बेहरे मारूफ़ों सरी मारूफ दे बेखुद सरी, जिन्दे हक़ में गिन जुनैदे बासफा के वास्ते
आप की विलादत बा सआदत :- आप की विलादत बा सआदत कर्ख में हुई |
आप का नाम :- आप का इसमें मुबारक “असदुद्दीन” और मशहूर नाम “माअरूफ़ करख़ी” और कुन्नियत “अबू मेहफ़ूज़” है |
आप के वालिद माजिद :- आप के वालिद माजिद का नाम “फ़िरोज़” है |
आप की तालीम व तरबियत :- आप की तालीम व तरबियत सुल्ताने मिल्लत रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के खानवादे यानि बारगाहे हज़रत इमाम अली रज़ा रदियल्लाहु अन्हु में हुई और और आप ही की बारगाह में सुलूक व मारफ़त व इल्मे हिकमत के मनाज़िल को तय फरमाए और आप को “खिलाफत से सरफ़राज़ किया” |
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शुरू में आप गैर मुस्लिम थे, आप के इब्तिदाई यानि शुरू के हालात :- शुरू में आप गैर मुस्लिम थे मगर बचपन से ही आप के कलबो जिगर में इस्लाम की तड़प और जोश व अक़ीदत मौजूद थी आप मुस्लमान बच्चों के साथ नमाज़ पढ़ते और माँ बाप को मज़बहे इस्लाम की तरग़ीब देते रहते आप के वालिदैन ने एक इसाई मुअल्लिम के पास आप को तालीम हासिल करने के लिए बिठा दिया | उस मुअल्लिम ने पहले आप से सवाल किया के बच्चे बताओ के तुम्हारे घर में कितने आदमी हैं? आप ने कहा में और मेरे वालिद और मेरी वालिदाह कुल तीन आदमी हैं तो तुम कहो ईसा तीन खुदाओं में का तीसरा, आप फरमाते हैं के कुफ्र की हालत में भी मेरी गैरत ने ये गवारा न किया के एक के सिवा दूसरे को पुकारूँ इस लिए मेने फ़ौरन इंकार कर दिया इस पर मुअल्लिम ने मुझको मारना शुरू किया वो जिस शिद्दत से मारता में उसी जुर्रत से इंकार करता आखिर आजिज़ होकर उसने मेरे वालिदैन से कहा के इस को क़ैद कर दो | तीन दिन तक क़ैद में रहा और हर रोज़ एक रोटी मिलती थी मगर में उसको छूता तक नहीं और जब मुझे वहां से निकाला गया तो में भाग गया चूंकि में वालिदैन का अकेला ही लड़का था इस लिए मेरी जुदाई से उन्हें सख्त क़लक़ हुआ (रंज गम) और कहने लगे वो जहाँ भी गया है मेरे पास लोट आए वो जिस मज़हब को चाहे इख्तियार करे हम भी उसी के साथ अपना दीन तब्दील (बदलना) कर देंगें चुनाचे में हज़रत इमाम अली रज़ा रदियल्लाहु अन्हु के दस्त हक़ परस्त पर दाखिले इस्लाम होकर इस अनमोल दौलत को अपने साथ लेकर घर वापस हुआ मेरे इस्लाम क़बूल करने की वजह से अल्हम्दुलिल्लाह मेरे वालिदैन करीमैन भी मुस्लमान हो गए |
आप के असातिज़ाए किराम :- आप ने मुकम्मल तालीम व तरबियत हज़रत इमाम अली रज़ा रदियल्लाहु अन्हु की खिदमत में पाई उनके अलावा हज़रते इमामे आज़म अबू हनीफा रदियल्लाहु अन्हु से भी हासिल फ़रमाई और इल्मे तरीक़त हज़रत हबीब राई रदियल्लाहु अन्हु से हासिल की |
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आप सिलसिलए आलिया क़ादिरिया रज़विया के 9,वे नवे इमाम व शैख़े तरीक़त हैं :- हम दम नसीमे विसाल, मुक़्तदाए अहले तरीक़त, रहनुमाए राहे हकीकत, आरिफ़े असरार मारफ़त क़ुत्बे वक़्त हज़रत शैख़ माअरूफ़ करख़ी रहमतुल्लाह अलैह आप बदरे तरीक़त व मुक़्तदाए ताइफ़ मख़सूस थे और वक़्त के सरदार और खुलासाए आरफ़ाने अहिद थे बल्कि अगर आप आरिफ न होते तो मारूफ न होते | आप “हज़रत हबीब राई रदियल्लाहु अन्हु” से मुरीद थे और हज़रत औलियाए ताई रदियल्लाहु अन्हु ने भी आप को नियाबातो खिलाफत से नवाज़ा था आप ने हज़रत दाऊद ताई रदियल्लाहु अन्हु की खिदमत में रियाज़ते शाक़्क़ा तय फ़रमाया और सिद्क़ में ऐसा क़दम रखा के मारूफ हो गए आप अज़ान इस शान से पढ़ते के “जब अशहदु अल्लाहिलाहा इलल्लाहु” कहते हैं के शिद्दते खौफ से रोंगटे और दाढ़ी के बाल खड़े हो जाते और इस क़द्र बेक़रार हो जाते के मालूम होता के अब ज़मीन पर गिर पढेंगें | कई बार रात भर आप की मस्जिद से गिर्याओ ज़ारी की आवाज़ आती और दुआ व इस्तगफार में मशगूल रहते | हज़रत सिर्री सक़्ति रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं के मुझे जो कुछ मिला है वो हज़रत मारूफ करख़ी रदियल्लाहु अन्हु के तुफैल में मिला है हज़रत अब्दुल वहाब का क़ौल है के हज़रत “हज़रत शैख़ माअरूफ़ करख़ी रदियल्लाहु अन्हु” से बड़ा तारिकुद दुनिया मेने किसी को नहीं देखा |आपके तसर्रुफ़ का ये आलम है के आप की क़ब्र मुक़द्दस क़ज़ाए हाजात के लिए तिरयाक़ मानी जाती है आप सिलसिलए आलिया क़ादिरिया रज़विया के 9,वे नवे इमाम व शैख़े तरीक़त हैं |
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आप की आदात व सिफ़ात :- आप को गरीबों और यतीमो से बे पनाह उन्स था | हज़रत सिर्री सक़्ति रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं के मेने ईद के दिन आप को खजूरें चुनते हुए देखा तो मेने दरयाफ्त फ़रमाया के हुज़ूर आप क्या कर रहे हैं? आप ने इरशाद फ़रमाया के मेने इस लड़के को रोता हुआ देखा इससे पूछा के तुम क्यों रो रहे हो? उस बच्चे ने जवाब दिया के में यतीम हूँ और आज ईद का दिन है सब लोग नए कपड़े पहने हुए हैं और मेरे पास कुछ भी नहीं है आपने कहा के में खजूरें चुन रहा हूँ ताके इस को बेच कर इस बच्चे को अखरोट खरीदूँ के ये इस से खेले और इस में मशगूल होने की वजह से न रोए | हज़रत सिर्री सक़्ति रदियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया के में इस काम को अंजाम दे रहा हूँ आप बे फ़िक्र रहें फिर में इस लड़के को अपने साथ लेकर कपड़े की दुकान पर पहुंचा और इस को नए कपड़े खरीद कर पहना दिए और इस काम से मेरे दिल में एक नूर पैदा हुआ और मेरी हालत ही कुछ और हो गई |
आप हमेशा बा वुज़ू रहते :- मन्क़ूल है के एक दिन आप का वुज़ू टूट गया आपने उसी वक़्त तयम्मुम फरमा लिया, लोगों ने अर्ज़ किया के हुज़ूर दरियाए दजला सामने है तयम्मुम क्यों कर रहे हैं? आपने इरशाद फ़रमाया के मुमकिन है के दरियाए दजला तक पहुंचते पहुंचते मेरा दम निकल जाए |
आप की ख़ुश मिजाज़ी की वजह से ज़ईफा “वलियाह” हो गई :- एक बार आप ने दरियाए दजला के किनारे क़ुरआन शरीफ और कपड़े वगैरा रख कर ग़ुस्ल करना शुरू किया उस वक़्त एक ज़ईफा आयी और आप के सामान को लेकर भागने लगी आप ने उस का पीछा किया और एक जगह रुक कर कहा कोई हर्ज नहीं में तुम्हारा भाई मारूफ करख़ी हूँ क्या तुम्हारा कोई लड़का या भाई या शोहर है जो क़ुरआन शरीफ पढ़े? उन्होंने कहा नहीं तो आप ने फ़रमाया के क़ुरआन शरीफ मुझे दे दो और कपड़े ले लो? मेने दुनिया और आख़िरत में हर जगह तुम्हे माफ़ किया ये सुन कर ज़ईफा को इतनी शर्म आयी के उसने तौबा की और आपकी बरकत से “वलियाह” व मुत्तक़िया हो गई |
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आप की दुनिया से बेज़ारी :- हज़रत मारूफ करख़ी रदियल्लाहु अन्हु ने आप के एक दोस्त ने फ़रमाया के हुज़ूर वो क्या चीज़ है जिसने आप को ख़लक़ुल्लाह और इस दुनिया से मुतनफ्फिर करके तन्हाई में बिठा कर खुदा की इबादत में मशगूल कर दिया? किया आप को मौत के डर या क़ब्र का खौफ या दोज़ख के डर या फिर जन्नत की उम्मीद ने ख़ल्वत इख्तियार कराई |
इन सभी सवालात के जवाबात में आप ने इरशाद फ़रमाया के ऐ शख्स तू किया छोटी छोटी और अदना चीज़ों का ज़िक्र करता है “अरे मलिकुल मुल्क व ख़ालिकुल कुल” के सामने इन सब चीज़ों से बे रगबती रखने लगे |
कोड़ों से नफ़्स की इस्लाह :- हज़रत मारूफ करख़ी रदियल्लाहु अन्हु इतने अज़ीम व बुलंद मर्तबे पर फ़ाइज़ होने के बावजूद अपने रब की बारगाह में बड़ी गिरिया वा ज़ारी फरमाते और कभी कभी आप अपने दस्ते मुबारक में कोड़े लेकर अपने को मारा करते और ये कहते “या नफ्सि उखलुसि” ऐ मेरे नफ़्स तू इखलास इख्तियार कर के तू खुलासी पा सके |
आप की कशफो करामात
आप की दुआ से डाकू की बख़्शिश हो गई :- एक मर्तबा एक डाकू गिरफ्तार हुआ हाकिम ने हुक्म दिया के इस डाकू को सूली दे दी जाए | हुक्म पाते ही उस को सूली पर लटका दिया गया और डाकू का सूली ही पर इन्तिक़ाल हो गया | अभी उसकी लाश सूली ही पर थी के उस की तरफ से हज़रत मारूफ करख़ी रदियल्लाहु अन्हु का गुज़र हुआ | लाश को सूली पर लटका हुआ देख कर आप लरज़ गए और उस के लिए दुआए मगफिरत फरमाने लगे के रहमानो रहीम इस शख्स ने अपने किए की सज़ा दुनिया ही में पाली अगर इस की खता माफ़ फरमादे और दारैन में उसे इज़्ज़त बख्श दे तो तेरे बख़्शिश के ख़ज़ानों में कमी नहीं हो सकती फ़ौरन एक गैबी आवाज़ आयी जिसको सारे शहर वालों ने सुना के जो कोई इस सूली वाले शख्स की नमाज़े जनाज़ा पढ़ेगा वो आख़िरत में बड़े रुतबे पाएगा इस गैबी आवाज़ के सुनते ही तमाम के शहर के लोग जमा हो गए और हाथों हाथ उसे सूली से उतारा और ग़ुस्लो कफ़न देकर नमाज़े जनाज़ा पढ़ी और दफन कर दिया रात में एक शाख ने ख्वाब में देखा के क़यामत क़ाइम है और वो डाकू नमाज़ियों के साथ वहां शानदार लिबास पहने हुए मौजूद है उससे पूछा के इतनी अज़ीम दौलत तुझे किस तरह मिली? उसने जवाब दिया के हज़रत मारूफ करख़ी रदियल्लाहु अन्हु की दुआ अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने क़बूल फरमा ली और मेरी बख़्शिश फ़रमा दि |
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फासिको फ़ाजिर लोगो ने आप के हाथ पर तौबा की :- हज़रत मारूफ करख़ी रदियल्लाहु अन्हु एक दिन एक जमात के साथ कहीं जा रहे थे के दरियाए दजला के किनारे नोजवानो की एक जमात को देखा जो फिस्को फ़ुजूर में मुब्तिला थे आप के साथियों ने कहा के हुज़ूर इन के लिए दुआ फरमाइए के अल्लाह तआला इन तमाम बदमाशों को ग़र्क़ करदे ताके इसकी नहूसत फ़ैलने न पाए हज़रत ने फ़रमाया के तुम सब अपने हाथ को उठाओ में दुआ करता हूँ और तुम लोग सिर्फ अमीन कहना सभी ने हाथ उठाए और आपने दुआ की इलाही जिस तरह तूने इन लोगों को इस दुनिया में ऐशो इशरत से नवाज़ा इसी तरह इस जहां में भी ऐश व इशरत अता फरमा आपकी इस दुआ पर आप के साथियों को बड़ा तअज्जुब्ब हुआ और वजह पूछी तो आपने इरशाद फ़रमाया तुम लोग ज़रा देर ठहरो मेरा मक़सद अभी ज़ाहिर हो जाता है जैसे ही थोड़ी देर के बाद इस जमात की नज़र हज़रत पर पड़ी तो उन लोगों ने अपने बाजे गाजे को तोड़ दिया और शराब को फेंक दिया और ज़ारोकतार रोने लगे और तमाम लोग आप के क़दमों पर गिर पड़े और सच्चे दिल से ताइब हो गए हज़रत ने आपने साथियों से फ़रमाया के देख लिया तुम लोगों ने यही मेरी मुराद थी जो हासिल हुई बगैर इस के ये ग़र्क़ हों या उन लोगों को तकलीफ पहुचें |
आप के मशहूर खुलफाए किराम जिन्होंने इस्लाम की अज़ीम खिदमत अंजाम दीं :- हज़रत सिर्री सक़्ति रदियल्लाहु अन्हु, हज़रत शाह मुहम्मद, हज़रत शाह क़ासिम बगदादी, हज़रत उस्मान मगरबी, हज़रत हम्ज़ा खुरासानी, हज़रत अबू नस्र अबरार, हज़रत शाह मुस्तानी, हज़रत शाह अबू सईद, हज़रत इब्राहीम दाऊदी, हज़रत अबुल हसन हारूनी, हज़रत शाह जाफर खालिदी, हज़रत शाह मुहम्मद रूमी, हज़रत शाह मंसूर आरिफ अबू कातिब, हज़रत शाह अब्दुल हक़ हक़ाइक़ आगाह, हज़रत शाह अली रूद बारी रिदवानुल्लाही तआला अलैहिम अजमईन |
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तज्हीज़ व तकफीन :- मन्क़ूल है के जब आप का विसाल हुआ तो तमाम अहले अदियान ने दवा किया के हम आपका जनाज़ा उठाएंगें चुनाचे यहूदी, तरसँ मुस्लमान सब इस के दावेदार थे आप के खादिम ने कहा के हज़रत ने मुझ से वसीयत फ़रमाई है के जो क़ौम मेरा जनाज़ा ज़मीन से उठा लेगी वही क़ौम मेरी तज्हीज़ व तकफीन करेगी इस लिए सब से पहले यहूदियों ने कोशिश की लेकिन जनाज़े को शदीद कोशिश के बावजूद नहीं उठा सके फिर तरसा ने कोशिश की वो भी नाकाम रहे आखिर में मुसलमानो ने जनाज़े को उठा लिया और आप को दफ़न फ़रमाया |
विसाल के बाद आप का दीदार :- हज़रत मुहम्मद बिन हुसैन रिवायत करते हैं के मेने आप को ख्वाब में देखा और पूछा के अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने आप से कैसा मुआमला किया? आप ने इरशाद फ़रमाया के अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने मुझे बख्श दिया | ज़ुहदो तक़वा की वजह से नहीं बल्कि सिर्फ इस बात के बदले जो हज़रते संमाक रदियल्लाहु अन्हु से कूफ़ा में सुनी थी के जो तमाम तअल्लुक़ात से अलग होकर अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की तरफ मुतवज्जेह होता है तो अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त भी अपनी रहमत को उसकी तरफ मुतावज्जेह करता है और तमाम मख्लूक़ को उसकी तरफ फेर देता है उनकी इस बात को सुन कर में अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने की तरफ तमानियत क़ल्बी के साथ मुतावज्जेह हो गया और हज़रत अली रज़ा रदियल्लाहु अन्हु की खिदमत बा बरकत के सिवा तमाम अशग़ाल यानि काम से दस्त बरदार हो गया और एक दूसरी रिवायत है |
आप के मेहबूब खलीफा सिर्री सक़्ति रदियल्लाहु अन्हु से है फरमाते हैं के मेने विसाल के बाद आप को ख्वाब में देखा के अर्शे इलाही के नीचे व रफ्ता खुदरफ़्ता हैं अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने निदा की ऐ फरिश्तों ये कौन है फरिश्तों ने अर्ज़ की ऐ रब्बे ज़ुल्जलाल तू इससे बखूबी वाक़िफ़ है तेरे सामने कोई चीज़ छुपी नहीं अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने इरशाद फ़रमाया के ये माअरूफ़ करख़ी है जो हमारी मुहब्बत व दोस्ती में बेखुद व मतवाला हो गया है और ये बगैर हमारे दीदार के होश में नहीं आएगा और न ही दीदार के सिवा इसे तसल्ली होगी |
आप के मलफ़ूज़ाते शरीफा :- आप फरमाते हैं जवान मर्दों को तीन अलामतें हैं: वादा पूरा करना, बगैर किसी गरज़ के तारीफ करना, और बगैर सवाल किए अता करना, ज़बान को तारीफ से इस तरह बचाना चाहिए जिस तरह के बुराई से, तसव्वुफ़ नाम है हक़ाइक़ के हुसूल और मख्लूक़ के माल व मता से न उम्मीदी और जो शख्स साहिबे फ़क़्र नहीं साहिबे तसव्वुफ़ नहीं, बहिश्त की तलब बगैर अमल के गुनाह है और शफ़ाअत का इन्तिज़ार बगैर सुन्नत की हिफाज़त के एक एक क़िस्म का गुरूर है और रहमत की उम्मीद नाफरमानी की हालत में जिहालत व हिमाक़त है, आखँ को हर तरफ से बंद करले अगरचे सामने परी हो, मुहब्बत तालीम व तरबियत से नहीं बल्कि अताए रब से हासिल होती है रंज व मुसीबत आये तो उसका इलाज उस के छुपाने ही में है, आरिफ अगरचे नेमत नहीं रखता बावजूद इस के वो हमेशा नेमत में है |
आप का विसाले पुर मलाल :- आप का विसाल 2 मुहर्रमुल हराम 200 हिजरी बरोज़ जुमा या इतबार को खिलाफते मामून रशीद खलीफा हफ्तम अब्बासी के एहद में हुआ | आप का मज़ार पुर अनवार बग़दाद शरीफ में है | आप के मज़ार के बारे में खतीब बगदादी इरशाद फरमाते हैं के हज़रत मारूफ करखि रदियल्लाहु अन्हु का मज़ारे मुक़द्दस हाजतें पूरी होने के लिए मुजर्रब है और हज़रत सिर्री सकती रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं के जब तुझे कोई हाजत दर पेश हो तो क़सम दे के “ऐ रब बहक मारूफ करखि हाजत रवाई कर” तो उसी वक़्त दुआ क़बूल हो जाएगी | अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उनके सदक़े हमारी मगफिरत हो |
माआख़िज़ व मराजे :- सफ़िनतुल औलिया, तज़किरातुल औलिया, ख़ज़ीनतुल असफिया, कशफ़ुल महजूब, मसालिकुस्सा लिकीन, तज़किराए मशाइखे क़ादरिया बरकातिया रजविया,
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