सवाल :- हाबील और क़ाबील के साथ जो लड़किया पैदा हुई थी उनके नाम क्या थे ?
जवाब :- हज़रत हव्वा रदियल्लाहु अन्हा के हर हमल में एक लड़का और लड़की पैदा होते थे |
क़ाबील के साथ जो लड़की हुई उसका नाम “अक़लीमा” था और हाबील के साथ जो लड़की हुई उसका नाम “लयोदा” था एक रिवायत ये भी है की हाबील के साथ पैदा होने वाली का नाम “यलोदा” था
सवाल :- हाबील हुए क़ाबील ने क़ुर्बानी के लिए क्या उज़्र पेश किया ?
जवाब :- क़ाबील ने एक अम्बार गेंहू और हाबील ने एक बकरी क़ुर्बानी के लिए पेश की थी |
एक रिवायत ये भी है की हाबील ने एक गाय पेश की थी
इस क़ुर्बानी का मुख़्तसर वाक़िया (Story) यूं है हज़रत हव्वा रदियल्लाहु अन्हा के हर हमल में एक लड़का और लड़की पैदा होते थे और अक़्द का तरीक़ा यूं था की एक हमल का लड़का दुसरे हमल की लड़की से मंसूब किया जाता था | क्योकि आदमी सिर्फ आदम अलैहिस्सलाम की औलाद में मुनहसर थे तो रिश्तों की कोई और सबील न थी क़ाबील के साथ अकलीमा पैदा हुई जो हुस्नो जमाल खत व खाल में बेमिसाल थी और हाबील के साथ “लयोदा” पैदा हुई ये इस क़द्र हसीन न थी जब ये चारो बालिग़ हुए तो इसी दस्तूर के मुताबिक़ हज़रत आदम अलैहिस्सलाम ने लयोदा को क़ाबील के लिए नामज़द किया और अक़लीमा को हाबील के लिए | क़ाबील ने इस तजवीस को नकार दिया और कहा मेरी बहन हसीन है और मेरे साथ रहम में रही | इसका हक़दार में हूँ हज़रत आदम अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया वो तेरे साथ पैदा हुई है लिहाज़ा तेरी बहन है इसके साथ तेरा निकाह हलाल नहीं क़ाबील ने सरकसी करके कहा ये तो आपकी तजवीज़ व रायहै अल्लाह तआला ने ये हुक्म नहीं दिया आपने फ़रमाया अच्छा तुम दोनों एक क़ुर्बानी करो जिसकी क़ुर्बानी मक़बूल हो जाए वही अक़लीमा का हक़दार है उस ज़माने में जो क़ुर्बानी मक़बूल होती थी आसमान से एक आग आकर खा लिया करती थी | हाबील क़ुर्बानी के लिए एक बकरी लाया की वो बकरियां ही पालता था और क़ाबील क्योकि काश्त करता था एक अम्बार गेंहू लाया | नागाह एक बिजली आयी और बकरी को ले गई क़ाबील की क़ुर्बानी छोड़ गई क़ाबील की गुस्से की आग तेज़ हुई और उसने क़त्ले हाबील का अज़्म पक्का कर लिया
सवाल :- जिस वक़्त क़ाबील ने हाबील को क़त्ल किया था उस वक़्त दोनों की उम्र कितनी थी और आदम अलैहिस्सलाम की उम्र कितनी थी ?
जवाब :- क़ाबील ने जब हाबील को क़त्ल किया, उस वक़्त क़ाबील की उम्र पच्चीस साल और हाबील की उम्र बीस साल थी और हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की उम्र एक सो पच्चीस साल थी
सवाल :- क़ाबील ने हाबील को किस जगह क़त्ल किया था ?
जवाब :- क़त्ल का ये हादसा मक्का मुकर्रमा के जबले सौर के पास हिरा की घाटी में वाक़े हुआ था और बाज़ का कॉल है बसरा में जिस जगह मस्जिदे आज़म बानी हुई है
सवाल :- क़ाबील ने हाबील को किस तरह क़त्ल किया था ?
जवाब :- इस बारे में मुख्तलिफ अक़वाल वारिद है कि क़ाबील ने हाबील को किस तरह क़त्ल किया
- हज़रत हाबील सोये हुए थे कि क़ाबील ने एक भारी पत्थर से आप का सर कुचल डाला
- क़ाबील ने आप को लोहे से वार करके मारा
- बाज़ कहते है मिस्ल दरिंदे के काट काट कर शहीद किया
- बाज़ ये भी कहते है क़ाबील ने गला घोटकर आपकी जान ली |
- यह भी शैतान ने जब देखा की उसे क़त्ल करने का ढंग नहीं आता तो इस लईन ने एक जानवर को पकड़ा और उसका सर एक पत्थर पर रखकर ऊपर से दूसरा पत्थर ज़ोर से मारा जिससे वो जानवर उसी वक़्त मर गया ये देख कर क़ाबील ने भी अपने भाई के साथ यही किया
- ये भी मरवी है कि क्योकि अब तक ज़मीन पर कोई क़त्ल नहीं हुआ था तो क़ाबील ने अपने भाई को ज़मीन पर गिराकर उसकी आँखे बंद करता और कभी वो उसको थप्पड़ और घूसे मरता | ये देखकर इब्लीस खसीस उसके पास आया और उसे बतला दिया की एक पत्थर लेकर उसका सर कुचल डाल चुनाचे उसने ऐसा ही किया इब्लीस लईन ने जब देखा की उसने हाबील को कुचल डाला तो ये मलउून दौड़ता हुआ हज़रते हव्वा रदियल्लहु अन्हा के पास और कहा क़ाबील ने हाबील को क़त्ल कर दिया हज़रते हव्वा ने पूंछा क़त्ल क्या होता है उस ने कहा अब वो न खाता है न पीता है न बोलता है न चालता है न हिलता जुलता है हज़रते हव्वा ने कहा शायद उसको मौत आ गयी
सवाल :- क़ाबील ने हाबील को किस दिन क़त्ल किया ?
जवाब :- क़त्ल का ये हादसा मंगल के दिन हुआ था |
सवाल :- जिस वक़्त क़ाबील ने हाबील को क़त्ल किया था उस वक़्त हज़रत आदम अलैहिस्सलाम कहाँ थे ?
जवाब :- उस वक़्त हज़रत आदम अलैहिस्सलाम हज्जे बैतुल्लाह के दिन मक्का मुअज़्ज़मा तशरीफ़ ले गए थे एक रिवायत ये भी है की हाबील जंगल में बकरियों को चरा रहा था | उसको आने देर लग गयी तो उन्हें बुलाने के लिए हज़रत आदम अलैहिस्सलाम ने क़ाबील को भेजा | ये एक छुरी अपने साथ छुपाकर चला और रास्ते में ही दोनों भाई की मुलाक़ात हो गयी | क़ाबील ने कहा में तुझे मार डालूँगा की तेरी क़ुर्बानी क़ुबूल हुई मेरी नहीं इस पर हाबील ने कहा अल्लाह मुत्तक़ियों ही की क़ुर्बानी क़बूल फरमाता है इस पर वो बिगड़ा और छुरी से हमला कर दिया |
सवाल :- क़ाबील हाबील की लाश कितने दिनों तक लेकर फिरता रहा ?
जवाब :- क़त्ल हाबील के बाद क़ाबील को ये फ़िक्र हुई की अब इस लाश को क्या करूँ इसी फ़िक्र में चलीस रोज़ तक पुश्त पर लादे बियाबान में सरगर्दां रहा |एक रिवायत में ये भी है कि साल भर तक उस लाश को अपने कंधे पर लेकर फिरता रहा |
सवाल :- क़ाबील ने हाबील की लाश को किस तरह दफ़न किया था ?
जवाब :- क़ाबील बाद क़त्ल हाबील से हैरान हुआ की अब इस लाश का क्या करूँ क्योंकि उस वक़्त तक कोई इंसान मारा नहीं था | पुरअफ्शां उस सिम्त हर तरफ फिरता रहा आखिर एक रोज़ ये मंज़र देखा की दो कव्वे आपस में लड़े उन में से एक ने दुसरे को मार डाला |फिर ज़िंदा कव्वे ने अपनी चूंच और पंजों से गड़ा खोद कर के मुर्दा कव्वे को लाया और उसमे रख कर उसपर खाक डाल दी कि मुर्दा कव्वे की लाश को दफ़न करना चाहिए चुनाचे उसने भी इसी तरह हाबील को खाक में दबा दिया |
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सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को हाबील के क़त्ल का इल्म कितने दिनों बाद हुआ और कैसे ?
जवाब :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम ने ज़ियारत हरम से वापसी की तो तमाम बेटे इस्तकबाल के लिए हाज़िर हुए मगर हाबील न आया | आपने हाबील को न पाकर जुस्तुजू की मगर कहीं पता नहीं चला आप सात दिन रात हाबील की सहरा में तलाश फरमाते रहे आठवीं रात को आपने ख्वाब देखा की हाबील खड़ा पुकार रहा है या अबताहुल गियास आप घबरा कर चौंक पड़े और एक चीख मारकर बेहोश हो गए जब होश आया तो रूहुल अमीन को देखा की तशरीफ़ फार्मा हैं आपने बेताबी से फ़रमाया जिब्राइल हाबील की कैफियत से कुछ वाक़िफ़ हो में अभी ख्वाब में बहाल मज़लूम व बेचारा देख चुका हूँ और वो फर्यादरसी चाहता है | जिब्राइल अलैहिस्सलाम ने कहा रब्बे तआला फरमाता है अज़िम अज़रुका तुम्हारा सवाब ज़बरदस्त हो गया कि क़ाबील ने हाबील को क़त्ल कर दिया और वो इसी वजह से फर्याद करता है मगर उस वक़्त से अबतक कोई उसकी फर्याद को न पहुंचा और इसी तरह वो फर्याद करता हुआ रोज़े क़यामत उठेगा |
आदम अलैहिस्सलम जिब्राइल अलैहिस्सलाम को साथ लेकर हाबील की क़ब्र पर पहुंचे और इस क़द्र गम के आंसू बहाये की आसमान के मलाइका के दिल हिल गए |
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम हाबील के गम में कितने सालों तक रोते रहे ?
जवाब :- हज़रत आदम क़त्ले हाबील के गम में चालीस साल तक रोते रहे और सौ साल तक आप को हंसी नहीं आयी
(औराक़े गम . इस्लामी हैरत अंगेज़ मालूमात)
सवाल :- क़ाबील को क़त्ले हाबील की सजा दुनिया में क्या मिली और आख़िरत में क्या मिलेगी ?
जवाब :- हज़रत मुजाहिद का क़ौल है की क़ाबील को एक पैर की पिंडली को रान से लटका दिया गया और उसका मुँह सूरज की तरफ कर दिया गया की सूरज के घूमने के साथ घूमता रहता है जाड़ो और गर्मियों में आग और बर्फ के गड़े में वो अज़ाब दिया जाता है
(रुहुल बयान जिल्द अव्वल)
हज़रत अब्दुल्लाह से मरवी है कि आख़िरत में इस क़त्ल की घिनौनी हरकत में तमाम अज़ाबे जहन्नम का आधा हिस्सा उसके लिए है और सबसे बड़ा अज़ाब ये है की ज़मी के हर क़त्ल का हिस्सा उसके ज़िम्मे है |
सवाल :- क़ाबील की हलाकत कैसे हुई ?
जवाब :- क़ाबील को उसी के बेटे ने जो की अँधा था मार मार कर हलाक कर दिया
(रुहुल बयान जिल्द अव्वल इस्लामी हैरत अंगेज़ मालूमात )
हज़रत हव्वा रदियल्लाहु अन्हा के बारे में
सवाल :- हज़रत हव्वा रदियल्लाहु अन्हा की पैदाइश तख़लीक़ आदम के कितने दिनों बाद हुई ?
जवाब :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की पैदाइस के एक हफ्ते बाद दुसरे जुम्मे को हज़रत हव्वा रदियल्लालहु अन्हा ज़ीनत बख्श आलम हुई |
सवाल :- हज़रत हव्वा रदियल्लाहु अन्हा की पैदाइश कहाँ हुई ?
जवाब :- आपकी जाए पैदाइश में इख्तलाफ है :
हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास और हज़रत इब्ने मसऊद रदियल्लाहु अन्हुमा फरमाते है, हज़रत हव्वा जन्नत में पैदा हुईं | सय्यदना आदम अलैहिस्सलाम एक दिन सो रहे थे की उनकी पसली से इनको पैदा फरमा दिया गया |
हज़रत उम्र फारूक और दुसरे साहबा रदियल्लाहु अन्हुमा ने रिवायत फ़रमाई है की फरिश्तों ने हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को नूरी लिबास पहनाया | उनके सर पर ताज रखा, सोने के तख़्त आली बख्त पर बिठाया | हज़रत हव्वा रदियल्लाहु अन्हा को मुख्तलिफ किस्म के ज़ेवरों से आरास्ता व पैरास्ता किया | और उन दोनों को जन्नत में पहुंचा दिया गया | इस रिवायत से मालूमात हुआ की हज़रत हव्वा रदियल्लाहु अन्हा की पैदाइश भी ज़मीन पर हुई |
सवाल :- हज़रत हव्वा रदियल्लाहु अन्हा का नाम “हव्वा ” क्यों रखा गया ?
जवाब :- आपका नाम “हव्वा” इसलिए है कि यह लफ्ज़ “हय्यी” से बना है जिसके मानी है जिन्दा | क्योकि आप, ज़िंदा इंसान हज़रत आदम अलैहिस्सलाम से पैदा हुई | इस मुनासिबत से आपका नाम “हव्वा ” रखा गया | या यह की आप हर जिन्दा इंसान के वाल्दा है इसलिए आपको हव्वा कहा गया या ये लफ्ज़ “हव्वा” हौत से बना है इसके माने है सुर्खी माइल बा सियाही क्योकि आप के होठ मुबारक का रंग ऐसा ही था इस मुनासिबत से आप का नाम हव्वा रख दिया गया |
सवाल :- हज़रते हव्वा रदियल्लाहु अन्हा का क़द मुबारक कितना था ?
जवाब :- आप का क़द मुबारक भी साठ हाथ लम्बा था |
(तफ़्सीर नईमी जिल्द अव्वल )
सवाल :- हज़रते हव्वा रदियल्लाहु अन्हा के कितने गेसू थे ?
जवाब :- आप के सात सो गेसू थे
सवाल :- हज़रते हव्वा रदियल्लाहु अन्हा आदम अलैहिस्सलाम की वफ़ात के बाद कितने साल दुनिया में रही ?
जवाब :- आप हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के विसाल के बाद साढ़े साठ साल ज़िंदा रहीं |
एक दूसरी रिवायत के मुताबिक़ हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के रेहलत फरमाने के बाद सिर्फ एक साल दुनिया में रही |
सवाल :- हज़रते हव्वा रदियल्लाहु अन्हा की उम्र कितनी हुई ?
जवाब :- आप की उम्र शरीफ नौ सौ सत्तानवे साल हुई |
सवाल :- हज़रते हव्वा रदियल्लाहु अन्हा की क़ब्र शरीफ कहा है ?
जवाब :- आप क़ब्रे अनवर जद्दा शरीफ में है
(इस्लामी हैरत अंगेज़ मालूमात)
हवाला – तफ़्सीर नईमी जिल्द अव्वल इस्लामी हैरत अंगेज़ मालूमात
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