अक़ीदा :- ये आग से पैदा किये गए है इनमे भी बाज़ को ये ताक़त दी गई है के जो शक्ल चाहे बन जाये उनकी उम्रे बहुत तवील (लम्बा) होती है उनके शरीरो को शैतान कहते है ये सब इंसान की तरह ज़ीअक़्ल और अरवाह व अजसाम वाले है उनमे तावलीदो तनासुल होता है खाते पीते जीते मरते है
अक़ीदा :- उनमे मुसलमान भी है काफिर भी है मगर उनके कुफ्फार इंसान की बनिस्बत बहुत ज़्यादा है और उनमे के मुसलमान नेक भी है और फ़ासिक़ भी सुन्नी भी है बदमज़हब भी और उनमे फासिको की तादाद बनिस्बत इंसान के ज़ाइद है
अक़ीदा :- इनके बुजूद का इंकार या बदी की क़ुव्वत का नाम जिन या शैतान रखना कुफ्र है
(बहारे शरीयत, क़ानूने शरीयत)
सवाल :- जिन्नात किस दिन पैदा किये गए ?
जवाब :- हज़रत अबुल आलिया फरमाते है जिन्नात को जुमेरात के दिन पैदा किया गया
सवाल :- जिन्नात ज़मीन पर कब आबाद हुए ?
जवाब :- अल्लाह जल्ला शानहु ने हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की पैदाइश से 60000 साल पहले जिन्नात को ज़मीन में बसाया था (तफ़्सीर नईमी)
सवाल :- जिन्नात ज़मीन पर कितने सालो तक आबाद रहे?
जवाब :- जिन्नात ज़मीन पर सात हज़ार साल तक आबाद रहे
सवाल :- जिन्नात को ज़मीन से क्यों भगाया गया और किसने भगाया ?
जवाब :- जिन्नात जब ज़मीन पर आबाद हुए तो उनका आपस में हसद व हक़द शुरू हुआ उन्होंने ज़मीन पर फसाद किया खून बहाया क़त्लो गारत किया इब्लीस जो उस वक़्त तक बहुत मक़बूल बारगाहे इलाही था उसे हुक्म हुआ के अपने साथ फ़रिश्तो की एक जमात ले जा और जिन्नात को ज़मीन से निकाल कर पहाड़ो और जज़ीरो की तरफ धकेल दे चुनाचे इब्लीस ने ऐसा ही किया उसने अपने साथियो के साथ जिन्नात को मार मार कर पहाड़ो और जज़ीरो में भगा दिया
सवाल :- जिन्नात को ज़मीन से भागने का वाक़िया हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की पैदाइश से कितने साल क़ब्ल का है ?
जवाब :- ये वाक़िया हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की पैदाइश से 2000 साल पहले का है ऊपर तफ़्सीरे नईमी का जो कॉल गुज़रा के जिन्नात ज़मीन पर हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की पैदाइश से 60000 हज़ार साल क़ब्ल बसाये गए और सात हज़ार साल तक ज़मीन पर आबाद रहे इससे मालूम हुआ के जिन्नात को ज़मीन से निकालने का वाक़िया विलादते आदम अलैहिस्सलाम से 53000 हज़ार साल पहले पेश आया
सवाल :- जिन्नात की कितनी किस्मे है ?
जवाब :- 1. वो, जिन के पर होते है और वो हवा में उड़ते है 2. वो, जो सापों की शक्ल में रहते है 3. वो, जो इंसानों की तरह है
सवाल :- किस किस्म के जिन्नात से हिसाब व किताब होगा ?
जवाब :- तीसरी किस्म के जिन्नात से यानी जो इंसानो की तरह है
सवाल :- जो जिन्नात हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर ईमान लाएं थे उनकी तादाद कितनी है?
जवाब :- जिन्नात की इस जमाअत की तादाद में इख्तिलाफ है | हज़रत इब्ने अब्बास रदियल्लाहु अन्हुमा फरमाते है की सात जिन थे | हज़रत इब्ने मसऊद रदियल्लाहु अन्हुमा ने फ़रमाया के नो जिन थे बाज़ हज़रात से मरवी है की ये पंद्रह थे | एक रिवायत में है की साठ ऊंटों पर आये थे एक रिवायत में ये है की तिनसों थे एक रिवायत में छः हज़ार की तादाद है और ये भी मरवी है की बारह हज़ार थे इन सब में ततबीक़ ये है की क्योकि कई वफ्द (Team) आये थे मुमकिन है कि किसी में सात हो, नो ही हो किसी में ज़्यादा और किसी में उससे भी ज़्यादा
सवाल :- जो जिन्नात इस्लाम से मुशर्रफ हुए थे उनके नाम क्या है ?
जवाब :- उनके नाम ये है
- हस्सी
- हस्सा
- मनसी
- सासिर
- नासिर
- अलादर
- बयान अलाहम
इबने मसऊद रदिअल्लहुअन्हु फरमाते है की ये नौ थे एक का नाम रदिया था बाज़ ने कहा है उन के सरदार का नाम वरदान था
सवाल:– हुज़ूर सल्लल्लाहुआलेहिवसल्लम पर जो जिन्नात ईमान लाये वो कहा के रहने वाले थे ?
जवाब :- हज़रत मुजाहिद रहमातुल्लाअलेह कहते है ये जिन्नात नसीबैन के रहने वाले थे हज़रत इबने मसऊद फरमाते है की ये असल नखला से आये थे अबू हमजा शिमाल का कहना है बून शीसान के थे हज़रत अकर्मा का क़ौल है के ये जज़ीराये मूसल से आये थे
सवाल:– मुसलमान जिन्नो ने जब हुज़ूर सल्लल्लाहुवसल्लम से ज़ाद व तोशा तलब किया तो आप ने उन के लिए क्या ज़ाद व तोशा मुक़र्रर फ़रमाया ?
जवाब :- हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं के जब उन्हों ने ज़ाद व तोशा तलब तो हुज़ूर सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हड्डियां उनके लिए तोशा और गोबर उनका चारा मकर्रर फ़रमाया और फ़रमाया : हर हड्डी उनके हाथ लगते ही ऐसी होजायेगी जैसी उस वक़्त थी जब खायी गयी थी | यानी गोश्त वाली होकर उन्हें मिलेगी और गोबर में भी वही दाने पायेंगें जो उस रोज़ थे जब वो दाने खाये गए थे पसकोई शख्स भी हड्डी और गोबर से इस्तिंजा न करे
सवाल :- जबले अबू क़ैस पर खड़े होकर जिस जिन्न ने बुतों की हिमायत की थी और हुज़ूर सलल्लाहु अलैहि वसल्लम की दुश्मनी पर काफिरों और मुशरिकों को जोश दिलाया था उसका नाम क्या है ?
जवाब :- उस जिन का नाम मुसअरथा
सवाल :- कुफ्फार व मुशरिकीन को जोश दिलाने वाले उस जिन्न का किस जिन्न ने क़त्ल किया ?जवाब :- उसका नाम समह या मसमह था नबी करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उसका नाम बदल कर अब्दुल्लाह रखा |
सवाल :- उस जिन्न का क्या नाम है जो हज़रत नूह अलैहिस्सलाम से लेकर हुज़ूर सलल्लाहु अलैहि वसल्लम तक हर नबी की खिदमत में हाज़िर होता रहा ?
जवाब :- हज़रत उमर रदियल्लाहु अन्हु बयान करते हैं की हम रसूलुल्लाह सलल्लाहु अलैहि वसल्लम की खिदमत में हाज़िर थे | एक बूढ़ा आदमी लकड़ी हाथ में लिए हुए आया | उसने आपको सलाम किया | हुज़ूर ने सलाम का जवाब दिया और फ़रमाया यह जिन्न की आवाज़ है | फिर फ़रमाया तू कौन है उसने कहा में हामा बिन अलीम बिन क़ैस बिन इब्लीस हूँ | मेने हज़रत नूह अलैहिस्सलाम से भी मुलाक़ात की है और उनके बाद हर नबी से मिलता रहा हूँ अब आपकी खिदमत में हाज़िर हूँ
सवाल :- इब्लीस के बाप और माँ का नाम क्या है ?
जवाब :- उसके बाप का नाम खिबलीस था जिसकी शक्ल शेर या सांप की मानिंद थी और माँ का नाम नबलीस जिसकी शक्ल भेड़िये की मानिंद थी
सवाल :- इब्लीस का नाम इब्लीस क्यों हुआ?
जवाब :- खुदाए पाक की सरीह नाफरमानी और हज़रत आदम अलैहिस्सलाम से बुग्ज़ व ईनाद की वजह से वो खुदाए करीम की हर नेमतों रहमतों से मायूस कर दिया गया | या वो नेकी व बदी को बन्दगाने खुदा के लिए खलत मलत कर देता है इसलिए इब्लीस नाम से मशहूर हो गया
सवाल :- इब्लीस आसमान से दुनिया में किस दिन उतारा गया?
जवाब :- मंगल के दिन
सवाल :- शयातीन की हकीकत क्या है?
जवाब :- वो आग से पैदा किये गए हैं उनको अल्लाह ताला ने ये क़ुदरत दी है की जो शक्ल चाहें इख़्तियार करलें शरीर जिन्नो को शयातीन कहते हैं
सवाल :- क्या इब्लीस क़ौमे जिन्न में से है ?
जवाब :- हाँ यही मशहुर और हक़ है
सवाल :- इब्लीस जन्नत में खजांची कितने साल रहा?
जवाब :- चालीस हज़ार साल
सवाल :- इब्लीस ने अर्शे आज़म का तवाफ़ कितने साल तक क्या ?
जवाब :- चौदह हज़ार साल तक क्या
सवाल :- इब्लीस फरिश्तों के साथ कितने दिनों तक रहा ?
जवाब :- अस्सी हज़ार साल और बीस हज़ार साल तक मलाइका को वाइज़ व नसीहत करता रहा और तीस हज़ार साल तक मलाइका कर्रबीन का सरदार रहा और एक हज़ार साल तक मलाइका रोहानीन का सरदार रहा
सवाल :- फिर इब्लीस मरदूद बार गाह क्यों हुआ जबकि वो मुअल्लिमूलमलाकूत था ?
जवाब :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को सजदा न करने की वजह से
सवाल :- इब्लीस ने मरदूद बारगाह होने से क़ब्ल कितने दिनों तक अल्लाह ताला की इबादत व रियाज़त की
जवाब :- पचास हज़ार साल तक _यहां तक की अगर उसके सजदों को फ़ैलादिया जाये तो ज़मीनो आसमानों में कोई जगह बाक़ी न रहे
हवाला – मख़्ज़ने मालूमात और इस्लामी हैरत अंगेज़ मालूमात
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