सवाल :- हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की विलादत सय्यदना आदम अलैहिस्सलम के कितने साल बाद हुई?
जवाब :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के बाद, दो हज़ार साल के खत्म पर आप रौनक अफ़रोज़ आलम हुए|
दूसरा क़ौल ये है कि आपकी विलादत हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के तीन हज़ार तीन सौ सैंतीस (3337) साल बाद है|
सवाल :- हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम तूफाने नूह के कितने साल बाद वजूद में आये?
जवाब :- आप तूफाने नूह अलैहिस्सलाम के सत्तरह सौ नौ (1709) साल बाद दुनिया में आए|
एक क़ौल यह है कि आपकी विलादत बा सआदत तूफाने नूह के बारह सौ त्रेसठ (1263) साल बाद हुई और तीसरा क़ौल एक हज़ार उन्नासी (1079) साल का है|
सवाल :- हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम से कितने साल पहले दुनिया में तशरीफ़ लाये?
जवाब :- हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम से तक़रीबन दो हज़ार तीन सौ (2300) साल पहले हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम वजूद में आए|
सवाल :- हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम का ज़माना हुज़ूर अकरम सलल्लाहु अलैहिवसल्लम की विलादत से कितने साल पहले का है?
जवाब :- आपका ज़माना सय्यदे काइनात हुज़ूर सलल्लाहु अलैहि वसल्ल्लम की विलादत बा सआदत से तक़रीबन तीन हज़ार सत्तर (3070) साल पहले है|
सवाल :- हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम और नूह अलैहिस्सलाम के बीच कितना फासला है?
जवाब :- आपके और हज़रत नूह अलैहिस्सलाम के बीच दो हज़ार छह सौ चालीस साल का फासला है|
सवाल :- हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम और हज़रत नूह अलैहिस्सलम के बीच कितने नबी भेजे गए?
जवाब :- आपके और हज़रत नूह अलैहिस्सलाम के बीच जो ज़माना गुज़रा है उसमे सिर्फ दो नबी आये हज़रत हूद और हज़रत सालेह अलैहिस्सलाम|
सवाल :- हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के वालिद और वालिदा का नाम क्या है?
जवाब :- आपके वालिद माजिद का नाम “तारख ” था
और मशहूर किताब “अल अजाइबुल किरमानी ” में है के आप तराख के फ़रज़न्दे जलील थे
और आपकी वालिदा का नाम “सानी” था बाज़ ने “नूफा ” और बाज़ ने “लीयूसा ” कहा है|
और ‘बाज़ ने “अमीला ” भी कहा है | और एक रिवायत में ये भी है कि आपकी वालिदा मुहतरमा का नाम बूना बिन्ते “करबन” इब्ने करसि है|
सवाल :- हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलामका सिलसिलए नसब किस तरह है ?
जवाब :- आपका सिलसिलए नसब इस तरह है:
इब्राहीम बिन तारख इब्ने नाखूर इब्ने सारू इब्ने रअवा इब्ने सातेह इब्ने आमिर बिन शालेह अरफहशद इब्ने साम इब्ने नूह इब्ने लामक इब्ने मतोशालेह इब्ने इदरीस इब्ने यारो इब्ने मुलहिल एल इब्ने कैनान इब्ने अनवश इब्ने शीस इब्ने आदम अलैहिस्सलाम| (तफ़्सीर नईमी जिल्द अव्वल)
हज़रत किरमानी ने अपनी किताब “अलअजाइब” में इस तरह बयान किया इब्राहीम इब्ने तारख इब्ने नाखुर शारूख इब्ने रागो इब्ने फालिख इब्ने आमिर इब्ने शालेह इब्ने अरफहसज इब्ने साम इब्ने नूह अलैहिस्सलाम|
सवाल :- हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की जाए विलादत कहाँ है?
जवाब :- आपकी विलादत शहर बाबुल से लगे क़स्बे “कोसी ” में हुई| तफ़्सीर ख़ज़ाईनुल इरफ़ान में फ़रमाया की आपकी जाए पैदाइश “अम्वाज़” के इलाक़े में मुक़ाम “सूस ” है|
सवाल :- हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम तैखाने में कितनी मुद्दत रहे इस वाक़िए की तफ्सील क्या है?
जवाब :- आप तैखाने में कितना अरसा रहे इस सिलसिले में बाज़ कहते है कि सात बरस रहे बाज़ तेहरा बरस और बाज़ सत्रह बरस, बाज़ कहते है कि पंद्रह माह रहे |
नमरूद बिन किनआन बड़ा जाबिर बादशाह था ये लोगो से अपनी पूजा कराता काहिन और नुजूमी कसरत से उसके दरबार में हाज़िर रहते थे नमरूद मतरूद ने एक (शब्) ख्वाब देखा
एक सितारा तुलु हुआ है उसकी रौशनी के सामने आफताब व महताब बिलकुल बेनूर हो गए इससे बहुत ख़ौफ़ज़दा हुआ काहिनो से ताबीर दरयाफ्त की काहिनो ने कहा इस साल तेरी क़लमरू में एक फ़रज़न्द पैदा होगा जो तेरे मुल्क के ज़वाल का बाइस होगा और तेरे दीन वाले उसके हाथ हलाक़ होंगे यह डरने वाली खबर सुनकर नमरूद मरदूद परेशान हुआ और उसने हुक्म दिया जो बच्चा पैदा हो क़त्ल कर डाला जाए मर्द औरतो से अलैहीदा रहे फिर इसकी निगेहबानी और पासबानी के लिए एक मुहकमा क़ायम किया गया|
अल्लाह की तक़दीर कौन टाल सकता है हज़रते इब्राहीम अलैहिस्सलाम की वालिदा माजिदा हामिला हुई काहिनो ने इसकी भी खबर दी की वो बच्चा हमल में आ गया है लेकिन क्योंकि हज़रत की वालिदा मोहतरमा की उम्र कम थी उनका हमल किसी तरह पहचाना न गया जब विलादत बा सआदत का ज़माना क़रीब हुआ तो आपकी वालिदा साहिबा इस तेह खाने में चलीं गयीं जो आपके वालिद मोहतरम ने शहर से दूर खोदकर तैयार किया था|वहां आपकी विलादत हुई और वहीँ आप रहे पत्थरो से उस तहखाने का दरवाज़ा बंद कर दिया जाता था रोज़ाना वालिदा मोहतरमा दूध पिलातीं थी जब वहां पहुँचती तो देखतीं थी की आप अंगूठा चूस रहे है और उससे दूध निकलता है आप बहुत जल्द बढ़ते थे एक महीने में इतना जितना दुसरे बच्चे दुसरे एक साल में|
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सवाल :- हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने कितनी शादियां कीं?
जवाब :- आप ने चार निकाह फरमाए:
- हज़रत हाजरा रदियल्लाहु अन्हा से
- हज़रत सारा रदियल्लाहु अन्हा से
- इन दोनों की विशाल की बाद किनआनीयों की एक साहबज़ादी कनतूरा बिन्ते यकतन फ़रमाया
- उनके इन्तिक़ाल के बाद आने हज़ून बिन्ते ज़ुहैर को अपने अक़्द में लिया|
सवाल :- हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के कितने बेटे थे?
जवाब :- इस बारे में कई अक़वाल मन्क़ूल है आप के आठ बेटे थे हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम हज़रत हज़रा रदियल्लाहु अन्हा के शिकम से हज़रत इस्हाक़ अलैहिस्सलाम हज़रते सारा रदियल्लाहु अन्हा के शिकम से,
- मदाईन
- मदयन
- ज़मरान
- बक्शान
- यशबक
- नूह
यह छह आपकी तीसरी बीवी कंतुरा बिन्ते यकतन के शिकम से है|
एक रिवायत में छह बाद वालों के नाम इस तरह है:
तहशान, ज़मरान, मदयन, मदाईन, सिरज,
अल्लामा जलालुद्दीन सीयूती रहमतुल्लाह अलैह ने आपकी बारह औलाद किराम के नाम बयान फ़रमाया है:
- इस्माईल अलैहिस्सलाम
- इस्हाक़ अलैहिस्सलाम
- मान
- ज़मरान
- साराह
- नफ़श
- नफ़शान
- मीम
- किसान
- सूरह
- लूतान
- नाफिश
हाशिया जलालेंन में है कि आप के चार साहब ज़ादे थे
- इस्माईल अलैहिस्सलाम
- इस्हाक़ अलैहिस्सलाम
- मदयन
- मदायन
और तफ़्सीर नईमी में तफ़्सीर हक़्क़ानी के हवाले से है कि हज़रत हाज़रा रदियल्लाहु अन्हा के शिकम से सात बेटे थे
- इस्माईल
- ज़मरान
- यसकान
- मदान
- मदयान
- अस्बाक
- सोख
सवाल :- हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने बुतखाने के जिन बुतों को तोड़ा था उनकी तादात कितनी थी?
जवाब :- सनमकदा के जिन बुतों को तोड़ा था उनकी तादात बहत्तर थी कुल तिहत्तर बुत थे| बाज़ सोने चांदी के बाज़ लोहे तांबे के और बाज़ पत्थर के और लकड़ी के थे और सबसे बड़ा बुत जिसको आपने छोड़ दिया था वो सोने का था| उसके सर पर जवाहर व जवाहिर से सजा ताज था और दोनों आँखों में दो याक़ूत थे जिससे रात को रौशनी फूटी थी|
सवाल :- हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को जलाने का मशवरा किसने दिया था?
जवाब :- आपको जलाने का मशवरा खुद नमरूद ने दिया था| बाज़ कहते हैं मुशीर फारस का हैनूब नामी शख्स था इस नाफरज़ाम का अंजाम ये हुआ कि अल्लाह तआला ने उसे ज़मीं में धंसा दिया और एक क़ौल ये भी है कि उस शख्स का नाम हैज़न था|
सवाल :- हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को जलाने के लिए कितने दिनों तक लकड़ियां जमा की गईं?
जवाब :- आग जलाने के लिए एक महीने तक बा कोशिस तमाम किस्म किस्म कि लकड़ियां जमा कि गईं थीं|
एक रिवायत में है कि एक साल तक लकड़ियां जमा कि गईं थी|
सवाल :- आतिशे नमरूदी कितने दिनों तक दहकाई गई थी?
जवाब :- नारे नमरूदी सात दिनों तक इस तरह मुश्तइल की गई कि उसके ऊपर परवाज़ करने वाले परिंदे भी जल जाते थे|
सवाल :- आतिशे नमरूदी के शोलो कि बुलंदी कितनी थी?
जवाब :- इस आग की बुलंदी कि इसके शोले अहले शाम को दिखाई देते थे उसकी आवाज़ एक दिन रात कि मुसाफत तक सुनाई देती थी|
सवाल :- जिस माकन में आतिशे नमरूदी दहकाई गई थी उसकी लम्बाई चौड़ाई कितनी थी?
जवाब :- ये पत्थर की चार दिवार थी तीस गज़ लम्बी और बीस गज़ चौड़ी और इस चार दीवारी की बुलंदी तीस गज़ थी|
एक रिवायत ये भी है कि आतिशे नमरूदी की लम्बाई चौड़ाई दस फरसंग थी और एक रिवायत में चार फरसंग है
एक रिवायत में लम्बाई अस्सी हाथ और चौड़ाई चालीस हाथ है|
सवाल :- हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को आतिशे नमरूदी में किस तरह डाला गया था और ये तरीक़ा किसने सिखाया था?
जवाब :- जब आग काफी तौर पर भड़क गई तो सबको फ़िक्र हुई कि इब्राहीम अलैहिस्सलाम को इसमें कैसे डाला जाए इस वक़्त इब्लीस आया और मंजनीक (तोप) बनाने का तरीक़ा सिखाया उसने मंजनीक दोज़ख में देखा था और उस पर रखकर फेकने का मशवरा दिया बाज़ ने कहा कि
मंजनीक बनाने का तरीका हैज़न नामी शख्स ने सिखाया था उसको अल्लाह तआला ने ज़मीन में धसा दिया| क़यामत तक धसता ही जायेगा|
सवाल :- हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को जब नारे नमरूदी के हवाले किए गए उस वक़्त आपकी उम्र कितनी थी ?
जवाब :- उस वक़्त आपकी उम्र 16 साल थी बाज़ ने 26 साल कहा है|
सवाल :- हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को जब “बरहना” आग में डाला जा रहा था उस वक़्त आपको किसने और कैसा लिबास पहनाया?
जवाब :- उस वक़्त हज़रत रुहुल अमीन अल्लाह तआला के हुक्म से हरीर जन्नत की एक कमीज लेकर आए और आपको पहनाया|
सवाल :- हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम नारे नमरूदी में कितनी मुद्दत तशरीफ़ फरमा रहे?
जवाब :- आप आतिशे नमरूद में सात दिन रहे बाज़ ने चालीस दिन और बाज़ ने पचास दिन कहा है|
सवाल :- जब आतिशे नमरूद को ठन्डा हो जाने का हुक्म मिला तो उस वक़्त और कहाँ कहाँ की आग ठंडी हुई?
जवाब :- जिस वक़्त अल्लाह तआला ने आग को सर्द हो जाने का हुक्म फ़रमाया उस वक़्त पूरी दुनिया की आग ठंडी हो गई| दुनिया भर में कोई भी उस दिन आग से कोई फायदा न उठा सका|
एक दूसरी रिवायत के मुताबिक़ सात रोज़| तीसरी रिवायत के मुताबिक़ चालीस और चौथी रिवायत के मुताबिक़ सत्तर रोज़ पूरी दुनिया भर की आग ठंडी रही| आग थी लेकिन हरारत नहीं|
सवाल :- हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की रिसालत की तस्दीक़ सबसे पहले किसने की?
जवाब :- हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की रिसालत कि तस्दीक़ सबसे पहले लूत अलैहिस्सलाम ने की| उस वक़्त जबकि आप आतिशे नमरूद से बसलामत बाहर तशरीफ़ लाए|
सवाल :- हज़रते इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने कितनी उम्र में खुद अपना खतना किया?
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सवाल :- हज़रते इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने कितनी उम्र में खुद अपना खतना किया?
जवाब :- आपने हुक्मे इलाही से अस्सी बरस की उम्र शरीफ में यतशा से अपना खतना फ़रमाया|
एक दूसरी रिवायत के मुताबिक़ एक सौ बीस साल की उम्र में ये रिवायत हज़रत अबू हुरैरा रदियल्लाहु अन्हु की है|
सवाल :- हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की उम्र उस वक़्त कितनी थी जब आप को इस्हाक़ अलैहिस्सलाम की विलादत की खुशखबरी दी गई?
जवाब :- उस वक़्त आपकी उम्र एक सौ बीस साल की थी और हज़रत सारा रदियल्लाहु अन्हा नव्वे साल से ज़ियादा की हो चुकी थीं|
एक दूसरी रिवायत के मुताबिक़ उस वक़्त आपकी उम्र एक सौ बारह साल और हज़रत सारा रदियल्लाहु अन्हा की उम्र निन्नावे साल थी| एक और रिवायत के मुताबिक़ उस वक़्त आपकी उम्र निन्नावे बरस की थी|
सवाल :- हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने बेटे की क़ुबानी का ख़्वाब किस शब् को देखा था?
जवाब :- आपने ज़िल्हिज्जा की आठवीं शब् को ख्वाब देखा था जिसमे बेटे की क़ुबानी का हुक्म था| दिन भर गौर फ़िक्र किया की ये अल्लाह तआला की तरफ से है या सिर्फ मेरा ख्याल| ये पूरा दिन फ़िक्र सोच में गुज़रा| नवीं शब् को फिर यही ख़्वाब देखा तो पहचाना की ये अल्लाह तआला की तरफ से है| इसलिए आठवीं तारीख का नाम योमे तरविया यानी गौर करने का दिन और नवीं तारीख का नाम योमे अरफ़ा यानि पहचानने का दिन रखा गया|
फिर दसवीं शब् आपको वही खाव्ब मुलाहिज़ा फ़रमाया और सुबह को क़ुरबानी पेश की| इसलिए इस दिन का नाम यौमुन्नहर रखा गया|
सवाल :- हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने बाद मौत फिर ज़िंदा होने का मंज़र मुलाहिज़ा करने के लिए अल्लाह के हुक्म से किन परिंदों को ज़िबाह किया था?
जवाब :- इस बारे में मुफ़स्सिरीन किराम के कई क़ौल हैं:
- मोर कबूतर और कव्वा
- मोर मुर्ग और गिद्ध
- मोर और मुर्ग और कबूतर कलिंग (राजहंस)
- मुर्गाबी सीमुर्गा का बच्चा मुर्ग और मौर
सवाल :- हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने ज़िबाह किए हुए परिंदों का गोश्त कितने पहाड़ों पे रखा था और कोनसा हिस्सा आपने अपने पास रखा था?
जवाब :- आपने अल्लाह के हुक्म से परिंदों को ज़िबाह फ़रमाया| उनके पर उखाड़े और कीमा कर के उनके अजज़ा आपस में मिला दिए इस मजमुए के चार हिस्से करके चार या सात पहाड़ों पे रख दिए और सबके सर अपने पास महफूज़ रखे फिर फ़रमाया चले आओ हुक्मे इलाही से| आप जिस जानवर को आवाज़ देते उसके बिखरे हुए पर और अजज़ा इधर उधर उड़ते और आपस में जुड़ते खून के साथ मिलता हुआ उड़ता हुआ आप के पास आता| आप उसे दुसरे परिंदे का सर देते परिंदे का सर देते तो वो क़बूल न करता खुदा उसका सर देते तो जुड़ जाता खुदा की क़ुदरत का ये ईमान अफ़रोज़ नज़ारा हज़रत खलीलुल्लाह अलैहिस्सलाम ने खुद अपनी आखों से देखा|
सवाल :- हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के दीने हनीफ को सबसे पहले किसने रद्दे बदल किया?
जवाब :- दीने इब्राहीमी को सबसे पहले अबू ख्वजाआ बिन आमिर लहि ने रद्दो बदल किया|
सवाल :- हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की माद्री ज़बान कोन सी थी?
जवाब :- आपकी असल ज़बान सुरयानी थी मगर जिस वक़्त आप हिजरत के इरादे से शहर से निकल चुके तो नमरूद मरदूद को इस की खबर मिली| उसने आपको गिरफ्तार कर ने के लिए जासूस भेजा| नमरूद का जासूस आपके पास उस वक़्त पहुंचा कि आप दरया पार कर रहे थे| उस वक़्त अल्लाह तआला ने आप कि ज़बान को सुरयानी से इब्रानी तब्दील फ़रमादि| उस जासूस से आपने कलाम किया मगर वो आप को पहचान न सका|
सवाल :- हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम कि उम्र कितनी हुई?
जवाब :- हज़रत अबू हुरैरा रदियल्लाहु अन्हु की रिवायत के मुताबिक़ आपकी उम्र शरीफ दो सो साल हुई और इमाम नुव्वी रहमतुल्लाह अलैह के मुताबिक़ आप 175 साल इस दुनिया में तशरीफ़ फरमा रहे|
एक क़ौल 195 का भी है|
सवाल :- हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम कि क़ब्रे अनवर कहाँ है
जवाब :– आपकी क़ब्रे पुरअनवार जबरून में है|
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