाओ और खुद को फना कर दो फिर अल्लाह पाक तुम पर सब्रो कुशादगी के दरवाज़े खोल देगा और जब तुम में बर्दाश्त की क़ुव्वत पैदा हो जाएगी वो गोहरे नायाब तुम्हे हासिल हो जाएगा,
हज़रत शैख़ अबू बक्र शिब्ली रहमतुल्लाह अलैह ने हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु से पूछा मेरे लिए क्या हुक्म है? आप ने फ़रमाया तुम एक साल तक गंधक (गंधक एक सफ़ेद व पीला बारूद होता है जिससे बम पटाके बनते हैं) बेचो,
चुनाचे हज़रत शैख़ अबू बक्र शिब्ली रहमतुल्लाह अलैह ने एक साल तक गंधक बेचते रहे और फिर एक साल के बाद हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु की खिदमत में हाज़िर हुए और अर्ज़ किया के में आप की सुहबत में रहना चाहता हूँ, आप ने इजाज़त देदी, हज़रत शैख़ अबू बक्र शिब्ली रहमतुल्लाह अलैह चूंकि गवर्नरी का उहदा छोड़ कर दुर्वेश हुए थे इस लिए इन के मिजाज़ में आजिज़ी इंकिसारी पैदा करने के लिए और इन के दमाग से गवर्नरी की “बू” निकालने के लिए हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु ने इन से फ़रमाया के तुम एक साल तक लोगों से भीक मांगो,
हज़रत शैख़ अबू बक्र शिब्ली रहमतुल्लाह अलैह ने आप के फरमान के मुताबिक भीक मांगना शुरू कर दिया और सारा दिन में जो भी खैरात मिलती शाम को फ़क़ीरों मिस्कीनों में बाँट देते और खुद फ़ाक़ा किया करते थे, भीक मांगने के बीच हज़रत शैख़ अबू बक्र शिब्ली रहमतुल्लाह अलैह को इंतिहाई शर्मिंदगी का सामना करना पढ़ता क्यूंकि लोग जानते थे के आप निहावंद के गवर्नर हाकिम रह चुके हैं और आप को खैरात की कोई ज़रूरत नहीं इसी लिए वो आप को खैरात नहीं देते थे मगर आप हिम्मत न हारते और बावजूद दुशवारी और इंकार के कुछ न कुछ खैरात इकठ्ठी कर लिया करते,
आप ने इस तंगी की शिकायत जब हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु से कही तो उन्होंने फ़रमाया अब तुम्हे इस बात का बखूबी अंदाज़ा हो गया होगा के दुनियादारों के नज़दीक तुम्हारी कुछ हैसियत नहीं है लिहाज़ा तुम अपना दिल दुनिया से न लगाना,
इस दौरान हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु ने हज़रत शैख़ अबू बक्र शिब्ली रहमतुल्लाह अलैह को नया हुक्म दिया के चूंकि तुम निहावंद के गवर्नर हाकिम रह चुके हो और दौरान गवर्नरी तुम कई लोगों से ज़्यादती की होगी लिहाज़ा तुम हर शख्स से जा कर माफ़ी मांगो चुनाचे आप हर शख्स के पास गए और उससे माफ़ी मांगी और जो शख्स वहां नहीं मिला उससे माफ़ी के बदले एक लाख दिरहम खैरात किए मगर इस के बावजूद दिल में खलिश (बेचैनी) बरक़रार थी, आप ने हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु की खिदमत में हाज़िर हो कर अपनी बेक़रारी के मुतअल्लिक़ अर्ज़ किया तो हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया तुम्हारे दिल में अभी हुब्बे जाह (ठाठ बाट) और हुब्बे माल मौजूद है लिहाज़ा तुम मज़ीद एक साल तक भीक मांगो आप ने हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु की बात तस्लीम करली और भीक मांगने चले गए,
पूरे दिन भीक मांगने के बाद जो कुछ भी बतौर खैरात मिलता उसे ला कर हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु की खिदमत में पेश कर देते और वो उसे फ़क़ीरों व मसाकीन में तक़सीम (बाटना) कर देते, एक साल गुज़र गया और हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु ने आप से फ़रमाया अब तुम मेरी सुहबत में रहने के क़ाबिल हो चुके हो लेकिन मेरी सुहबत में रहने के लिए लाज़िम है के तुम फ़क़ीरों की खिदमत करोगे,
हज़रत शैख़ अबू बक्र शिब्ली रहमतुल्लाह अलैह ने हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु की बात मंज़ूर करली फ़क़ीरों की खिदमत करने लगे यहाँ तक के एक साल और गुज़र गया,
एक साल के बाद हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु ने हज़रत शैख़ अबू बक्र शिब्ली रहमतुल्लाह अलैह से कहा तुम अपने नफ़्स को किस मक़ाम पर देखते हो?
आप ने अर्ज़ किया में खुद को तमाम लोगों से अदना दर्जे (छोटा) पर देखता हूँ हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु ने सुना तो फ़रमाया अब तुम्हारा “ईमान” मुकम्मल हो गया,
इस तरह हज़रत शैख़ अबू बक्र शिब्ली रहमतुल्लाह अलैह ने हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु की सुहबत में रह कर सुलूको इरफ़ान की मंज़िलें तय करना शुरू कीं और अल्लाह पाक ने आप को बुलंद मर्तबा अता फ़रमाया और फिर आप की ज़िन्दगी में वो वक़्त भी आया के आप रुश्दो हिदायत के मिम्बर पर रौनक अफ़रोज़ हुए और आप अपने ख़िताब की शोला बयानी से लोगों के सामने हक़ीक़तों असरार व रुमूज़ के कई पहलू ज़ाहिर करने लगे,
हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु को इल्म हुआ तो उन्होंने आप को बुला कर कहा हमने जिन चीज़ों को दफ़न किया तुमने उन्हें अवाम के सामने इस तरह खुले आम बयान करना शुरू कर दिया, आप ने अर्ज़ किया में जिस हक़ीक़त को बयान करता हूँ वो लोगों के अज़हान (ज़हन) से ऊंचा है और मेरा कलाम मिन जानिब है और वो हक़ की जानिब ही लोट जाता है जबके इस दौरान हज़रत शैख़ अबू बक्र शिब्ली रहमतुल्लाह अलैह का वुजूद बाक़ी नहीं रहता हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हुने जब आप की बात सुनी तो फ़रमाया तुम्हारा कहना दुरुस्त है मगर तुम्हारे लिए ये मुनासिब नहीं के तुम इस तरह की बातें बयान करो,
एक दिन हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु की ज़ौजा मुहतरमा (बीवी) अपने घर में बैठी कंगी कर रही थीं के हज़रत शैख़ अबू बक्र शिब्ली रहमतुल्लाह अलैह अचानक घर में दाखिल हुए, हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु की ज़ौजा मुहतरमा (बीवी) ने जब शैख़ अबू बक्र शिब्ली रहमतुल्लाह अलैह को इस तरह घर में दाखिल होते हुए देखा तो पर्दा करना चाहा,
हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु ने इन से फ़रमाया के तुम्हे परदे की ज़रुरत नहीं के इस वक़्त “अबू बक्र शिब्ली” होश में नहीं है इस दौरान हज़रत शैख़ अबू बक्र शिब्ली रहमतुल्लाह अलैह हालते वज्द में हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु के सर पर हाथ मरते हुए ये शेर पढ़ने लगे, “”हमें विसाल का आदी बना दिया है और वो बहुत शीरीं है और मुझे हिज्र में मुब्तला कर दिया है, और वो बहुत सख्त है, इताब में आता है तो कहता है मेरा गुनाह है””
जोशे मुहब्बत में हो तो ये कोई गुनाह नहीं है,
हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु ने अशआर सुने तो सर हिलाते हुए कहा ए “अबू बक्र शिब्ली” ऐसे ही है आप ने सुना तो बेहोश हो कर गिर पढ़े और फिर जब कुछ देर बाद होश आया तो रोने लगे, हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु ने अपनी ज़ौजा मुहतरमा (बीवी) से फ़रमाया तुम अब पर्दा करलो इसे होश आ गया है, (नुज़हतुल बसातीन)
हज़रत शैख़ अबू बक्र शिब्ली रहमतुल्लाह अलैह एक दिन हालते वज्द में थे और इंतिहाई मुज़्तरिब दिखाई देते थे हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु ने देखा तो फ़रमाया तुम अपने काम अल्लाह पाक के सुपुर्द कर दो ताके तुम्हे सुकून की दौलत मिले,
आप ने कहा मुझे सुकून की दौलत तो उस वक़्त मिल सकती है जब अल्लाह पाक मेरे काम मुझ पर छोड़ दे, हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु ने सुना तो फ़रमाया “अबू बक्र शिब्ली” की तलवार से खून टपकता है,
आप के चंद मलफ़ूज़ात शरीफ :- हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु के कुछ इरशादात व मलफ़ूज़ात लिखे जाते हैं जो रुमोज़ू मआरिफ़ का खज़ाना और अहले तरीक़त के लिए बहतीरीन खज़ाना है:
आप इरशाद फरमाते हैं के सूफी ज़मीन की मानिंद होता है के तमाम पलिदी गन्दगी इस पर डाली जाती है और वो सर सब्ज़ हो कर निकलती है फ़रमाया तसव्वुफ़ इज्तिमा से एक ज़िक्र है और इस्मआ से एक वज्द है और इत्तिबा से एक अमल है, तसव्वुफ़ इश्तिकाक सोफ से है और जो इस के मासिवा से बर्गश्ता हुआ वही सूफी है,
सूफी वो है जिस का दिल हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम की तरह दुनिया की तरह दोस्ती से पाक हो और फरमाने खुदा पर अमल करने वाला हो,
उस की तस्लीम हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम की तस्लीम की तरह हो,
और उस का गम हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम की तरह हो और उस का सब्र हज़रत अय्यूब अलैहिस्सलाम की तरह हो,
और उस का ज़ोको शोक हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की तरह हो,
और मुनाजात में उस का इखलास हज़रत सरवरे काइनात रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम की तरह हो,
फ़रमाया के तसव्वुफ़ वो नेमत है के बन्दे का क़याम इस पर मुन्हसिर है लोगों ने पूछा के वो नेमत ख़ल्क़ है या नेमते हक़ है?
तो आप ने फ़रमाया उस की हक़ीक़त अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की नेमत है और उसकी रहमते नेमत ख़ल्क़ है फ़रमाया के तसव्वुफ़ तमाम इलाकों को छोड़ कर के अल्लाह पाक के साथ मशगूल होना है, और फ़रमाया तसव्वुफ़ वो है जो तुझे मरता है और अपने से ज़िंदा करता है,
लोगों ने आप से पूछा के “तौहीद” क्या है?
तो आप ने इरशाद फ़रमाया तौहीद के माने ये हैं के इस में नापैद व ग़ुम हो जाए और उस में छुप जाए ,
फना और बक़ा के बारे में आप फरमाते हैं:
अल्लाह तआला के लिए और फना मासिवा अल्लाह तआला के लिए है,
तजरीद के बारे में आप फरमाते हैं:
हैं ज़ाहिर का अगराज़ से पाक व ख़ाली होना और बातिन का और बातिन का अगराज़ से ख़ाली होना है,
तफ़क्कुर के बारे में आप फरमाते हैं:
इस की कई क़िस्मे हैं अव्वल ये के अल्लाह तआला की आयात में तफ़क्कुर व गौर किया जाए इस की अलामत ये है के इससे मारफअत पैदा होती है दूसरा तफ़क्कुर ये है के अल्लाह तआला की नेमतों और एहसानात में किये जाएं, इससे अल्लाह तआला की मुहब्बत पैदा होती है, और तीसरा तफ़क्कुर है ये है के अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त के वादों में किया जाए के इससे हैबत पैदा होती है, चौथा तफ़क्कुर ये है के अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की ज़ात व सिफ़ात और एहसान में फ़िक्र करना के इससे हया पैदा होती है,
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ज़िक्रो मुजाहिदा :- मन्क़ूल है के आप कुछ दिनों तक एक दरख़्त पर घुमते और हू, हू, कहते लोगों ने आप से पूछा के आप की ये कैसी हालत है? आप ने जवाब दिया के इस पेड़ पर एक फाख्ता है जो कू, कू, कह रही है इस लिए में भी इस की मुवाफ़िक़त में हू, हू, कह रहा हूँ यहाँ तक के रावी का बयान है के जब तक आप खामोश न होते, फाख्ता भी खामोश न होती, और आप मुजाहिदा की इब्तिदा में आँखों में नमक डाल लिया करते थे ताके तमाम रात जागते रहेंऔर आँखों में नींद न आए,
- आप के खुल्फ़ए किराम :-
- आप के सब से मश्हूरो व मअरूफ़ खलीफा हज़रत शैख़ अबू बक्र शिब्ली हैं,
- हज़रत मंसूर हल्लाज जो अनल हक़ कहने के सबब सूली पर चढ़ाए गए,
- हज़रत शाह मुहम्मद अस्वद दीनोरि,
- हज़रत शाह इस्माईल अज़ीज़ रिदवानुल्लाही तआला अलैहिम अजमईन
आप के विसाल के हैरत अंगेज़ वाक़िआत
जब आप को अपने विसाल का इल्म हो गया तो आप ने हुक्म दिया के मुझे वुज़ू कराओ यहाँ तक के आप को वुज़ू कराया गया, वुज़ू कराते वक़्त लोग उँगलियों में खलाल करना भूल गए जब आप ने याद दिलाया तो लोगों ने खलाल भी कराया इस के बाद सजदे में जा कर आप ज़ारों क़तार रोने लगे, लोगों ने कहा के ए हमारे तरीक़त के सरदार बावजूद इस क़द्र इताअतों बंदगी के जो आप आगे भेज चुके हैं, ये सजदा कौन से वक़्त का है? तो आप ने फ़रमाया के जुनैद इस वक़्त से ज़्यादा मुहताज किसी वक़्त न था, फिर आप ने क़ुरआन शरीफ की तिलावत फ़रमाई, तो एक मुरीद ने कहा के हुज़ूर आप क़ुरआन शरीफ पढ़ते हैं? इस के जवाब में आप ने इरशाद फ़रमाया के मेरे लिए इससे बेहतर वक़्त और कोन सा होगा के अनक़रीब मेरा नामए अमाल तह कर दिया जाएगा और में सत्तर 70, साला इबादत को अपनी आँखों से देख रहा हूँ जो हवा में एक बारीक से तार में लटक रही है और तेज़ हवा से हिल रही है में नहीं जानता के ये हवा वसलियत की है या क़तईयत की,
और एक तरफ मुझे पुलसिरात नज़र आ रहा है और दूसरी जानिब मलिकुल मौत को देख रहा हूँ और ऐसे क़ाज़ी को जिस की सिफ़त अद्ल करना है वो तवज्जुह नहीं करता और रास्ते में मेरे सामने है में नहीं जानता के मुझे किस रास्ता से ले जाएगा फिर आप ने क़ुरआन शरीफ ख़त्म किया और सूरह बकरा की सत्तर 70, आयात तिलावत फ़रमाई लोगों ने कहा के हुज़ूर अल्लाह अल्लाह का विरद कीजिए आप ने फ़रमाया मुझे क्यों याद दिलाते हो, मेने उसे फरामोश तो नहीं किया है? फिर आप ने अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की तस्बीह को उँगलियों के पोरों पर पढ़ना शुरू किया जब अंगुश्त शहादत पर पहुंची तो आप ने हाथ उठा कर पढ़ा: “बिस्मिल्ला हिर रहमानिर रहीम” और ऑंखें बंद करलीं और आप का विसाल हो गया, “अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उनके सदक़े हमारी मगफिरत हो”
विसाल के बाद आप को ग़ुस्ल दिया गया और जब ग़ुस्ल देने वालों ने आप की आँखों पर पानी डालना चाहा तो हातिफे गैबी ने आवाज़ दी के अपने हाथों को हमारे दोस्त की आँखों पर न रखो क्यूंकि ऐसी ऑंखें जो हमारे नाम के ज़िक्र से बंद हुई हों वो बगैर हमारे दीदार के न खुलें गी, फिर लोगों ने उँगलियाँ खुलना चाहीं न खोल सके और आवाज़ आयी के जो उँगलियाँ हमारे नाम की तस्बीह से बंद हों वो बिला हमारे हुक्म से न खोल सकेंगें,
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आप के जनाज़ा की रवानगी :- ग़ुस्ल व ग़ैरह से फरागत के बाद जब आप के जनाज़ा मुबारिका को उठाया गया तो सफ़ेद कबूतर आया और जनाज़ा के एक कोने पर बैठ गया लोगों ने उस को उड़ाने की कोशिश की लेकिन वो न उड़ा और जवाब दिया के मुझे और अपने आप को रंज न दो क्यूंकि मेरे पंजे कील इश्क़ से जनाज़े के कोने पर गड़े हुए हैं, आज जनाज़े को उठा ने की तकलीफ न करो क्यूंकि आज आप का कालिब फरिश्तों के हिस्सा में है के अगर तुम शोर गोगा न करते तो आप का जिस्म सफ़ेद बाज़ की तरह हवा में उड़ता होता,
आप का विसाल किस तारिख को हुआ? :- आप का विसाल 27, रजाबुल मुरज्जब जुमे के दिन 297, हिजरी या 298, हिजरी को हुआ, ये अब्दुल मुक़्तदिर बिल्लाह का दौर था,
आप की अज़्दवाजी ज़िन्दगी :- हज़रत जुनैद बग़दादी रदियल्लाहु अन्हु ने सुनते नबवी सलल्लाहु अलैहि वसल्लम पर अमल पैरा होते हुए निकाह किया और निहायत खुशगवार ज़िन्दगी बसर की आप रहमतुल्लाह अलैह अपने अहलो अयाल यानि बाल बच्चों की तमाम ज़रूरियात का ख्याल रखते थे,
आप ने शादी की और आप के बड़े साहबज़ादे का नाम क़ासिल था जिस की निस्बत से आप की कुन्नियत “अबुल क़ासिम” मशहूर हुई, आप ने अपने बेटे क़ासिम की तरबियत ज़ाहिरी व बातिनी पर खुसूसी तवज्जुह दी और आप की नमाज़े जनाज़ा आप के साहबज़ादे क़ासिम रहमतुल्लाह अलैह ने ही पढ़ाई, तरीक़त में खिलाफत और बातनि फैज़ान का मुन्तक़िल करना वरासत करने की तरह नहीं है यही वजह है के आप ने हज़रत अबू मुहम्मद जरिरि रहमतुल्लाह अलैह को अपना जानशीन और ख़लीफ़ए अकबर मुक़र्रर किया इस तरह आप औलादे मुहब्बत की आज़माइश में भी पूरा उतरे,
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आप का मज़ार शरीफ :- आप का मज़ारे मुक़द्दस मक़ामे शोनीज़ में है जो बग़दाद शरीफ में है,
विसाल के बाद का वाक़िया :- आप के विसाल के बाद एक बुज़रुग ने आप को खवाब में देखा और आप से पूछा: नकीरेंन के सवालात आप से किस तरह हुए तो आप ने इरशाद फ़रमाया नकीरेंन आ कर मुझ से कहा तेरा रब कौन है? तो मेने हंस कर जवाब दिया के मेरा रब वो है जिस ने रोज़े अज़ल में इक़रार बंदगी कराया है जो बादशाह को जवाब दे चुका हो एक गुलाम का जवाब देना क्या मुश्किल है जब में ने ये कहा तो वो चले गए और कहा ये तो अभी तक मुहब्बत के सुक्र में है और इसी मस्ती में पड़ा है,
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मआख़िज़ व मराजे (रेफरेन्स) :- तज़किराए मशाइखे क़दीरिया बरकातिया रज़विया, तज़किरातुल औलिया, मसालिकुस सालिकीन, मिरातुल असरार, बुज़ुरगों के अक़ीदे, ख़ज़ीनतुल असफिया जिल्द अव्वल, सफ़ीनतुल औलिया, हयाते जुनैन बगदादी, कशफ़ुल महजूब, जूनेदो बायज़ीद, शजरतुल कमिलीन, हिलयतुल औलिया, तबक़ातुस सूफ़िया
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