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सहाबिए रसूल हज़रत सय्यदना उमर फ़ारूक़े आज़म रदियल्लाहु अन्हु की हालाते ज़िन्दगी (Part- 4)
गवर्नरों से शर्तें हज़रत खुजैमा बिन साबित रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है :- के हज़रत उमर फ़ारूक़े आज़म रदियल्लाहु अन्हु जब किसी शख्स को कहीं का वाली (हाकिम,सरपरस्त) मुक़र्रर फरमाते तो उससे चंद शर्तें लिखवा लेते थे पहली शर्त ये के वो तुर्की घोड़े पर सवार नहीं होगा दूसरी शर्त...
सरकार मुफ्तिए आज़म हिन्द मुहम्मद मुस्तफा रज़ा खान नूरी रहमतुल्लाह अलैह की हालाते ज़िन्दगी (Part-2)
सायाए जुमला मशाइख या खुदा हम पर रहे रहिम फरमा आले रहमा मुस्तफा के वास्ते हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द रहमतुल्लाह अलैह आप बगैर फोटो के हज के लिए गए :- हज व ज़ियारत हैरमैन शरीफ फैन की सआदत दो बार आप को तक़सीमे हिन्द (जब हिंदुस्तान का बटवारा नहीं हुआ था) से पहले हासिल हुई...
सरकार मुफ्तिए आज़म हिन्द मुहम्मद मुस्तफा रज़ा खान नूरी रहमतुल्लाह अलैह की हालाते ज़िन्दगी (Part-1)
सायाए जुमला मशाइख या खुदा हम पर रहे रहिम फरमा आले रहमा मुस्तफा के वास्ते आप की विलादत बा सआदत :- आप की विलादत बा सआदत 22, ज़िल्हिज्जा 1310, हिजरी मुताबिक़ 18, जुलाई 1893, ईस्वी बरोज़ पीर बरैली शरीफ में हुई | आप का इसमें गिरामी :- जिस वक़्त आप की पैदाइश हुई उस वक़्त आप के...
हज़रत शैख़ माअरूफ़ करख़ी रदियल्लाहु अन्हु की हालाते ज़िन्दगी
बेहरे मारूफ़ों सरी मारूफ दे बेखुद सरी, जिन्दे हक़ में गिन जुनैदे बासफा के वास्ते आप की विलादत बा सआदत :- आप की विलादत बा सआदत कर्ख में हुई | आप का नाम :- आप का इसमें मुबारक "असदुद्दीन" और मशहूर नाम "माअरूफ़ करख़ी" और कुन्नियत "अबू मेहफ़ूज़" है | आप के वालिद माजिद :- आप के...
शैखुल मशाइख हज़रत बाबा फरीदुद्दीन मसऊद गंजे शकर चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह की हालाते ज़िन्दगी (Part-2)
एक जोगी की क़बीह (बुरी) हरकतों का आपने ख़ात्मा किया :- क़यामे अजूधन (पाक पतन शरीफ) के शुरू ही के दिनों का वाक़िअ है के आप रहमतुल्लाह अलैह जंगल में तशरीफ़ फरमा थे एक बूढ़ी औरत सर पर दूध की हांडी लिए गुज़री | आप रहमतुल्लाह अलैह ने पूछा अम्मा कहाँ से आ रही हो? कहाँ जारी हो? सर...
मुहर्रम के महीने में किस बुज़रुग का उर्स किस तारीख को होता है? Muharram ke mahine mein kis bujurg ka urs kis mahine mein hota hai?
Pic Source - pinterest.com Muharram ke mahine mein kis bujurg ka urs kis mahine mein hota hai? - माहे मुहर्रम मुबारक हो, इस्लामी नया साल मुबारक! माहे मुर्रम को मुहर्रमुल हराम क्यों? कहते हैं :- मुहर्रम लफ्ज़ "हुरमत" से बना है यानी ताज़ीम अहले अरब यानि अरब के रहने वाले...
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