गवर्नरों से शर्तें
हज़रत खुजैमा बिन साबित रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है :- के हज़रत उमर फ़ारूक़े आज़म रदियल्लाहु अन्हु जब किसी शख्स को कहीं का वाली (हाकिम,सरपरस्त) मुक़र्रर फरमाते तो उससे चंद शर्तें लिखवा लेते थे पहली शर्त ये के वो तुर्की घोड़े पर सवार नहीं होगा दूसरी शर्त ये के वो आला दर्जे का खाना नहीं खायेगा तीसरी शर्त ये के वो बारीक कपड़े नहीं पहनेगा चौथी शर्त ये के वो हाजत वालों के लिए अपने दरवाज़ों को बंद नहीं करेगा और दरबान नहीं रखेगा |
फिर जो शख्स इन शर्तों की पाबन्दी नहीं करता था उसके साथ निहायत सख्ती से पेश आते थे हाकिमे मिस्र अयाज़ बिन गनम के बारे में मअलूम हुआ के वो रेशम पहनता है और दरबान रखता है तो आपने हज़रत मोहम्मद बिन मुस्लिमा रदियल्लाहु अन्हु को हुक्म दिया के अयाज़ बिन गनम को जिस हालत में भी पाओ गिरफ्तार करके लाओ जब अयाज़ ख़लीफ़तुल मुस्लिमीन हज़रते उमर रदियल्लाहु अन्हु के सामने लाये गए तो आपने उनको कम्बल का कुरता पहनाया और बकरियों का एक रेवड़ उनके सुपुर्द किया और फ़रमाया के जाओ इन बकरियों को चराओ तुम इंसानो पर हुकूमत करने के क़ाबिल नहीं हो यानी अयाज़ बिन गनम को गवर्नर से एक चरवाहा बना दिया यही वजह है के पूरी ममलिकत इस्लामिया के तमाम हाकिम और गवर्नर आपकी हैबत से कांपते रहते थे |
आप फ़रमाया
करते थे के कारोबारी खिलाफत उस वक्त तक ठीक नहीं होता जब तक इसमें इतनी शिद्दत न की जाए जो जब्र न बन जाए और इतनी नरमी बरती जाए के जो सुस्ती से ताबीर हो |
इमाम शोअबी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं के हज़रते उमर रदियल्लाहु अन्हु का ये तरीका था के जब आप किसी हाकिम को किसी सूबे पर मुक़र्रर फरमाते तो उसके तमाम माल व असासे की फेहरिस्त लिखवाकर मेहफ़ूज़ कर लिया करते थे एक बार आपने अपने तमाम उम्माल को हुक्म फ़रमाया के वो अपने अपने मौजूदा माल व असासे की एक एक फेहरिस्त बना कर उनको भेज दें इन्ही उम्माल में हज़रत सअद बिन अब वक़्क़ास रदियल्लाहु अन्हु थे जो अशरए मुबश्शरा में से हैं जब इन्होने अपने असासों की फेहरिस्त बनाकर भेजी तो हज़रत उमर फारूक़े आज़म रदियल्लाहु अन्हु ने उनके सारे माल के दो हिस्से किये जिनमे से एक हिस्सा उनके लिए छोड़ दिया और एक हिस्सा बैतुल माल में जमा कर दिया |
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आपका रातों में गश्त करना :- हज़रत उमर रदियल्लाहु अन्हु रियाया की खबर गीरी के लिए बदवी का लिबास पहनकर मदीना शरीफ के अतराफ़ में रातों को घूमा करते थे एक बार हस्बे मामूल आप गश्त फरमा रहे थे के उन्होंने सुना एक औरत कुछ अशआर पढ़ रही है जिसका खुलासा ये है
रात बहुत हो गई और सितारे चमक रहे हैं मगर मुझे ये बात जगा रही है के मेरे साथ कोई खेलने वाला नहीं है तो में खुदाए तआला की कसम खाकर कहती हूँ के अगर मुझे अल्लाह के अज़ाब का खौफ न होता तो इस चारपाई की चूले हिलती लेकिन में अपने नफ़्स के साथ इस निगेहबान और मुअक्किल से डरती हूँ जिसका कातिब कभी नहीं थकता |
अशआर को सुनकर हज़रत उमर रदियल्लाहु अन्हु ने उस औरत से पुछा तेरा मुआमला क्या है के इस क़िस्म के अशआर पढ़ रही है कहा के मेरा शौहर कई महीनों से जंग पर गया हुआ है उसकी मुलाक़ात के शौक में ये अशआर पढ़ रही हूँ सुबह होते ही आपने उसके शौहर को बुलाने के लिए कासिद रवाना फरमा दिया और चूंकि आपकी ज़ौजा मोहतरमा (बीवी) वफाअत (इंतकाल) पा चुकी थी इसलिए आपने अपनी साहब ज़ादी उम्मुल मोमिनीन हज़रते हफ्सा रदियल्लाहु अन्हा से दरयाफ्त फ़रमाया के औरत कितने ज़माने तक शौहर के बगैर रह सकती है ? इस सवाल को सुनकर हज़रते हफ्सा रदियल्लाहु अन्हा ने शर्म से अपना सर झुका लिया और कोई जवाब नहीं दिया आपने फ़रमाया के खुदाए तआला हक़ बात में शर्म नहीं करता तो हज़रते हफ्सा ने हाथ के इशारे से बताया के 3 महीना या ज़्यादा से ज़्यादा 4 तो हज़रते उमर रदियल्लाहु अन्हु ने हुक्म जारी फरमा दिया के 4 महीने से ज़्यादा किसी सिपाही को जंग में नहीं रोका जाए |
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गरीब लड़की को बहु बना लिया :- एक रात आप गश्त फरमा रहे थे एक मकान से आवाज़ आई बेटी दूध में पानी मिला दे दूसरी आवाज़ आई जो लड़की की थी माँ अमीरुल मोमिनीन रदियल्लाहु अन्हु का हुक्म तुझको याद नहीं रहा जिसमे ऐलान किया गया है के दूध में कोई शख्स पानी न मिलाए माँ ने कहा अमीरुल मोमिनीन रदियल्लाहु अन्हु यहाँ देखने नहीं आएंगे पानी मिला दे लड़की ने कहा में ऐसा नहीं कर सकती के खलीफा के सामने इताअत का इक़रार और पीठ पीछे उनकी नाफरमानी इस वक्त हज़रते उमर रदियल्लाहु अन्हु के साथ हज़रत सालिम रदियल्लाहु अन्हु थे आप रदियल्लाहु अन्हु ने उनसे फ़रमाया के इस घर को याद रखो और सुबह के वक्त हालत मअलूम करके मुझे बताओ हज़रत सालिम रदियल्लाहु अन्हु ने दरबारे खिलाफत में रिपोर्ट पेश की के लड़की बहुत नेक जवान और बेवा है कोई मर्द उनका सरपरस्त नहीं है माँ बेसहारा है आपने इसी वक्त अपने सब लड़कों को बुलाकर फ़रमाया के तुम में से जो चाहे इस लड़की से निकाह कर ले तो हज़रत आसिम रदियल्लाहु अन्हु तय्यार हो गए आपने इस बेवा लड़की को बुलाकर हज़रत आसिम रदियल्लाहु अन्हु से निकाह करके अपनी बहु बना लिया |
एक वहाबी की फ़रेबकारी (धोका) :- इस वाक़िये को गैर मुकल्लिद मौलवी ने एक जलसे में बयान करने के बाद इन लफ़्ज़ों में तब्सिरा किया के देखो अमीरुल मोमिनीन हज़रत उमर रदियल्लाहु अन्हु ने इतने आला खानदान के होते हुए अपने साहबज़ादे की शादी एक ग्वालिन से कर दी लेहाज़ा हनफ़ियों का “कफू” वाला मसअला गलत है इत्तेफाक से इस जलसे की तक़रीरें सुनने के लिए एक सुन्नी हनफ़ी मौलवी गए थे गैर मुकल्लिद की इस तक़रीर से मुताअस्सिर होकर उन्होंने ये ख्याल कर लिया के वाक़ई “कफू” का मसला गलत है मालूम होता है ये बात उन्होंने एक सुन्नी हनफ़ी मुफ़्ती से बयान की “तो हज़रत मुफ़्ती साहब ने फ़रमाया गैर मुकल्लिद ने फरेब से काम लिया जिसे आप भाप न सके हनफ़ियों के यहाँ लड़के की तरफ से “कफू” होने का एतबार नहीं सिर्फ लड़की की तरफ से है के अलग होने के बावजूद अपने वली की रज़ा के बगैर वो गैर कफू से निकाह नहीं कर सकती जैसा के फ़िक़ह हनफ़ी की आम किताबों में मज़कूर है तो मौलवी साहब ने इक़रार किया की वाक़ई में गैर मुक़ल्लिद की धोके में आ गया था इस पर हज़रत मुफ़्ती साहब ने फ़रमाया इसी लिए बदमज़हबों की तक़रीर सुनने से मना फ़रमाया है के जब आप 10 साल इल्मे दीन हासिल करने के बावजूद इसके फरेब में आ गए तो अवाम का क्या हाल होगा किसी मौलवी की तक़रीर का सुन्ना भी दीन का हासिल करना है और हदीस शरीफ में है “देख लो के तुम अपना दीन किस से हासिल कर रहे हो” लिहाज़ा
किसी बदमज़हब की तक़रीर सुनना हराम व नाजायज़ है और जो लोग ये कहते है के हम पर किसी बदमज़हब की तक़रीर का असर नहीं हो सकता वो बहुत बड़ी गलत फेहमी में मुब्तिला हैं जब 10 साल पढ़े हुए मौलवी पर बदमज़हब की तक़रीर का असर पड़ गया तो दुसरे लोगों की क्या हकीकत है बस दुआ है के ख़ुदाए तआला ऐसे लोगों को समझ आता फरमाए और बदमज़हबों की तक़रीर से दूर रहने की तौफ़ीक़े रफ़ीक़ बख्शे |
बैतूल माल से वज़ीफ़ा :- हज़रत उमर रदियल्लाहु अन्हु दिन रात खिलाफत के काम अंजाम देते थे मगर बैतूल माल से कोई ख़ास वज़ीफ़ा नहीं लेते थे जब आप खलीफा बनाये गए तो कुछ दिनों के बाद आपने लोगों को जमा करके इरशाद फ़रमाया की में पहले तिजारत किया करता था और अब तुम लोगों ने मुझको खिलाफत के काम में मशगूल कर दिया है तो अब गुज़ारह की सूरत क्या होगी? लोगों ने मुख्तलिफ अलग अलग मिक़्दारें तजवीज़ की हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया के मुतावस्सित तरीके पर जो आपके घर वालों के लिए और आपके लिए काफी हो जाये वही मुक़र्रर फरमा लें | हज़रत उमर रदियल्लाहु अन्हु ने इस राए को पसंद फ़रमाया और क़बूल कर लिया इस तरह बैतूल माल से मुतावस्सित (दरमियानी मिक़्दार,मात्रा,क्वांटिटी) आपके लिया मुक़र्रर हो गयी |
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इज़ाफ़े की तजवीज़ (प्रपोज़) पर जलाल :- फिर एक मजलिस में हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु थे ये तै पाया के ख़लीफ़तुल मुस्लिमीन के वज़ीफ़े में इज़ाफ़ा करना चाहिए के गुज़र में तंगी होती है मगर किसी की हिम्मत न हुई के वो आपसे कहता तो उन लोगों ने उम्मुल मोमिनीन हज़रते हफ्सा रदियल्लाहु अन्हा से कहा और ताकीद कर दी के हम लोगों का नाम न बताना जब उम्मुल मोमिनीन रदियल्लाहु अन्हा ने आपसे इसका ज़िक्र किया तो आपका चेहरा गुस्से से तिमतिमा उठा आपने लोगों के नाम पूछे हज़रत हफ्सा रदियल्लाहु अन्हा ने अर्ज़ किया के पहले आपकी राए मालूम हो जाए आपने फ़रमाया के अगर मुझे इनके नाम मालूम होते तो में इनको सख्त सजा देता यानी आप ने लोगों की राए के बावजूद वज़ीफ़े के इज़ाफ़े को मंज़ूर नहीं फ़रमाया बल्कि इनपर नाराज़गी ज़ाहिर फ़रमाई |
वसीले का सुबूत
आपके ज़माने में ज़बरदस्त कहत पड़ा :- हज़रत उमर रदियल्लाहु अन्हु के ज़मानए खिलाफत में ज़बरदस्त कहत पड़ा आपने बारिश तलब करने के लिए हज़रते अब्बास रदियल्लाहु अन्हु के साथ नमाज़े इस्तिस्क़ा अदा फ़रमाई हज़रत इबने औन रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं के हज़रत उमर रदियल्लाहु अन्हु ने हज़रत अब्बास रदियल्लाहु अन्हु का हाथ पकड़ा और उसको बुलंद करके इस तरह बारगाहे इलाही में दुआ की “या अल्लाह हम तेरे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के चचा को वसीला बनाकर तेरी बारगाह में अर्ज़ करते हैं कहत और खुश्क साली को ख़त्म फरमा दे और हम पर रहमत वाली बारिश नाज़िल फरमा” ये दुआ मांगकर अभी आप वापस भी नहीं हुए थे के बारिश शुरू हो गयी और कई दिनों तक मुसलसल बराबर होती रही |
मालूम हुआ के हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से निस्बत रखने वालों को हाजत के लिए ज़रुरत के लिए वसीला बनाना हरगिज़ शिर्क नहीं है बल्कि हज़रते उमर फ़ारूक़ी आज़म
रदियल्लाहु अन्हु का तरीका और उनकी सुन्नत है और ये आपका अक़ीदा है के हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के विसाल के बाद भी आपका वसीला लेना बिलकुल जाइज़ और दुरुस्त है अगर वसीला लेना शिर्क होता तो हज़रते उमर फ़ारूक़े आज़म रदियल्लाहु अन्हु हरगिज़ वसीला न बनाते और हुज़ूर सल्ललाहु अलैहि व सल्लम का इरशादे गिरामी है “मेरी और खुल्फ़ाए राशिदीन की सुन्नत को इख्तियार करो उनकी पैरवी तुमपर लाज़िम है” |
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आपकी शहादत
शहादत की दुआ :- बुखारी शरीफ में है के हज़रते उमर रदियल्लाहु अन्हु ने बारगाहे इलाही में दुआ की “या अल्लाह मुझे अपनी राह में शहादत अता फरमा और अपने रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के शहर में मुझे मौत नसीब फरमा” |
आपकी शहादत :- हज़रते उमर रदियल्लाहु अन्हु की दुआ इस तरह क़ुबूल हुई की हज़रत मुगीरा बिन शोअबा रदियल्लाहु अन्हु के मजूसी गुलाम अबू लूलू ने आप रदियल्लाहु अन्हु से शिकायत की के उसके आक़ा हज़रत मुगीरा बिन शोअबा रोज़ाना उससे 4 दिरहम वसूल करते हैं आप इसमें कमी करा दीजिए आपने फ़रमाया के तुम लोहार और बढ़ई का काम खूब अच्छी तरह जानते हो और नक्काशी भी बहुत अच्छी करते हो तो 4 दिरहम रोज़ाना तुम्हारे ऊपर ज़्यादा नहीं है इस जवाब को सुनकर वो गुस्से से तिलमिलाता हुआ वापिस चला गया कुछ दिनों के बाद हज़रत उमर रदियल्लाहु अन्हु ने उसे फिर बुलाया और फ़रमाया के तू कहता था के अगर आप रदियल्लाहु अन्हु कहें तो में ऐसी चक्की तैयार कर दूँ जो हवा से चले उसने तेवर बदल कर कहा हाँ में आप रदियल्लाहु अन्हु के लिए ऐसी चक्की तैयार कर दूंगा जिसका लोग हमेशा चर्चा करेंगे जब वो चला गया तो आप रदियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया की ये लड़का मुझे क़त्ल की धमकी देकर गया है मगर आप रदियल्लाहु अन्हु ने उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की |
अबू लूलू गुलाम ने आप रदियल्लाहु अन्हु के क़त्ल का पक्का इरादा कर लिया एक खंजर पर धार लगाई और उसको ज़हर में बुझाकर अपने पास रख लिया हज़रत उमर रदियल्लाहु अन्हु फज्र की नमाज़ के लिए मस्जिदे नबवी शरीफ में तशरीफ़ ले गए और उनका तरीका था के वो तक्बीरे तहरीमा से पहले फ़रमाया करते थे के सफें सीधी कर लो ये सुनकर अबू लूलू आप रदियल्लाहु अन्हु के बिकुल क़रीब सफ में आकर खड़ा हो गया और फिर आप रदियल्लाहु अन्हु के कंधे और पहलू पर खंजर से दो वार किए जिससे आप रदियल्लाहु अन्हु गिर पड़े उसके बाद और नमाज़ियों पर हमला करके 13 आदमियों को ज़ख़्मी कर दिया जिनमे से बाद मे 6 का इंतेक़ाल हो गया इस वक्त जबकि वो लोगों को ज़ख़्मी कर रहा था एक इराक़ी ने उसपर कपडा डाल दिया और जब वो इस कपडे में उलझ गया तो उसने इसी वक्त खुदखुशी कर ली |
चूँकि अब सूरज निकलने ही वाला था इसलिए हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ रदियल्लाहु अन्हु ने दो मुख़्तसर सूरतों के साथ नमाज़ पढ़ाई और हज़रत उमर रदियल्लाहु अन्हु को आप रदियल्लाहु अन्हु के मकान पर लाए आप रदियल्लाहु अन्हु को नबीज़ पिलाई गई जो ज़ख्मो के रास्ते बाहर निकल गई फिर दूध पिलाया गाया मगर वो भी ज़ख्मों से बाहर निकल गया |
किसी शख्स ने आप रदियल्लाहु अन्हु से कहा के आप अपने फ़रज़न्द अब्दुल्लाह रदियल्लाहु अन्हु को अपने बाद खलीफा मुक़र्रर कर दें आप रदियल्लाहु अन्हु ने इस शख्स को जवाब दिया के अल्लाह तआला तुम्हें ग़ारत करे तुम मुझे ऐसा गलत मशवरा दे रहे हो जिसे अपनी बीवी को सही तरीके से तलाक़ देने का भी सलीका न हो क्या में ऐसे शख्स को खलीफा मुक़र्रर कर दूँ आप रदियल्लाहु अन्हु ने हज़रत उस्मान,हज़रत अली,हज़रत तल्हा,हज़रत ज़ुबैर, हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ, हज़रत साअद रदियल्लाहु अन्हुम की इन्तखाबें खलीफा के लिए के लिए एक कमिटी बना दी और फ़रमाया के इन्हीं में से किसी को खलीफा मुक़र्रर किया जाए |
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दफ़न होने को मिल जाए दो गज़ ज़मीं :- इसके बाद आप रदियल्लाहु अन्हु ने अपने साहबज़ादे हज़रत अब्दुल्लाह रदियल्लाहु अन्हु से फ़रमाया के बताओ हम पर कितना क़र्ज़ है उन्होंने हिसाब करके बताया 86 हज़ार क़र्ज़ है आप रदियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया के ये रक़म हमारे माल से अदा कर देना और अगर उससे पूरा न हो तो बनु अदि से मांगना और अगर उनसे भी पूरा न हो तो क़ुरैश से लेना फिर आप रदियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया जाओ हज़रते आइशा सिद्दीक़ा रदियल्लाहु अन्हा से कहो के उमर रदियल्लाहु अन्हु अपने दोनों दोस्तों के पास दफ़न होने की इजाज़त चाहता है हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रदियल्लाहु अन्हुमा उम्मुल मोमिनीन हज़रते आइशा सिद्दीक़ा रदियल्लाहु अन्हा के पास गए और अपने बाप की ख्वाहिश को ज़ाहिर किया उन्होंने फ़रमाया के ये जगह तो मेने अपने लिए मेहफ़ूज़ कर रखी थी मगर में आज अपनी ज़ात पर हज़रत उमर रदियल्लाहु अन्हु को तरजीह देती हूँ जब आपको ये खबर मिली तो आपने खुदा का शुक्र अदा किया |
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आपका विसाले मुबारक :- 26 जिहिज्जा 23 हिजरी बुध के दिन आप रदियल्लाहु अन्हु ज़ख़्मी हुए और 3 दिन बाद 10 साल 6 महीने 4 दिन उमूरे खिलाफत को अंजाम देकर 63 साल की उम्र में आपका विशाल हुआ |
वो उमर जिसके आदा पे शैदा सकर उस खुदा दोस्त हज़रत पे लाखों सलाम
अल्लाह वाले क़ब्रों में ज़िंदा होते हैं :- हज़रत अरवह बिन ज़ुबैर रदियल्लाहु अन्हु अन्हुमा से रिवायत है के खलीफा वलीद बिन अब्दुल मालिक के ज़माने में रौज़ए मुनव्वरा की दीवार गिर पड़ी और लोगों ने उसकी तामीर 87 हिजरी में शुरू की तो बुनियाद खोदते वक्त एक कदम घुटने तक ज़ाहिर हुआ तो सब लोग घबरा गए और लोगों को ख़याल हुआ के शायद ये रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का क़दम मुबारक है और वहां कोई जानने वाला नहीं मिला तो हज़रत अरवा बिन जिबैर रदियल्लाहु अन्हु ने कहा “खुदा की क़सम ये हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का क़दम शरीफ नहीं है बल्कि ये हज़रते उमर रदियल्लाहु अन्हु का क़दम मुबारक है खुलासा ये है के तक़रीबन 64 साल के बाद हज़रत उमर रदियल्लाहु अन्हु का जिस्म मुबारक बदस्तूर साबिक़ रहा इसमें किसी किस्म की तब्दीली नहीं हुई थी और न कोई बदलाव आया और न कभी होगी एक शायर ने खूब कहा है |
ज़िंदह हो जाते हैं जो मरते हैं उसके नाम पर
अल्ल्हा अल्लाह मौत को किसने मसीहा कर दिया
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