शैखुल आलम शैख़ अहमद अब्दुल हक़ रुदौलवी तौशा बाराबंकवी की हालाते ज़िन्दगी (Part-2)

शैखुल आलम शैख़ अहमद अब्दुल हक़ रुदौलवी तौशा बाराबंकवी की हालाते ज़िन्दगी (Part-2)

शैखुल आलम शैख़ अहमद अब्दुल हक़ रुदौलवी तौशा रहमतुल्लाह अलैह का सिलसिलए नसब :- अमीरुल मोमिनीन ख़लीफ़ए दोम हज़रत उमर फ़ारूक़े आज़म रदियल्लाहु अन्हु, हज़रत शैख़ अब्दुल्लाह रदियल्लाहु अन्हु,हज़रत शैख़ नासिर रहमतुल्लाह अलैह,हज़रत शैख़ मंसूर रहमतुल्लाह अलैह, हज़रत शैख़ सुलेमान रहमतुल्लाह...
शैखुल आलम शैख़ अहमद अब्दुल हक़ रुदौलवी तौशा बाराबंकवी की हालाते ज़िन्दगी (Part-1)

शैखुल आलम शैख़ अहमद अब्दुल हक़ रुदौलवी तौशा बाराबंकवी की हालाते ज़िन्दगी (Part-1)

(1)सिलसिलए आलिया साबिरिया चिश्तिया के मशाइखे इज़ाम की तफ्सीली जानकारी :- सिलसिलए चिश्तिया के सरबराह इमामुल असफिया व आरफीन, मुजतहिद व फ़क़ीह हज़रत सय्यदना हसन बसरी रदियल्लाहु अन्हु की ज़ाते मुबारक है, आप की इस फ़ज़ीलत व बुज़ुरगी का सबब इमामुल मुत्तक़ीन अमीरुल मोमिनीन बाबे शहरे...
हज़रत सय्यदना इमाम मुहम्मद बिन मुहम्मद ग़ज़ाली शाफ़ई रहमतुल्लाह अलैह की हालाते ज़िन्दगी

हज़रत सय्यदना इमाम मुहम्मद बिन मुहम्मद ग़ज़ाली शाफ़ई रहमतुल्लाह अलैह की हालाते ज़िन्दगी

पेशे लफ्ज़ :- पांचवी सदी हिजरी में जो बा कमाल मशाहीर आसमाने इल्मों फ़ज़ल के रौशन सितारे बनकर चमके उनमे “हुज्जतुल इस्लाम हज़रत सय्य्दना इमाम ग़ज़ाली रहमतुल्लाह अलैह” बहुत नुमाया और मुमताज़ हैसियत रखते थे, आप को मुख्तलिफ उलूमो फुनून में महारते ताम्मा हासिल थी,...
माहे जमादियुल उखरा में किस बुज़रुग का उर्स किस तारिख को होता है?

माहे जमादियुल उखरा में किस बुज़रुग का उर्स किस तारिख को होता है?

“माहे जमादियुल उखरा मुबारक” :- जमादि का माना है “बर्फ का जमना” जब इस महीने का नाम रखा गया तब सख्त सरदी ठण्ड थी और कुछ मुल्को में बर्फ पड़ रही थी, तालाब वगैरह जमे हुए थे, इस लिए इसे माहे जमादीउल-अव्वल कहा जाता है, Read this also सरकार महबूबे...
माहे जमादि उल ऊला में किस बुज़रुग का उर्स किस तारिख को होता है?

माहे जमादि उल ऊला में किस बुज़रुग का उर्स किस तारिख को होता है?

“माहे जमादि उल ऊला मुबारक” जमादि का माना है “बर्फ का जमना” जब इस महीने का नाम रखा गया तब सख्त सरदी ठण्ड थी और कुछ मुल्को में बर्फ पड़ रही थी, तालाब वगैरह जमे हुए थे, इस लिए इसे माहे जमादीउल-अव्वल कहा जाता है, माहे जमादि उल ऊला का चाँद देख कर...
हज़रत शैख़ अबुल फ़तह रुकने आलम मुल्तानी सोहरवर्दी की हालाते ज़िन्दगी (Part-2)

हज़रत शैख़ अबुल फ़तह रुकने आलम मुल्तानी सोहरवर्दी की हालाते ज़िन्दगी (Part-2)

हज़रत शैख़ अबुल फ़तह रुकने आलम मुल्तानी सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैह की चंद करामात आप की नज़रे करम से गुमशुदा लड़का घर वापस आ गया :- साहिबे मिर अतुल मनाक़िब: बयान करते हैं के मुल्तान में एक हिन्दू औरत रहती थी जिस का सिर्फ एक ही बेटा था जो के तिजारत के सिलसिले में खुरासान गया...
हज़रत शैख़ अबुल फ़तह रुकने आलम मुल्तानी सोहरवर्दी की हालाते ज़िन्दगी (Part-1)

हज़रत शैख़ अबुल फ़तह रुकने आलम मुल्तानी सोहरवर्दी की हालाते ज़िन्दगी (Part-1)

हज़रत शैख़ अबुल फ़तह रुकने आलम मुल्तानी सोहरवर्दी :- हज़रत शैख़ अबुल फ़तह रुकनुद्दीन ख़ित्तए मुल्तान के औलियाए मशाइख में से हैं, और आप शैख़ सदरुद्दीन के बेटे हैं, और शैख़ बहाउद्दीन ज़करिया मुल्तानी के पोते और हज़रत मखदूम जहानियां जहाँ गश्त के पिरो मुर्शिद हैं, आप की विलादत बा...
हुज्जतुल इस्लाम हज़रत मौलाना अश्शाह मुहम्मद हामिद रज़ा खान की हालाते ज़िन्दगी (Part-2)

हुज्जतुल इस्लाम हज़रत मौलाना अश्शाह मुहम्मद हामिद रज़ा खान की हालाते ज़िन्दगी (Part-2)

हामिदो मेहमूद और हम्माद अहमद कर मुझे मेरे मौला सय्यदी हामिद रज़ाए मुस्तफा के वास्ते आप का फन्ने तारिख गोई (हिस्ट्री) में कमाल :- वालिद माजिद सरकार आला हज़रत रहमतुल्लाह अलैह की तरह हुज़ूर हुज्जतुल इस्लाम रहमतुल्लाह अलैह को फन्ने तारिख गोई (हिस्ट्री) में भी कमाल हासिल था,...
हुज्जतुल इस्लाम हज़रत मौलाना अश्शाह मुहम्मद हामिद रज़ा खान की हालाते ज़िन्दगी (Part-1)

हुज्जतुल इस्लाम हज़रत मौलाना अश्शाह मुहम्मद हामिद रज़ा खान की हालाते ज़िन्दगी (Part-1)

हामिदो मेहमूद और हम्माद अहमद कर मुझे मेरे मौला सय्यदी हामिद रज़ाए मुस्तफा के वास्ते आप की विलादत शरीफ :- आप की विलादत ब सआदत माहे रबीउल अव्वल 1293, हिजरी मुताबिक 1875, ईस्वी में हुई, इसमें मुबारक व लक़ब :- अकीके में आप का नाम हस्बे दस्तूर खानदानी “मुहम्मद”...
हज़रत शैख़ इमाम बर्री क़ादरी रहमतुल्लाह अलैह की हालाते ज़िन्दगी

हज़रत शैख़ इमाम बर्री क़ादरी रहमतुल्लाह अलैह की हालाते ज़िन्दगी

आप का तआरुफ़ :- हज़रत शैख़ इमाम बर्री क़ादरी रहमतुल्लाह अलैह अपने वक़्त के अज़ीम और मशहूर औलियाए किराम से हैं, और आप का तअल्लुक़ सिलसिलए क़ादरिया से था, आप की ज़िन्दगी में ज़ुहदो तक़वा और ज़ज़्ब बहुत नोमाया है आप की बुज़ुर्गी और अज़मत मश्हूरो मारूफ है, आप का इसमें गिरामी :- आप का...