फरमाने मुस्तफा ﷺ अगर मेरी 40 लड़कियां भी होतीं तो यके बाद दीगरे में उन सब का निकाह ऐ उस्मान तुम से कर देता :- तक़रीबन एक लाख चौबीस हज़ार अम्बियाए किराम अलैहिमुस्सलाम इस दुनिया में मबऊस (भेजे गए) फरमाए गए | या कुछ कम व बेश दो लाख चौबीस हज़ार अम्बियाए किराम अलैहिमुस्सलाम ने अपने क़ुदूमे मेमनत लुज़ूम से इस दुनिया को सरफ़राज़ फ़रमाया, वो लोग साहिबे औलाद भी हुए लड़के वाले हुए और लड़की वाले भी हुए तो जिन लोगों के साथ अम्बियाए किराम अलैहिमुस्सलाम ने अपनी साहबज़ादियों को मंसूब फ़रमाया वो यक़ीनन इज़्ज़त व अज़मत वाले हुए हैं | इस लिए के अल्लाह तआला के नबी का दामाद होना एक बहुत बड़ा मर्तबा है जो खुश नसीब इंसानों ही को नसीब हुआ है | मगर इस सिलसिले में जो ख़ुसूसियत और जो इंफिरादियत हज़रत सय्यदना उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु को हासिल है वो किसी को नहीं के हज़रते आदम अलैहिस्सलाम से लेकर हुज़ूर ख़ातिमुल अम्बिया सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तक किसी के निकाह में नबी की दो बेटीयाँ नहीं आयीं हैं लेकिन हज़रत सय्यदना उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु के निकाह में सिर्फ नबी नहीं बल्के नबीयुल अम्बिया, सय्यदुल अम्बिया, हुज़ूर अहमदे मुज्तबा मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की “दो साहबज़ादियाँ यानि दो बेटीयाँ” एक के बाद दूसरी आपके निकाह में आयीं और सिर्फ यही नहीं बल्के हज़रते अली रदियल्लाहु अन्हु से यहाँ तक रिवायत है की उन्होंने फ़रमाया के रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का ये इरशाद सुना है के आप हज़रत सय्यदना उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु से फरमा रहे थे के “अगर मेरी 40 लड़कियां भी होतीं तो यके बाद दीगरे में उन सब का निकाह ऐ उस्मान तुम से कर देता यहाँ तक के कोई भी बाक़ी नहीं रहती | (तारीख़ुल खुलफ़ा)

आपको ज़ुन्नुरेन क्यों कहा जाता है? :- हज़रते बहकी रहमतुल्लाह अलैह ने लिखा है के अब्दुल्लाह जोफी रहमतुल्लाह अलैह बयान फरमाते हैं के मुझ से मेरे मामू हुसैन जोफी रहमतुल्लाह अलैह दरयाफ्त (मालूम करना पूछना) क्या के तुम्हे मालूम है के हज़रते उस्माने गानी रदियल्लाहु अनहु का लक़ब “ज़ुन्नुरैन” क्यों है? मेने कहा नहीं | उन्होंने कहा के हज़रत आदम अलैहिस्सलाम से लेकर हुज़ूर सलल्लाहु अलैहि वसल्लम तक हज़रते उस्माने गानी रदियल्लाहु अनहु के अलावा किसी किसी शख्स के निकाह में किसी नबी की दो बेटियां नहीं एक हज़रते रुक़य्या दूसरी हज़रते उम्मे कुलसूम रदियल्लाहु अन्हा आयीं इसी लिए आपको “ज़ुन्नुरैन” कहते हैं | आला हज़रत मुहद्दिसे मुजद्दिदे बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं |

नूर की सरकार से पाया दो शाला नूर का हो मुबारक तुम को ज़ुन्नुरैन जोड़ा नूर का (हदाइके बख़्शिश)

बदरी सहाबा में आपका शुमार :- हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ऐलाने नुबुव्वत से पहले अपनी साहबज़ादी हज़रते रुकय्या रदियल्लाहु अन्हा का निकाह आप रदियल्लाहु अनहु से किया था जो ग़ज़वए बदर के मौके पर बीमार थीं और आप इन्ही की तीमारदारी यानि देखभाल के सबब हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अनहु इस जंग में शरीक नहीं हो सके और हुज़ूर अक़दस सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की इजाज़त से मदीना तय्यबा ज़ादाहल्लाहु शरफऊं व ताज़ीमा ही में रह गए थे मगर चूंकि हुज़ूर अक़दस सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अनहु को बदर के माले गनीमत से हिस्सा अता फ़रमाया था इस लिए आप रदियल्लाहु अनहु बदरियों में शुमार किये जाते हैं | ग़ज़वए बदर में मुसलमानों के फ़तेह पाने की खुश खबरी लेकर जिस वक़्त हज़रत ज़ैद बिन हारसा रदियल्लाहु अनहु मदीना मुनव्वरा ज़ादाहल्लाहु शरफऊं व ताज़ीमा पहुंचे उस वक़्त हज़रते रुक़य्या रदियल्लाहु अन्हा को दफ़न किया जा रहा था | उन के इन्तिक़ाल फरमा जाने के बाद हुज़ूर सय्यदे आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अपनी दूसरी साहबज़ादी हज़रते उम्मे कुलसूम रदियल्लाहु अन्हा का निकाह हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अनहु से कर दिया तो उनका भी 9 हिजरी में विसाल हो गया | अर्ज़ ये है की इस तरह हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अनहु “ज़ुन्नुरैन” हुए |

आप की औलाद :- हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अनहु के एक साहबज़ादे हज़रत बीबी रुकय्या रदियल्लाहु अन्हा के शिकमे मुबारक से पैदा हुए थे जिन का नाम “अब्दुल्लाह रदियल्लाहु अनहु” था | वो अपनी माँ के बाद 6 बरस की उमर पाकर इन्तिक़ाल कर गए और हज़रत बीबी उम्मे कुलसूम रदियल्लाहु अन्हा से आप की कोई औलाद नहीं हुई |

आप का नाम व नसब :- आप रदियल्लाहु अनहु का नाम “उस्मान” कुन्नियत अबू उमर और लक़ब “ज़ुन्नुरैन” है | आप का सिलसिलाए नसब इस तरह है, उस्मान बिन अफ्फान बिन अबुल आस बिन उमय्या बिन अब्दे शमश बिन अब्दे मनाफ़, यानि पांचवी पुश्त में आप रदियल्लाहु अनहु का सिलसिलाए नसब रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के शजरए नसब से मिल जाता है | आप की नानी उम्मे हकीम जो अब्दुल मुत्तलिब की बेटी थीं वो हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के वालिदे गिरामी हज़रत अब्दुल्लाह रदियल्लाहु अनहु के साथ एक ही पेट से पैदा हुई थीं, इस रिश्ते से हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अनहु की वालिदा हुज़ूर सय्यदे आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की फूफी की बेटी थीं, आप रदियल्लाहु अनहु की पैदाइश आमुल फील के 6 साल बाद हुई |

मज़हबे इस्लाम क़बूल करने पर आप पर मुसीबतें :- हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अनहु उन हज़रात में से हैं जिनको हज़रत अबू बकर सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु ने इस्लाम की दावत दी थी | हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अनहु क़दीमुल इस्लाम हैं यानि आप शुरू इस्लाम ही में ईमान ले आए थे | इबने इस्हाक़ रहमतुल्लाह अलैह कहते हैं के आप रदियल्लाहु अन्हु ने हज़रत अबू बक़र सिद्दीक़, हज़रते अली और हज़रते ज़ैद बिन हारसा रदियल्लाहु अन्हुम के बाद इस्लाम क़बूल किया |

दुनिया छोड़ सकता हूँ पर ईमान नहीं :- इबने सअद रहमतुल्लाह अलैह मुहम्मद बिन इब्राहीम रदियल्लाहू अन्हु से रिवायत करते हैं हज़रत उस्मान गनी रदियल्लाहु अन्हु जब हलका बगोशे इस्लाम हुए तो उनका पूरा खानदान भड़क उठा यहाँ तक के आप का चचा हकम बिन अबिल आस इस क़द्र नाराज़ और बरहम हुआ के आप को पकड़ कर एक रस्सी से बाँध दिया और कहा के तुम ने अपने बाप दादा का दीन छोड़ कर एक दूसरा नया मज़हब इख़्तियार कर लिया है | जब तक के तुम इस नए मज़हब को नहीं छोड़ोगे हम तुम्हे नहीं छोड़ेंगे इसी तरह बांध कर रखेगें | ये सुनकर आप रदियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया: ख़ुदाए ज़ुल्जलाल की क़सम मज़हबे इस्लाम को में कभी नहीं छोड़ सकता और न कभी इस दौलत से दस्त बरदार हो सकता हूँ, मेरे जिस्म के टुकड़े टुकड़े कर डालो ये हो सकता है मगर दिल से दीने इस्लाम निकल जाए ये हरगिज़ नहीं हो सकता | हकम बिन अबिल आस ने जब इस तरह आप रदियल्लाहु अन्हु का इस तकलाल देखा तो मजबूर हो कर आपको रिहा कर दिया यानि आपको छोड़ दिया |

आप का हुलिया मुबारक :- हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अनहु का हुलिया और सरापा इब्ने असाकर रहमतुल्लाह अलैह ने चंद तरीकों से इस तरह बयान करते हैं के आप रदियल्लाहु अन्हु दरमियानी क़द के ख़ूबसूरत शख्स थे | रंग में सफेदी के साथ सुर्खी भी शामिल थी, चेहरे पर चेचक के दाग थे जिस्म की हड्डियां चौड़ी थीं | कंधे काफी फैले हुए थे पिंडलियाँ भरी हुई थीं, हाथ लम्बे थे जिन पर काफी बाल थे, दाढ़ी बहुत घनी थी, सर के बाल बहुत घुँघरियाले थे, दांत बहुत खूसूरत थे और सोने के तार से बंधे हुए थे, कनपटियों के बाल कानो के नीचे तक थे और पिले रंग का ख़िज़ाब किया करते थे | और इब्ने असाकर रहमतुल्लाह अलैह ने अब्दुल्लाह बिन हज़म माज़नी रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत करते हैं उन्होंने फ़रमाया के मेने हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अनहु को देखा तो मेने मरदों और औरतों में से किसी को उन से ज़्यादा हसीन और ख़ूबसूरत नहीं पाया | (तारीख़ुल खुलफ़ा,तारीखे मदीना दमिश्क़)

ऐसा जोड़ा कभी न देखा :- और इब्ने असाकर रहमतुल्लाह अलैह ने हज़रते उसामा बिन ज़ैद रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत करते हैं के एक बार हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मुझे गोश्त का एक बड़ा प्याला देकर हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अनहु के पास भेजा जब में आप रदियल्लाहु अन्हु के घर दाखिल हुआ तो हज़रते बीबी रुकय्या रदियल्लाहु अन्हा भी बैठी हुई थीं | में कभी हज़रते बीबी रुकय्या रदियल्लाहु अन्हा के चेहरे की तरफ देखता था और कभी हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अनहु की सूरत देखता था | जब में आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम
के घर से वापस होकर रसूले अकरम हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खिदमते मुबारक में हाज़िर हुआ तो रसूले मक़बूल हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मुझ से मालूम किया के उसामा “उस्मान” के घर के अंदर तुम गए थे? मेने अर्ज़ की या रसूलल्लाह जी हाँ में घर के अंदर गया था, हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया क्या तुम ने इन मियां बीबी से हसीन व खूबसूरत किसी मियां बीबी को देखा है? मेने अर्ज़ की या रसूलल्लाह हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम कबि नहीं देखा | (तारीख़ुल खुलफ़ा)

अम्बिया से मुशाबहत :- हज़रत इबने अदी रहमतुल्लाह अलैह हज़रते आएशा सिद्दीक़ा रदियल्लाहु अन्हा से रिवायत करते हैं उन्होंने फ़रमाया के रसूले मक़बूल हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अनहु के साथ अपनी साहबज़ादी उम्मे कुलसूम का निकाह किया तो उन से फ़रमाया के “तुम्हारे शोहर उस्माने गनी” तुम्हारे दादा हज़रते इब्राहीम अलैहिस्सलाम और तुम्हारे बाप मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से शक्ल व सूरत में बहुत “मुशाबहत” रखते हैं | (तारीख़ुल खुलफ़ा)

Aapka Mazar Sharif Madina Sharif Ke Qabristan Jannatul Baqi Me Hai
           हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अनहु और आयाते क़ुरआनी 

अब कोई अमल नुकसान न पहुंचाएगा :- हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अनहु के हक़ में भी क़ुरआने मजीद की आयाते करीमा नाज़िल हुई हैं |
जंगे तबूक का वाक़िया ऐसे वक़्त में पेश आया जब के मदीना मुनव्वरा ज़ादाहल्लाहु शरफऊं व तअज़ीमा में सख्त कहित (सूखा) पड़ा हुआ था और आम मुसलमान बहुत ज़्यादा तंगी में थे | यहाँ तक के दरख्त की पत्तियां खाकर गुज़ारा करते थे | इसी लिए इस जंग के लश्कर को “जैशे उसरा” कहा जाता है यानि तंग दस्ती का लश्कर |
तिरमिज़ी शरीफ में है हज़रत अब्दुर रहमान बिन खुबाब रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है के वो फरमाते हैं के हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खिदमत में उस वक़्त हाज़िर था जब के आप जैशे उसरा की मदद के लिए लोगों को जोश दिला रहे थे हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अनहु आप के पुर जोश लफ्ज़ सुनकर खड़े हुए और अर्ज़ किया: या रसूलुल्लाह हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम में 100 ऊँट पालान और सामान के साथ अल्लाह की राह में पेश करूंगा | उस के बाद हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सहाबए किराम रिद्वानुल्लाही अलैहिम अजमईन को सामान लश्कर के बारे में तरग़ीब दी और इमदाद के लिए मुतवज्जहे फ़रमाया तो फिर हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अनहु खड़े हुए और अर्ज़ किया या रसूलुल्लाह हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम “में 200 ऊँट साज़ो सामान के साथ अल्लाह के रस्ते में नज़्र करूंगा” इस के बाद फिर रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सामाने जंग की दुरुस्तगी और फ़राहमी की तरफ से मुसलमानो को रगबत दिलाई फिर हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अनहु खड़े हुए और अर्ज़ की या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम “में 300 ऊँट पालान और सामान के साथ खुदाए तआला की राह में हाज़िर करूंगा |
हदीस के रावी हज़रत अब्दुर रहमान बिन खुबाब रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं मेने देखा के हुज़ूर सय्यदे आलम हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मिंबर से उतरते जाते थे और फरमाते जाते थे एक ही जुमले को हुज़ूर सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने दोबार फ़रमाया उस जुमले का मतलब ये है के “अब उस्मान को वो अमल कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा जो उसके बाद करेंगें” इससे मुराद ये है के हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु का ये अमले खैर ऐसा आला इतना मक़बूल है के अब और नवाफिल न करें जब भी उनके मदारीज के लिए काफी है और इस मक़बूलियत के बाद अब उन्हें कोई अन्देशाए ज़रर यानि नुकसान नहीं है | (मिश्कात शरीफ)

तफ़्सीर खाज़िन और तफ़्सीर मुआलिमुल तंज़ील में है के आप ने साज़ो सामान के साथ 1000 हज़ार ऊँट इस मौके पर चंदा दिया था :- और हज़रत अब्दुर रहमान बिन समराह रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं के हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अनहु “जैशे उसरा” की तय्यारी के ज़माने में एक हज़ार दीनार अपने कुर्ते की आस्तीन में भर कर लाए (दीनार साड़े चार माशा सोने का सिक्का होता था) इन दीनारों को आप ने रसूले मक़बूल हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की गोद में डाल दिए | हदीस के रावी हज़रत अब्दुर रहमान बिन समराह रदियल्लाहु फरमाते हैं मेने देखा के नबी करीम हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इन दीनारों को अपनी गोद में उलट पलट कर देखते जाते थे और फरमाते जाते थे | “आज के बाद उस्मान को उनका कोई अमल नुकसान नहीं पहुंचाएगा” रसूले मक़बूल हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इन के बारे में इस जुमले को दो बार फ़रमाया मतलब ये है के फ़र्ज़ कर लिया जाए के अगर हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु से कोई ख़ता वाक़े हो तो आज का इन का ये अमल इनकी ख़ता के लिए कफ़्फ़ारा बन जाएगा | (मिश्कात शरीफ)

एक हज़ार दिरहम बारगाहे रिसालत हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम में पेश किये तो इन दोनों हज़रात के बारे में ये आयते करीमा नाज़िल हुई:


اَلَّذِیْنَ یُنْفِقُوْنَ اَمْوَالَهُمْ فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ ثُمَّ لَا یُتْبِعُوْنَ مَاۤ اَنْفَقُوْا مَنًّا وَّ لَاۤ اَذًىۙ-لَّهُمْ اَجْرُهُمْ عِنْدَ رَبِّهِمْۚ-وَ لَا خَوْفٌ عَلَیْهِمْ وَ لَا هُمْ یَحْزَنُوْنَ

तर्जुमा कंज़ुल ईमान :- जो लोग अपने माल को अल्लाह की राह में खर्च करते हैं फिर देने के बाद न एहसान रखते हैं न तकलीफ देते हैं तो उनका अजरो सवाब उन के रब के पास है और न उन पर कोई खौफ तारी होगा और न वो ग़मगीन होगें | हज़रत सदरुला फ़ाज़िल मौलाना सय्यद मुहम्मद नईमुद्दीन मुरादाबादी रहमतुल्लाह अलैह ने भी “तफ़्सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान” में तहरीर फ़रमाया है के ये आयते मुबारका हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु और हज़रत अब्दुर रहमान बिन ओफ रदियल्लाहु अन्हु के हक़ में नाज़िल हुई | (तीसरा पारा रुकू चार, तफ़्सीरे खाज़िन)

ऐ ओहद ठहिरजा :- हज़रत सहिल बिन सअद रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है के एक रोज़ नबी करीम हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़, हज़रत उमर फ़ारूक़े आज़म, और हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हुम ओहद पहाड़ पर थे के यका यक वो हिलने लगा तो रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ऐ “ओहद तू ठहिरजा के तेरे ऊपर सिर्फ एक नबी या सिद्दीक़ या दो शहीद हैं | (तफ़्सीर मुआलिमुल तंज़ील जिल्द 6)
इस हदीस शरीफ से मालूम हुआ के हुज़ूर सय्यदे आलम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम पहाड़ों पर भी अपना हुक्म नाफ़िज़ फरमाते थे और ये भी साबित हुआ के खुदाए तआला ने आपको इल्मे ग़ैब अता फ़रमाया था के बरसों पहले हज़रते उमर फ़ारूक़े आज़म और हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु तआला अन्हुमा के शहीद होने के बारे में हुज़ूर सलल्लाहु अलैहि वसल्लम खबर दे रहे हैं | आला हज़रत मुजद्दिदे आज़म इमाम अहमद रज़ा खान फाज़ले बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं |

                       और कोई ग़ैब क्या तुम से निहा हो भला
                       जब न खुदा ही छुपा तुम पे करोड़ों दुरूद   (हदाइके बख़्शिश)

शहादत का इन्तिज़ार :- हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु खूब जानते थे के नदी का बहता हुआ धारा रुक सकता है, दरख्त यानि पेड़ अपनी जगह से हट सकता है बल्कि पहाड़ भी अपनी जगह से टल सकता है मगर अल्लाह के मेहबूब दानाए गूयूब जनाबे अहमदे मुज्तबा मुहम्मद मुस्तफा सलल्लाहु अलैहि वसल्लम का फरमान नहीं टल सकता इस लिए आप रदियल्लाहु अन्हु अपनी शहादत का इन्तिज़ार फरमा रहे थे तो ये और उनके अलावा दुसरे लोग जो अपनी शहादत के इन्तिज़ार में थे जैसे के दूलह व दुल्हन अपनी शादी की तारीख के इन्तिज़ार में होते हैं तो इन के हक़ में ये आयते करीमा नाज़िल हुई |


فَمِنْهُمْ مَّنْ قَضٰى نَحْبَهٗ وَ مِنْهُمْ مَّنْ یَّنْتَظِرُ

तर्जुमा कंज़ुल ईमान :- तो इन में से कोई वो है जो अपनी मन्नत पूरी कर चुका (जैसे हज़रते हम्ज़ा व मुसअब रदियल्लाहु तआला अन्हुमा के ये लोग जिहाद पर साबित रहे यहाँ तक के जंगे ओहद में शहीद हो गए) और उन में से कोई वो है जो (अपनी शहादत का) इन्तिज़ार कर रहा है (हज़रते उस्मान और हज़रते तलहा रदियल्लाहु अन्हुमा) (तफ़्सीर बैज़ावी सूरह तुल अहज़ाब)
(सूरह तुल अहज़ाब आयात 23 पारा 21)

दरख़्त (पेड़) के बदले बाग़ दे दिया :- हज़रते अल्लामा इस्माईल हक़्क़ी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं के मदीना मुनव्वरा ज़ादाहल्लाहु शरफऊं व तअज़ीमा में एक मुनाफ़िक़ रहता था उसका दरख्त एक अंसारी पड़ौसी के मकान पर झुका हुआ था जिसका फल उनके मकान में गिरता था | अंसारी ने सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से इस का ज़िक्र किया उस वक़्त तक मुनाफ़िक़ का निफ़ाक़ ज़ाहिर नहीं हुआ था हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उससे फ़रमाया के तुम दरख्त अंसारी के हाथ बेच डालो इस के बदले तुम्हे जन्नत का दरख़्त यानि पेड़ मिलेगा मगर मुनाफ़िक़ ने अंसारी को दरख्त देने से इंकार कर दिया जब इस वाक़िए की खबर हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु को हुई के मुनाफ़िक़ ने हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के फरमान को मंज़ूर नहीं किया तो आप रदियल्लाहु अन्हु ने पूरा एक बाग़ देकर दरख्त को उससे खरीद लिया और अंसारी को दे दिया | इस पर हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु की तारीफ़ और मुनाफ़िक़ की बुराई मे ये आयते करीमा नाज़िल )


سَیَذَّكَّرُ مَنْ یَّخْشٰىۙ(۱۰) وَ یَتَجَنَّبُهَا الْاَشْقَىۙ(۱۱) الَّذِیْ یَصْلَى النَّارَ الْكُبْرٰىۚ(۱۲) ا

तर्जुमा कंज़ुल ईमान :- अनक़रीब जो नसीहत मानेगा जो डरता है और उससे वो बड़ा बदबख्त दूर रहेगा जो सब से बड़ी आग में जाएगा | (सूरह तुल आला, पारा तीस आयात 10, 11, 12,)
इस आयत मुबारका में (مَنْ یَّخْشٰىۙ) से मुराद हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु और (الْاَشْقَىۙ ) से मुराद उस दरख्त का मालिक मुनाफ़िक़ है | (तफ़्सीर रूहुल बयान जिल्द 10 पेज नंबर 408)

हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु के फ़ज़ाइल व मनाक़िब में बहुत सी हदीसें भी वारिद हैं

फ़ितनो के वक़्त हिदायत पर :- तिरमिज़ी और इब्ने माजा में मुर्राह बिन कअब रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है के वो फरमाते हैं के रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ज़मानए आइंदा में होने वाले फ़ित्नों का ज़िक्र फरमा रहे थे के इतने में एक साहब सर पर कपड़ा डाले हुए इधर से गुज़रे तो हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया के ये शख्स उस रोज़ हिदायत पर होगा हज़रते मुर्राह रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं के हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से ये अलफ़ाज़ सुनकर में उठा और उस शख्स की तरफ देखा के वो “हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु हैं” फिर मेने हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की तरफ उन का रुख किया और पूछा क्या ये शख्स इन फ़ितनो में हिदायत पर होंगे? तो हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया हाँ यही | (तिरमिज़ी शरीफ)

शहादत की गैबी खबर :- तिरमिज़ी में हज़रते इब्ने उमर रदियल्लाहु अन्हुमा से रिवायत है के वो फरमाते हैं के रसूले मक़बूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मुस्तक़बिल में होने वाले फ़ितने का ज़िक्र किया तो इरशाद फ़रमाया के “ये शख्स इस फ़ितने में ज़ुल्म से क़त्ल किया जाएगा ये कहते हुए आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु की तरफ इशारा फ़रमाया | (तिरमिज़ी शरीफ)

जन्नत की खुश खबरी :- बुखारी व मुस्लिम में हज़रते अबू मूसा अशअरी रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है के में मदीना मुनव्वरा ज़ादाहल्लाहु शरफऊं व तअज़ीमा के एक बाग़ में रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के साथ था के एक साहब आये और इस बाग़ का दरवाज़ा खुल वाया तो नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: दरवाज़ा खोल दो और आने वाले शख्स को जन्नत की बशारत दो | मेने दरवाज़ा खोला तो देख वो हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु हैं मेने इन को हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के फरमान के मुताबिक़ जन्नत की खुशखबरी दी इस पर हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु ने खुदाए तआला का शुक्रिया अदा किया और उसकी हम्दो सना की फिर एक साहब और आये और उन्होंने दरवाज़ा खुल वाया हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इन के बारे में फ़रमाया इन के लिए भी दरवाज़ा खोल दो और जन्नत की बशारत दो, मेने दरवाज़ा खोला तो देखा के वो हज़रते उमर फ़ारूक़े आज़म रदियल्लाहु अन्हु हैं | मेने उनको रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खुश ख़बरी से मुत्तलआ किया | उन्होंने खुदाए अज़्ज़ा वजल की हम्दो सना की और उसका शुक्र अदा किया | फिर एक तीसरे साहब ने दरवाज़ा खुल वाया तो नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मुझ से इरशाद फ़रमाया आने वाले के लिए दरवाज़ा खोल दो और उसे इन मुसीबतों पर जो इस शख्स को पहुचेंगी जन्नत की खुशखबरी दो रावी हदीस हज़रत अबू मूसा अशअरी फरमाते हैं के मेने दरवाज़ा खोला तो देखा आने वाले शख्स हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु हैं मेने उनको रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के इरशाद के मुताबिक़ खुश खबरी दी और हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के फरमान से आगाह यानि खबरदार किया | उन्होंने खुदाए तआला की हम्दो सना की उस का शुक्र अदा किया और फ़रमाया आने वाली मुसीबतों पर अल्लाह पाक से मदद तलब की जाती है | (सही बुखारी शरीफ)

फ़रिश्ते भी हया करते हैं :- और मुस्लिम शरीफ में हज़रते आएशा रदियल्लाहु अन्हा से रिवायत है वो फरमाती हैं के एक रोज़ रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अपने मकान में लेटे हुए थे और आप की रान या पिंडली मुबारक से कपड़ा हटा हुआ था | इतने में हज़रते अबूबक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु आये और उन्होंने हाज़री की इज़ाज़त चाही हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इन को बुलाया और वो अंदर आगए मगर हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इसी तरह लेटे रहे और गुफ्तुगू फरमाते रहे इस के बाद हज़रत उमर रदियल्लाहु अन्हु भी आ गए इन्होने अंदर आने की इजाज़त तलब की हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इनको भी इजाज़त देदी और वो भी अंदर आ गए लेकिन हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फिर भी बदस्तूर इसी तरह लेटे रहे यानि रान या पिंडली से कपड़ा हटा रहा फिर हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु और आप ने अंदर आने की इजाज़त चाहि तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उठ कर बैठ गए और कपड़ों को दुरुस्त कर लिया इस के बाद हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु को अंदर आने की इजाज़त देदी रावीऐ हदीस हज़रते आएशा रदियल्लाहु अन्हा फरमाती हैं की जब ये लोग चले गए तो मेने हुज़ूर ससल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से मालूम किया या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम क्या वजह है के मेरे बाप हज़रते सिद्दीक़े अकबर रदियल्लाहु अन्हु आए तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम बदस्तूर लेटे रहे फिर हज़रत फ़ारूक़े आज़म रदियल्लाहु अन्हु आये मगर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम बदस्तूर लेटे रहे और जुम्बिश (हिलना हिलाना) भी नहीं फ़रमाई लेकिन आप हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु आए तो आप उठकर बैठ गए और कपड़ों को दुरुस्त कर लिया हज़रते आएशा रदियल्लाहु अन्हा के इस सवाल के जवाब में सरकारे अक़दस सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया “क्या में उस शख्स से हया न करूं जिससे फ़रिश्ते भी हया करते हैं | सुब्हान अल्लाह हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु का दर्जा क्या ही बुलंद व बाला और अज़मत वाला है के फ़रिश्ते भी आप से हया करते है यहाँ तक की सय्यदुल अम्बिया नबीयुल अम्बिया जनाबे अहमदे मुज्तबा मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम भी आप से हया फरमाते हैं | आप की तरफ से बैअत फ़रमाई :- तिरमिज़ी शरीफ में हज़रते अनस रदियल्लाहु से रिवायत है वो फरमाते हैं के जब रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मक़ामे हुदैबिया में बैअत रिज़वान का हुक्म फ़रमाया इस वक़्त हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के क़ासिद की हैसियत से मक्का मुअज़्ज़मा गए हुए थे लोगों ने हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के हाथ पर बैअत कर चुके तो रसूले मक़बूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया की उस्मान खुदा और रसूले खुदा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के काम से गए हुए है फिर अपना एक हाथ दुसरे हाथ पर मारा यानि हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु की तरफ से खुद बैअत फ़रमाई लिहाज़ा रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का मुबारक हाथ उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु के लिए इन हाथों से बेहतर है जिन्होंने अपने हाथों से अपने लिए बैअत की | हज़रत शैख़ अब्दुल हक़ मुहद्दिसे देहलवी बुखारी रहमतुल्लाह अलैह “अश अतुल मिआत” में इस हदीस के तहत तहरीर फरमाते हैं के सरकार अक़दस ससल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने “अपने दस्ते मुबारक को हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु का हाथ क़रार दिया ये वो फ़ज़ीलत है जो हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु के साथ खास है” यानि इस फ़ज़ीलत से इन के सिवा और कोई दूसरा सहाबी कभी मुशर्रफ़ नहीं हुआ | (अश अतुल मिआत,तिरमिज़ी शरीफ)

मसनदे खिलाफत मत छोड़ना :- तिरमिज़ी शरीफ और इबने माजा में हज़रते आएशा सिद्दीक़ा रदियल्लाहु अन्हा से रिवायत है के नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने एक रोज़ हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु से फ़रमाया के “ऐ उस्मान ख़ुदाए तआला तुझ को एक क़मीस पहनाएगा यानि खिलअते खिलाफत से सरफ़राज़ फरमाएगा | फिर अगर लोग इस क़मीस के उतारने का तुझ से मुतालबा करें तो उनकी ख़्वाइश पर इस क़मीस को मत उतारना यानि खिलाफत नहीं छोड़ना इसी लिए जिस रोज़ शहीद किया गया उन्होंने हज़रते अबू सहला रदियल्लाहु अन्हु से फ़रमाया के हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मुझको खिलाफत के बारे में वसीयत फ़रमाई थी | इसी लिए में इस वसीयत पर क़ाइम हूँ और जो कुछ मुझ पर बीत रही है इस पर सब्र कर रहा हूँ | (तिरमिज़ी शरीफ)

आप ने दोबार जन्नत खरीदी :- हाकिम ने हज़रते अबू हुरैरा रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत की है के हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु ने दोबार जन्नत खरीदी है एक बार तो “बिरे रोमा” खरीद कर और दूसरी बार “जैशे उसरा” के लिए सामान देकर जैशे उसरा के लिए जो सामान आप ने फ़राहम किया था उस का बयान पहले ऊपर कर चुके और बिरे रोमा की खरीदारी का वाक़िया ये है के जब सरकरे अक़द ससल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मक्का मुअज़्ज़ामा से हिजरत फरमाकर मदीना तय्यबा मुनव्वरा ज़ादाहल्लाहु शरफऊं व ताज़ीमा तशरीफ़ ले गए तो उस ज़माने में वहां “बिरे रोमा” के अलावा और किसी कूएँ का का पानी मीठा न था | ये कुँआ वादिए अक़ीक़ के किनारे एक पुर फ़िज़ा बाग़ में है जो मदीना मुनव्वरा ज़ादाहल्लाहु शरफऊं व तअज़ीमा में है जो मदीना शरीफ से तक़रीबन चार किलो मीटर के फासले पर है इस कूएँ का मालिक यहूदी था जो इस का पानी फरोख्त करता था और मुस्लमान को पानी की सख्त तकलीफ थी तो रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की तरग़ीब पर हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु ने आधा कुँआ बारह हज़ार दिरहम में खरीद कर मुसलमानो पर वक़्फ़ कर दिया और तय ये पाया के एक रोज़ मुस्लमान पानी भरेंगें और दुसरे दिन यहूदी,मगर जब यहूदी ने देखा के मुस्लमान एक दिन में दो दिन का पानी भर लेते हैं और मेरा पानी खातिर खाव्ह नहीं बिकता तो परेशान हो कर बाक़ी आधा भी हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु के हाथ आठ हज़ार दिरहम में बेच दिया “इस कुँए को आज कल “बिरे हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु कहते हैं | (अल मुसतदरक लिल हाकिम)

(अल मुसतदरक लिल हाकिम) (तिरमिज़ी शरीफ) (तफ़्सीर रूहुल बयान जिल्द 10 पेज नंबर 408) (सूरह तुल अहज़ाब आयात 23 पारा 21) (हदाइके बख़्शिश )(तफ़्सीर मुआलिमुल तंज़ील जिल्द 6) (मिश्कात शरीफ) (तीसरा पारा रुकू चार, तफ़्सीरे खाज़िन) (तारीख़ुल खुलफ़ा) (खुलफाए राशिदीन)

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